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Explainer: आखिर क्यों मोदी सरकार क्रोएशिया को दे रही इतना महत्व? 

पीएम मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री बनें, जो क्रोएशिया की आधिकारिक यात्रा पर गए।

Last Updated- June 19, 2025 | 7:34 PM IST
PM Modi- Croatia PM
क्रोएशिया के प्रधानमंत्री के साथ पीएम मोदी/ X

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन देशों (साइप्रस, कनाडा, क्रोएशिया) की यात्रा पूरी कर दिल्ली लौट आए हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीन देशों की यात्रा,  ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनका पहला विदेश दौरा है, वहीं पीएम मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री बनें, जो क्रोएशिया की आधिकारिक यात्रा पर गए।

कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साइप्रस और क्रोएशिया की आधिकारिक यात्रा को रणनीतिक संदेश और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसर तलाशने के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी के इस दौरे के बाद, विदेश मंत्री एस. जयशंकर एक महीने के भीतर फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड, डेनमार्क, जर्मनी और यूरोपीय संघ के दौरे पर जाएंगे। यह भारत-ईयू संबंधों की बढ़ती अहमियत को दर्शाता है, खासकर यूक्रेन युद्ध, डोनाल्ड ट्रम्प के व्हाइट हाउस में पुनः चुनाव और ईयू की चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति के बाद। याद रहे कि इस वर्ष फरवरी में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ऊर्सुला वॉन डेर लाईन का भारत का अभूतपूर्व दौरा भी इस रणनीतिक विविधता के हिस्से के रूप में देखा गया।

पीएम मोदी का क्रोएशिया दौरा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्रोएशिया की राजधानी ज़ाग्रेब में क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेन्कोविक से भेंट की। बान्सकी द्वोरी महल में प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया गया। पीएम मोदी को गार्ड-ऑफ-ऑनर दिया गया और क्रोएशिया सरकार के वरिष्ठ सदस्यों ने पीएम मोदी से मुलाकात की और उनका क्रोएशिया में स्वागत किया। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई, जिसमें दोनों ही देशों के प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशियाई योग प्रेमियों को आगामी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं भी दीं।

India- Croatia के बीच किन-किन क्षेत्रों में होगा सहयोग

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय साझेदारी के विभिन्न पहलुओं जैसे व्यापार, निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा, अंतरिक्ष, सांस्कृतिक सहयोग और जन संपर्क पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर, पोर्ट, डिजिटलाइजेशन, एआई, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। दोनो देशों ने स्टार्टअप और नवाचार सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के माध्यम से बेहतर कनेक्टिविटी पर सहमति जताई। क्रोएशिया को भारत के लिए मध्य और दक्षिण-पूर्वी यूरोप का प्रवेश द्वार बनाने की संभावनाएं चर्चा में आईं।

दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुधार, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशिया की आतंकवाद के खिलाफ भारत के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। साथ ही भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र निष्पादन पर सहमति बनी।

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द्विपक्षीय वार्ता (Bilateral Talks) के बाद कृषि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति तथा हिंदी चेयर के नवीनीकरण के क्षेत्रों में चार समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। 

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत और क्रोएशिया के बीच व्यापार 2017 में $199.45 मिलियन से बढ़कर 2023 में $337.68 मिलियन हो गया है। भारत मुख्य रूप से दवाइयां, रसायन, मशीनरी और वस्त्र निर्यात करता है, जबकि क्रोएशिया रसायन, सटीक उपकरण, लकड़ी के उत्पाद और रबर के सामान भारत को भेजता है।

2001 से 2022 की तीसरी तिमाही तक भारत का क्रोएशिया में कुल प्रत्यक्ष निवेश 40.05 मिलियन यूरो था, जबकि क्रोएशिया का भारत में निवेश 5.55 मिलियन यूरो था।

