उत्तर प्रदेश में पहले खरीफ की बोआई पानी को तरसी और जैसे तैसे फसल लगाने के बाद बेमौसम बारिश किसानों को बुरी तरह तबाह कर रही है। सितंबर के आखिरी दो हफ्तों की मूसलाधार बारिश के बाद बीते दो दिनों से हो रही बरसात ने उत्तर प्रदेश में किसानों को बरबादी के कगार पर खड़ा कर दिया है।
प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में गुरुवार और बुधवार को लगातार बरसात होने के कारण धान की तैयार फसल खेतों में गिर गई थी। किसानों का कहना है कि बरसात अगर ना रुकी और तेज धूप ना हुई तो भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। प्रदेश में इस बार मासून में देरी के चलते धान की बोआई बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। ज्यादातर अगैती फसल बोने वाले किसान इससे वंचित रह गए थे। धान की पछेती फसल की ज्यादातर हिस्सों में बोई गई थी।
गौरतलब है कि धान की बुआई के समय जून जुलाई व अगस्त के महीनों में बरसात बहुत कम या न के बराबर ही हुई थी। किसी प्रकार निजी संसाधनों से पानी की व्यवस्था कर किसानों ने धान की फसल तैयार की। थोड़ा बहुत अगैती धान की फसल बोने वाले किसानों को सितंबर के आखिरी दो हफ्तों में हुई मूसलाधार बरसात ने भारी नुकसान पहुंचाया था। मौजूदा समय में पछेती धान की फसल लगभग तैयार खड़ी थी। हफ्ते 10 दिन में धान की कटाई की तैयारी में किसान जुटे हुए थे। मगर गुरुवार और बुधवार को बरसात ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
किसानों का कहना है कि धान की फसल खेतों में तैयार खड़ी थी और बालियां पक चुकी हैं। बीते दो दिनों में हुयी जोरदार बारिश के बाद तैयार फसल खेतों में ही गिर गयी है। अब धान की फसल को बचाने के लिए जरुर है कि बरसात बंद होते ही तेज धूप निकले। बारिश बंद न होने और तेज धूप न होने की दशा में धान खेतों में ही सड़ जाएगा। हालांकि उनका कहना है कि सूखने के बाद भी अब धान की बालियों के भीतर चावल के काला पड़ जाने का अंदेशा है जिसे बाजार में बेंचना मुश्किल हो जाएगा।
अक्टूबर के पहले हफ्ते में हो रही बेमौसम बरसात के अकेले धान की फसल को ही नुकसान नहीं पहुंचा है बल्कि सब्जियों, सरसों सहित अगली फसल की बोआई की तैयारी पर भी असर पड़ा है। इस बार धान की खेती कर पाने के चूके किसानों ने पहले ही आलू की बोआई शुरु कर दी थी। जहां एक ओर खेतों में बोआ हुआ आलू सड़ जाने का खतरा है वहीं पानी भर जाने के चलते अब आगे बोआई भी पिछड़ेगी। कृषि विशेषज्ञ डा. सुशील कुमार सिंह का कहना है कि सब्जी की फसलों में गाजर, मूली, चुकंदर धनिया, सोया पालक, मेथी की बुआई का समय चल रहा था दूसरी तरफ सरसों की बुआई के लिए किसान अपने खेत तैयार कर रहे थे। अधिक बरसात होने से बुआई भी प्रभावित हुई है। उनका कहना है कि बरसात से धान, ज्वार, बाजरा, सफेद तिल को अधिक नुकसान होता है।