उत्तर प्रदेश में वैट की 12.5 फीसदी दर से परेशान वाहन पुर्जा निर्माताओं के हरियाणा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में जाने की खबरों के बाद दिल्ली के ऑटो पाट्र्स कारोबारी अब राष्ट्रीय राजधानी के बाजारों से भी हाय तौबा करते नजर आ रहे हैं।
वैट की बढ़ी हुई दर और एकीकृत औद्योगिक इलाकों में जाने को लेकर सरकारी ऊहापोह दिल्ली के वाहन पुर्जा कारोबारियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। ऑटोमोटिव पाट्र्स मर्चंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कीमती जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि दिल्ली में वाहन पुर्जों का कारोबार करने पर हमें 12.5 की दर से वैट अदा करना पड़ता है।
जबकि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों जैसे राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में वैट की दर 4 फीसदी है। वैट की ऊंची दर के कारण खुदरा कारोबारी इन राज्यों से माल की खरीद कर रहे हैं। ऐसे में हमारा कारोबार पिछले साल की अपेक्षा 40 फीसदी तक कम हो गया है।
जैन ने बताया कि समस्या यहीं नहीं खत्म होती है। दिल्ली सरकार द्वारा औद्योगिक इकाइयों को एकीकृत औद्योगिक क्षेत्रों में जाने का फरमान जारी किया गया है। लेकिन अभी हमें एकीकृत औद्योगिक क्षेत्र में जमीन आंवटित नहीं की गई है। इसलिए कारोबार को चलाने के लिए स्थान न मिल पाने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
इस बाबत चावड़ी बाजार के वाहन पुर्जा कारोबारी संजीव नागपाल का कहना है कि इसके पहले एकीकृत औद्योगिक क्षेत्रों में पेपर और केमिकल कारोबारियों को जमीन आवंटित की गई है। लेकिन उनमें भी कई तरह की असुविधाएं है। हमें लग रहा है कि सरकारी नीतियों के कारण कहीं हमारा अच्छा-खासा चल रहा धंधा बैठ न जाए। एसोसिएशन के अन्य सदस्यों ने बताया कि दिल्ली में इस कारोबार से लगभग 2 लाख लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए है।