PM से पहले EAM ने की थी क्रोएशिया की यात्रा

3 सितंबर 2021 को, भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने क्रोएशिया का पहला आधिकारिक दौरा किया। उन्होंने क्रोएशियाई प्रधानमंत्री अंद्रेज़ प्लेंकोविक से ज़ाग्रेब में मुलाकात की और फार्मा, डिजिटल, बुनियादी ढांचे सहित द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार के अवसरों पर चर्चा की। विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने क्रोएशियाई विदेश मंत्री गोरदान ग्रली रडमैन से भी मुलाकात की। मार्च 2023 में, विदेश मंत्री रडमैन ने नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग में भाग लिया और डॉ. जयशंकर के साथ रक्षा सहयोग पर एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए।

क्रोएशियाई पूर्व राष्ट्रपति कोलिंडा ग्रबार कितारोविच ने मार्च 2023 में भारत का दौरा किया, जिसमें उन्होंने दिल्ली, हैदराबाद, उदयपुर और आगरा जैसे चार शहरों का भ्रमण किया और तीन शहरों में सार्वजनिक भाषण दिए।

आखिर क्यों मोदी सरकार क्रोएशिया को दे रही इतना महत्व

अद्रियाटिक सागर तट पर स्थित क्रोएशिया यूरोप के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है। इसके प्रमुख बंदरगाह – रिजेका, स्प्लिट और प्लोचे – ट्रांस-यूरोपियन ट्रांसपोर्ट नेटवर्क (TEN-T) के प्रमुख मार्गों पर स्थित हैं।

क्रोएशिया भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) के विस्तार में अहम भूमिका निभा सकता है, जो भारतीय व्यापार को भूमध्य सागर मार्ग से यूरोप से जोड़ेगा। IMEC का विस्तार 3SI (थ्री सीज़ इनिशिएटिव) में शामिल केंद्रीय व पूर्वी यूरोपीय देशों से भी जुड़ेगा।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरुमार्शल टिटो की दोस्ती से पीएम मोदी की यात्रा तक 

क्रोएशिया गणराज्य ने 25 जून 1991 को स्वतंत्रता की घोषणा की, जब उसने पूर्व सोशलिस्ट फेडरल रिपब्लिक ऑफ़ यूगोस्लाविया से अलगाव किया। भारत ने मई 1992 में आधिकारिक रूप से क्रोएशिया को मान्यता दी और 9 जुलाई 1992 को राजनयिक संबंध स्थापित किए। क्रोएशिया ने फरवरी 1995 में नई दिल्ली में अपना रेजिडेंट मिशन खोला। भारत ने 28 अप्रैल 1996 को ज़ाग्रेब में अपना मिशन खोला, जिसे जनवरी 1998 में एंबेसडोर स्तर पर अपग्रेड किया गया।

पूर्व यूगोस्लाविया के दिनों में, क्रोएशिया ने भारत और यूगोस्लाविया के बीच करीबी संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों देशों के बीच व्यापार का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा क्रोएशिया का था, जिसमें 1970 और 1980 के दशकों में भारत द्वारा क्रोएशियाई जहाजों की बड़ी खरीद शामिल थी। मार्शल टिटो, जो तीन दशकों से अधिक समय तक यूगोस्लाविया के शासक रहे, एक क्रोएट थे और उन्होंने भारतीय नेतृत्व के साथ करीबी संबंध बनाए रखे। प्रधानमंत्री नेहरू और मार्शल टिटो गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अग्रदूत भी थे।

क्रोएशिया की स्वतंत्रता के बाद भी ये मैत्रीपूर्ण संबंध जारी रहे, हालांकि स्वतंत्रता के बाद क्रोएशिया का मुख्य ध्यान पहले यूगोस्लाविया के टूटने के बाद हुए जातीय संघर्ष को संबोधित करने और बाद में नाटो (1 अप्रैल 2009) और यूरोपीय संघ (1 जुलाई 2013) में एकीकरण पर था। क्रोएशिया ने शेंगेन ज़ोन में प्रवेश किया और 1 जनवरी 2023 को यूरो मुद्रा अपनाई, जो चुनौतीपूर्ण समय में सभी मानदंडों को पूरा करता है। क्रोएशियाई सरकार का अगला लक्ष्य आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) में शामिल होना है।

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First Published - June 19, 2025 | 6:44 PM IST

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