बेहतर मॉनसून के चलते धान की बढिय़ा रोपाई के बाद अब उत्तर प्रदेश में खाद का संकट गहराने लगा है। ज्यादातर जगहों पर जहां सरकारी केंद्रों पर खाद की कमी है तो खुले बाजार में इसकी कालाबाजारी हो रही है। इस साल बड़े पैमाने पर नेपाल को हुई खाद की तस्करी ने भी तराई इलाकों में संकट बढ़ाया है।
मांग के मुताबिक खाद उपलब्ध कराने के लिए खुद मुख्यमंत्री की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं। उंचे दामों पर खाद की बिक्री की खबरें मिलने के बाद कई जिलों में छापेमारी भी की जा रही है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि अब तक प्रदेश में सरकारी व निजी दुकानों को 25.67 लाख टन यूरिया पहुंचाई जा चुकी है जबकि कुछ स्टॉक पहले का भी मौजूद था। किसानों के बीच बढ़ी मांग को देखते हुए प्रादेशिक कोआपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) को 40000 टन और भी रिलीज करने को कहा गया है।
उत्तर प्रदेश में इस बार बेहतर मॉनसून के चलते करीब 60 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई की गई है। यह बीते सालों से दो लाख हेक्टेयर ज्यादा है। धान का रकबा बढऩे के चलते और लगातार बारिश से अब किसानों को यूरिया जा जरुरत महसूस हो रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रकबा बढऩे और तय समय से रोपाई पूरी हो जाने के चलते इस बार बीते सालों के मुकाबले दोगुना यूरिया की मांग बढ़ी है। इसी महीने 22.89 लाख टन के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 27.31 लाख टन यूरिया की खपत हो चुकी है। बीते साल इस समय तक केवल 20 लाख टन यूरिया की खपत हुयी थी।
सरकारी बिक्री केंद्रों पर सब्सिडी वाली यूरिया की 45 किलो की बोरी 267 रुपये में दी जाती है जबकि खुले बाजार में इसकी कीमत 951 रुपये है। भारी अंतर होने के चलते सरकारी बिक्री केंद्रों पर दबाव ज्यादा है। कई जिलों में खाद की कालाबाजारी की सूचना मिलने पर छापे मारे गए हैं और अब तक बाराबंकी, गोरखपुर, अयोध्या जैसे जिलों में दो दर्जन से ज्यादा खाद दुकानदारों के लाइसेंस भी रद्द किए गए हैं। किसान नेता कर्ण सिंह का कहना है कि बलरामपुर, श्रावस्ती और गोंडा जिलों में 400 से 450 रुपये बोरी यूरिया बिक रही है साथ ही किसानों को जबरदस्ती जिंक भी दिया जा रहा है। भारतीय किसान यूनियन के हरनाम वर्मा का कहना है कि मांग के मुताबिक बाजार में यूरिया उपलब्ध ही नहीं है।
तराई क्षेत्र के किसानों का कहना है कि नेपाल को हो रही यूरिया की तस्करी की वजह से भी हालात बिगड़े हैं। इस बार अच्छे मॉनसून के चलते नेपाल में भी जमकर धान की रोपाई हुई है और वहां खाद की मांग बढ़ी है। नेपाल के सीमावर्ती जिलों बलरामपुर, बहराइच, महराजगंज व लखीमपुर से यूरिया नेपाल जा रही है।