रपट में कहा गया कि करीब 78 प्रतिशत मामले बाजार में हेरा-फेरी और भाव बढ़ाने से जुड़े हैें जबकि 12 प्रतिशत भेदिया कारोबार से जुड़े हैं।
अन्य मामले वित्तीय अनियमितता, अधिग्रहण में नियमों का उल्लंघन और प्रतिभूति कानून के अन्य उल्लंघन से जुड़े हैं।
सेबी ने 2005-06 के बाद पिछले वित्त वर्ष में सबसे अधिक मामलों की जांच की। 2005-06 में 159 मामलों की जांच शुरू की गई थी। नियामक ने उस साल 81 मामलों की जांच पूरी की थी।
बाजार नियामक ने 2011-12 में 154 मामलों और 2010-11 में 104 मामलों की जांच की।
भाषा