दिल्ली में चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस चुनावी महासमर में पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स बनाने वालों की भी चांदी हो जाती है। लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है।
एक तो बाजार में मंदी का माहौल है, दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने अपने सख्त दिशा-निर्देश जारी कर दिए है। इस वजह से इनका कारोबार काफी कम हो गया है।
पर्चे, बैनर का कारोबार फीका पड़ गया है। दिलशाद गार्डेन के झिलमिल में पोस्टर और पंपलेट की छपाई करने वाली कंपनी जस्टप्रिंट के मालिक मनु अरोड़ा ने कहा, ‘कागजों और प्रिंट सामग्री की कीमतें बढ़ जाने से लागत बढ़ गई है। पिछले चुनाव में पोस्टरों, होर्डिंग, बैनर की मांग काफी अधिक थी, लेकिन इस बार ऑर्डर काफी कम आ रहे हैं। इसके अलावा दामों में मोल भाव किया जाता है।’
प्रचार अभियान से जुड़ी सामग्रियों के कारोबार को मंदी के साथ-साथ चुनाव आयोग के निर्देशों से भी धक्का लगा है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने शहर में चुनाव से जुड़े होर्डिंग्स को हटाने के आदेश को मंजूरी दे दी है।
अवैध राजनीतिक होर्डिंग्स को अगर लगाया जाता है, तो इसे चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। एमसीडी की स्थायी समिति के अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा, ‘इस बाबत दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं और इसका उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’
झुका चुनावी झंडा
दिल्ली में चुनावी झंडे का कारोबार लगभग 30 फीसदी कम हो गया है। सदर बाजार में चुनावी झंडा बनाने वाले मुश्ताक कहते हैं, ‘ पिछले चुनाव में हमने 10 लाख झंडे बेचे थे, वहीं इस बार यह घटकर लगभग 7 लाख के आस पास पहुंच गया है।’