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Interview: ओलंपिक की तैयारी, खेलों में बदलाव से लेकर सिविल सेवा परीक्षा तक… मनु भाकर ने की कई मुद्दों पर चर्चा

'10 मीटर प्रारूप में मेरी अपनी समस्याएं थीं। मैं साल 2022 और 2023 में काफी अच्छी स्थिति में नहीं थीं मगर जसपाल (राणा) सर ने कहा कि मैं यह कर सकती हूं।'

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विशाल मेनन   
अनुष्का भारद्वाज   
Last Updated- September 02, 2024 | 11:21 PM IST

पेरिस ओलिंपिक में गौरव हासिल करने वाली मनु भाकर अपने कोच जसपाल राणा की काफी प्रशंसा करती हैं। नई दिल्ली में विशाल मेनन और अनुष्का भारद्वाज से बातचीत में भाकर ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर पीवी सिंधु को ट्रोल्स से बचाने के लिए क्यों फर्जी प्रोफाइल बनाया। मुख्य अंशः

आप पेरिस में भारत के ओलिंपिक अभियान का चेहरा रहीं। मीडिया के इतने आकर्षण और इतने ब्रांड सौदों के साथ क्या अब आपको उम्मीदों का बोझ जैसा लग रहा है?

उम्मीदें हमेशा मेरी यात्रा का हिस्सा रही हैं। यह सिलसिला साल 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में मिली जीत के बाद से जारी है। मैं अब यह दबाव झेलने की आदी हो गई हूं, लेकिन अब यह अलग स्तर पर पहुंच गया है। मैं इससे भी निपटना सीख रही हूं।

क्या आपको दो-दो ओलिंपिक पदक जीतने का यकीन हो रहा है?

10 मीटर प्रारूप में मेरी अपनी समस्याएं थीं। मैं साल 2022 और 2023 में काफी अच्छी स्थिति में नहीं थीं मगर जसपाल (राणा) सर ने कहा कि मैं यह कर सकती हूं। हम शूटिंग हॉल में बैठे थे और मैं लगातार सब कुछ देख रही थी और खुद को मानसिक रूप से तैयार कर रही थी। अगर जसपाल सर नहीं होते तो मैं भी वहां नहीं होती, जहां आज हूं। मेरा परिवार और दोस्त भी मुझे प्रेरित करने के लिए वहां मौजूद थे। दोनों पदक एक समान जरूरी थे, लेकिन मिश्रित युगल के लिए हम केवल कांस्य के लिए योग्य थे मगर हमने जीत लिया।

पेरिस ओलिंपिक से पहले आपका फॉर्म उतार-चढ़ाव भरा रहा। आपने खुद को कैसा प्रेरित किया?

पिछले साल की शुरुआत में मैं खेल छोड़ने के बारे में सोच रही थी। फिर भी मैंने कम से कम 2024 के ओलिंपिक तक खुद को आगे बढ़ाने की कोशिश की। मैंने अपनी दिनचर्या को बरकरार रखने की कोशिश, लेकिन मैं अच्छी स्थिति में नहीं थी।

इस दौरान आपने सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने की भी योजना बनाई?

हां, मैंने ऐसा किया था। मेरे विषय राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन थे। अगर मुझे सात से आठ महीने का समय मिले तो मैं तैयारी कर सकती हूं। फिलहाल, इसकी तैयार करना मुश्किल है।

आपने इस बदलाव की योजना कैसे बनाई?

यह मानसिक तौर पर अधिक था। मेरी दिनचर्या काफी सख्त थी। मैं सुबह 5.30 बजे जगती थी फिर योग करती थी और सीधे शूटिंग रेंज में जाती थी। अभ्यास के बाद दिन शुरू करने से पहले वर्कआउट, फिजियो और ध्यान करना होता था। यह थकाने वाला था मगर मैंने इस दिनचर्या का करीब तीन महीने तक पालन किया।

क्या आप अभी से 2028 में लॉस एंजलिस ओलिंपिक के बारे में सोच रही हैं?

टोक्यो ओलिंपिक खत्म होते ही मेरी नजर पेरिस पर थी और अब मेरे दिमाग में चार साल बाद लॉस एंजलिस में होने वाले ओलिंपिक पर है। मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना है।

क्या आपने पीवी सिंधु की ट्रोलिंग पर हमला करने के लिए एक फर्जी प्रोफाइल बनाया था?

हां, मैने ऐसा किया था। आमतौर पर मैं सोशल मीडिया पर ज्यादा नहीं रहती हूं। आप ऐसे ‘कीबोर्ड वारियर’ को रोक नहीं सकते हैं, लेकिन अगर फिर कुछ ऐसा हुआ और मुझे समय मिला तो मैं दोबारा ऐसा कर सकती हूं।

प्रकाश पादुकोण ने एथलीटों को अधिक जवाबदेह होने के लिए कहा है, इस पर आप क्या कहेंगी?

प्रकाश सर वरिष्ठ हैं। वह भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ एथलीट में से एक हैं और वह अभी भी खेलों में सर्वोत्तम तरीके से अपना योगदान दे रहे हैं। इसलिए, अगर वह कुछ कह रहे हैं तो जरूर कुछ सोचा होगा।

पेरिस ओलिंपिक में भारत के प्रदर्शन पर आप क्या कहेंगी?

हमने आठ पदक जीते और आठ खेलों में चौथे स्थान पर रहे। मुझे यकीन है कि भारत इससे कहीं बेहतर कर सकता है। हम सही दिशा में जा रहे हैं। यही वजह है कि एथलीट भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर हम कुछ बड़ा बदलाव करना चाहते हैं तो हमें कुछ बड़े कदम भी उठाने पड़ेंगे।

कोई उदाहरण दें?

जमीनी स्तर पर कार्यक्रम शुरू करना महत्त्वपूर्ण है। हमें कम उम्र से ही एथलीटों की पहचान करने की जरूरत है।

क्या भारत ओलिंपिक की मेजबानी के लिए तैयार है?

हम प्रगति देख रहे हैं, लेकिन हम यह नहीं कह सकते हैं कि अगले पांच अथवा दस वर्षों में क्या होगा। असल सवाल है कि क्या खेलों का आयोजन इतनी अच्छी तरीके से किया जा सकता है? ईमानदारी से कहूं तो यह सरकार और कॉरपोरेट संस्थाओं पर निर्भर करता है।

एक निशानेबाज के तौर पर आप शारीरिक फिटनेस को कितना तवज्जो देती हैं?

अगर आप लंबे समय तक खेलना चाहते हैं तो आपको शारीरिक तौर पर मजबूत होना होगा।

विनेश फोगाट की अयोग्यता पर आप क्या कहेंगी?

मुझे इसकी तकनीकी जानकारी नहीं है कि क्या हुआ था और क्या होना चाहिए था या क्या नहीं होना चाहिए था। मैं बस इतना कह सकती हूं कि मैं उन्हें साल 2017 या 2018 से जानती हूं और मेरा मानना है कि वह एक फाइटर हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए तुर्किये के निशानेबाज यूसुफ डिकेक के बारे में आप क्या सोचती हैं?

सभी निशानेबाजों को अपना खाली हाथ पॉकेट अथवा बेल्ट में रखना होता है। यूसुफ की तरह मैं भी अपना हाथ पॉकेट में रखती हूं। जहां तक गियर के इस्तेमाल की बात है यह अलग-अलग व्यक्ति पर निर्भर करता है। यह व्यक्तिगत पसंद है और आप उपकरण के लिए कितने अभ्यस्त हैं यह भी दर्शाता है।

First Published : September 2, 2024 | 11:13 PM IST