राजनीति

वृद्धावस्था देखते हुए सज्जन को मौत की सजा नहीं दी : अदालत

उच्च न्यायालय ने कुमार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों की एक घटना के दौरान पांच लोगों की मौत का दोषी ठहराया था।

Published by
भाषा   
Last Updated- February 25, 2025 | 11:29 PM IST

दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े हत्या के एक मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि कुमार की वृद्धावस्था और बीमारियों को देखते हुए उन्हें मृत्युदंड के बजाय कम कठोर सजा दी गई है। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने कहा कि इस मामले में ‘दो निर्दोष व्यक्तियों’ की निर्मम हत्या बेशक कोई छोटा अपराध नहीं है, लेकिन यह ‘दुर्लभतम मामला’ नहीं है, जिसके लिए मौत की सजा दी जाए। यह फैसला एक नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़े मामले में आया।

न्यायमूर्ति बावेजा ने कहा कि कुमार ने जो अपराध किए, वे निस्संदेह क्रूर और निंदनीय थे, लेकिन उनकी 80 साल की उम्र और बीमारियों सहित कुछ ऐसे कारक भी थे, जो ‘उन्हें मृत्युदंड के बजाय कम कठोर सजा देने के पक्ष में थे।’

भारतीय कानून में हत्या के अपराध के लिए अधिकतम मृत्युदंड, जबकि न्यूनतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। शिकायकर्ता, जसवंत की पत्नी और सरकार ने मामले में अधिकतम सजा देने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा, ‘जेल प्राधिकारियों की रिपोर्ट के मुताबिक अपराधी का ‘संतोषजनक’ आचरण, जिन बीमारियों से वह पीड़ित है, यह तथ्य कि अपराधी की समाज में जड़ें हैं और उसमें सुधार एवं पुनर्वास की गुंजाइश उन कारकों में शामिल हैं, जो मेरी राय में फैसले को मृत्युदंड के बजाय आजीवन कारावास की सजा के पक्ष में झुकाते हैं।’

अदालत ने कहा कि ‘कुमार के व्यवहार को लेकर कोई शिकायत सामने नहीं आई है’ और जेल प्राधिकारियों की रिपोर्ट के हिसाब से कुमार का आचरण ‘संतोषजनक’ था। न्यायमूर्ति बावेजा ने कहा कि यह मामला उसी घटना का हिस्सा है और इसे उसी घटना की निरंतरता के रूप में देखा जा सकता है, जिसके लिए कुमार को 17 दिसंबर, 2018 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

उच्च न्यायालय ने कुमार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों की एक घटना के दौरान पांच लोगों की मौत का दोषी ठहराया था। न्यायमूर्ति बावेजा ने कहा, ‘मौजूदा मामले में दो निर्दोष व्यक्तियों की हत्या यकीनन कोई कम बड़ा अपराध नहीं है, लेकिन मेरी राय में उपरोक्त परिस्थितियां इसे ‘दुर्लभतम मामला’ नहीं बनातीं, जिसके लिए मृत्युदंड दिया जाना उचित हो।’

First Published : February 25, 2025 | 11:17 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)