facebookmetapixel
Earthquake Today: अंडमान में धरती डोली! 5.4 तीव्रता के झटकों से दहशतFPIs ने फिर खोला बिकवाली का सिलसिला, नवंबर में निकाले ₹12,569 करोड़Market Outlook: इस हफ्ते शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे महंगाई डेटा और तिमाही नतीजेMCap: टॉप-10 कंपनियों की मार्केट कैप में भारी गिरावट, Airtel-TCS सबसे ज्यादा प्रभावितथाईलैंड जाने वाले सावधान! शराब पीना अब महंगा, नियम तोड़ा तो लगेगा 27,000 रुपये तक का जुर्मानाDelhi AQI Today: दिल्ली में जहरीली धुंध! AQI 400 पार, सांस लेना हुआ मुश्किल; GRAP 3 हो सकता है लागू!डिजिटल गोल्ड के झांसे से बचें! सेबी ने बताया, क्यों खतरे में है आपका पैसाकेंद्र सरकार ने चीनी निर्यात पर लगाई मुहर, मोलासेस टैक्स खत्म होने से चीनी मिलों को मिलेगी राहतCDSCO का दवा कंपनियों पर लगाम: रिवाइज्ड शेड्यूल एम के तहत शुरू होंगी जांचें; अब नहीं चलेगी लापरवाहीपूर्वोत्तर की शिक्षा में ₹21 हजार करोड़ का निवेश, असम को मिली कनकलता बरुआ यूनिवर्सिटी की सौगात

भारत के छोटे कार बाजार में ऑडी की दिलचस्पी नहीं

Last Updated- December 05, 2022 | 4:41 PM IST


लक्जरी कार बनाने वाली मशहूर जर्मन कंपनी ऑडी भारत में अपना कारोबार बढ़ाना चाहती है। लेकिन टाटा की तर्ज पर सस्ती और छोटी कार यहां उतारने का उसका कोई इरादा नहीं है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं कि भारतीय बाजार में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है।


ऑडी उत्पादन गतिविधियों में यहां 2015 तक तकरीबन 195 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना चुकी है। भारत में वह ऑडी टीटी, 8 सीडान, 6, 4 और क्यू 7 मॉडल उतार चुकी है। ऑडी एजी के प्रबंधक बोर्ड के चेयरमैन रूपर्ट स्टैडलर इंगोलस्टैट में पिछले दिनों कंपनी के वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में आए थे। इस मौके पर बिजनेस स्टैंडर्ड की संवाददाता अमीना शेख ने भारत में विस्तार की कंपनी की योजनाओं और भारतीय कार बाजार के सूरतहाल के बारे में उनसे खास बातचीत की। पेश हैं उसके मुय अंश :


प्रश्न : ऑडी के लिए भारतीय बाजार कितना अहम है?


उत्तर : फिलहाल भारत में प्रीमियम कारों की श्रेणी बहुत छोटी है। लेकिन विदेश की सैर करने वाले भारतीयों की संया बढ़ रही है, उनकी क्रय शक्ति बढ़ रही है और उसी के मुताबिक हालात भी बदल रहे हैं। मिसाल के तौर पर जब कोई प्रवासी भारतीय लौटकर भारत जाता है, तो वह उसी कार को रखना पसंद करता है, जो विदेश में उसके पास होती है। इस तरह भारत में भी प्रीमियम कारों के ग्राहक बढ़ते जा रहे हैं। जाहिर है कि हमारे लिए यहां पैठ बनाने का सही मौका है। हम औरंगाबाद में अपने कारखाने में ऑडी के निर्माण का निर्णय ले चुके हैं। मुंबई में हमारा सेल्स ऑफिस भी है। लेकिन यहां बुनियादी ढांचा सबसे बड़ी दिक्कत है। दूसरे एशियाई बाजारों के मुकाबले इस मामले में यहां काफी काम बाकी है। यदि यह मामला सुधर जाता है, तो प्रीमियम कारों की मांग भी भारत में बढ़ जाएगी। अगले 5 से 10 साल में प्रीमियम कारों की सालाना बिक्री 4,000 से बढ़कर 20,000 तक भी पहुंच सकती है।


प्रश्न : भारत के बाजार के लिए ऑडी की क्या योजना है?


उत्तर : भारत में बाजार बढ़ने में अभी वक्त लगेगा। हमें भी डीलरशिप नेटवर्क सुधारना होगा। पिछले साल भारत में हमारे 3 डीलर थे। लेकिन इस साल गुड़गांव और हैदराबाद में भी हमारे शोरूम खुल चुके हैं। कुछ ही दिनों में हम पुणे और चंडीगढ़ में भी दस्तक देने जा रहे हैं। यह साल खत्म होतेहोते भारत में हमारे कम से कम 10 डीलर हो जाएंगे।


प्रश्न : क्या ऑडी भारत में दूसरा निर्माण संयंत्र लगाने के बारे में सोच रही है?


उत्तर : इस समय तो नहीं। अभी तो हम औरंगाबाद संयंत्र पर ही ध्यान दे रहे हैं। हम 2015 तक वहां उत्पादन क्षमता 6,000 कार सालाना तक पहुंचाना चाहते हैं। अभी तो औरंगाबाद संयंत्र में ही काफी कम कारें बन रही हैं। इसलिए दूसरे संयंत्र का कोई तुक नहीं दिख रहा। लेकिन अगले सातआठ साल में हम भारत में 195 करोड़ रुपये खर्च करने का निश्चय कर चुके हैं।


प्रश्न : क्या ऑडी भारत के अपने संयंत्र में स्थानीय कलपुर्जों का इस्तेमाल करेगी?


उत्तर : भारत में हम आपूर्तिकर्ताओं की तलाश में जुटे हुए हैं। हालांकि अभी हम बहुत कम कारें बना रहे हैं और कलपुर्जे बनाने वाली भारतीय कंपनियों को हमारे साथ जुड़ने में ज्यादा दिलचस्पी शायद नहीं होगी। लेकिन आगे चलकर हम भारत से ही कलपुर्जे ले सकते हैं।


प्रश्न : क्या आप भारत में टाटा की चुनौती का जवाब देंगे? ऑडी का छोटी कार बनाने का कोई इरादा है?


उत्तर : बिल्कुल नहीं। छोटी कार का नाम ही हमारी फेहरिस्त में नहीं है। ऑडी प्रीमियम ब्रांड ही बनी रहेगी। जब तक टाटा के ग्राहक प्रीमियम कार खरीदने लायक नहीं हो जाते, तब तक हम इंतजार कर लेंगे।


प्रश्न : ऑडी अपने कार मॉडल्स में क्या नया ला रही है?


उत्तर : हम कारों के बीच संचार और यातायात के बीच निर्देशन करने वाली प्रणाली विकसित करने पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा हम सुरक्षा, यातायात की मात्रा और जलवायु सुरक्षा पर भी ध्यान दे रहे हैं।हमारा सबसे उम्दा अनुसंधान एक खास तरह की प्रणाली पर है। ड्राइवर मॉनिटरिंग नाम की यह प्रणाली चालक की पलकों पर नजर रखती है। अगर थकान की वजह से चालक ऊंघने लगता है या अचानक उसे झपकी आ जाती है, तो यह प्रणाली उसे तुरंत चेतावनी देने लगती है।

First Published - March 18, 2008 | 10:56 PM IST

संबंधित पोस्ट