अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बिहार पवेलियन दिल्ली में रहने वाले बिहार के लोगों के अलावा दिल्ली वासियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
इस बार बिहार पैवेलियन का थीम पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का ‘विजन 2020’ है। इस अंतरराष्ट्रीय मेले के आधारभूत ढांचा और महिला सशक्तिकरण के थीम को भी बिहार पवेलियन ने अपनाया है। इस पवेलियन में नेत्रहीन और विकलांग दर्शकों के लिए भी खास इंतजाम किया गया है। नेत्रहीनों के लिए गाइड के इंतजाम भी किए गए हैं।
बिहार पैवेलियन के निदेशक आर सी राय का कहना हैं कि इस बार हम देश को यह संदेश देने के मकसद से आए हैं कि बिहार में विकास के लिए संभावनाएं बन रही हैं और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी राज्य सरकार पूरा सहयोग देने के लिए तैयार है।
राय ने बताया कि, ‘बिहार औद्योगिक विकास प्राधिकरण उद्योगों से संबंधित प्रोजेक्ट के लिए और आधारभूत संरचना विकास प्राधिकरण अलग तरह के संस्थानों के निर्माण के लिए काम कर रहा है। यहां सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत योजनाओं को अंजाम देने की कवायद हो रही है।’ उनका कहना है कि बिहार में लैंड बैंक के जरिए भी उद्यमियों को सहयोग देने की कोशिश हो रही है।
वरिष्ठ परियोजना अभियंता आर. पी. सिंह का कहना है,’ बिहार में 519 पुल बनाने का काम शुरू किया गया है। इस योजना पर 2007-08 में काम शुरू हुआ है और अब 172 पुलों पर काम पूरा हो चुका है। इन पुलों का निर्माण 550 प्रखंडों में करने की कोशिश हो रही है। इस पैवेलियन की साज-सज्जा और प्रबंधन का जिम्मेदारी बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने संभाली है।
इस हॉल में बिहार के उद्योग, वन विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे उपायों की झलकियों को पेश करने की कोशिश की गई है। महिला विकास निगम के स्टॉल पर बिहार में महिला सशक्तिकरण के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सशक्तिकरण की राह तैयार करने की कवायदों के बारे में भी बताने की कवायद की जा रही है।
आपको यहां ऐसे कुर्ते, साड़ी और दुपट्टे भी दिखाई देंगे जिसमें मधुबनी पेंटिंग की गई है। मधुबन स्वयं सहायता समूह के रामकेवल प्रसाद कहते हैं कि उनके पास बांस और जूट से बने हुए 10 से 2000 रुपये तक के सामान हैं। थोड़ा आगे बढ़ने पर भागलपुर का बेहद मशहूर हाथ से बने सिल्क के कपड़ों की भी प्रदर्शनी लगी हुई है।
आप बिहार के बेहद मशहूर व्यंजनों का आनंद भी ले पाएंगे जिसमें लिट्टी-चोखा का नाम सबसे पहले आता है। यहां मुजफ्फरपुर के मशहूर लीची के जूस भी स्टॉल बने हुए हैं। इसके अलावा आप अनरसा, तिलकुट, लाई और खाजा का स्वाद भी ले सकते हैं।