दिल्ली में चुनावी दंगल शुरू हो चुका है। रोजाना विभिन्न राजनैतिक पार्टियां लोक-लुभावन वादे कर रही हैं।
सड़कें, स्कूल-कॉलेज, स्ट्रीट लाइटें न जाने क्या-क्या। लेकिन कोई भी नेता यह कहते हुए नहीं सुना जा रहा है कि व्यापारियों को इंस्पेक्टर राज से निजात दिला देंगे, सदर बाजार, चांदनी चौक या फिर कश्मीरी गेट जैसे व्यापारिक गढ़ों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी, कारोबारियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था होगी या उन्हें सुरक्षा की पूरी गारंटी सुनिश्चित की जाएगी।
दिल्ली के व्यापारियों को इन्हीं बातों का मलाल है। कारोबारियों के मुताबिक दिल्ली की आय में उनकी बड़ी हिस्सेदारी है। फिर भी वे सबसे उपेक्षित है। कश्मीरी गेट स्थित ऑटोमोबाइल पाट्र्स बाजार के कारोबारी नरेंद्र मदान कहते हैं, ‘कश्मीरी गेट पर 10,000 से अधिक दुकानें हैं, लेकिन यहां बुनियादी सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। इलाके का विधायक सोचता है कि ये लोग हमारे मतदाता तो हैं नहीं, फिर हम इन्हें सुविधाएं क्यों दिलाए।’
वे यह भी कहते हैं कि दिल्ली के व्यापारियों को राहत दिलाने के लिए इंस्पेक्टर राज के साथ कर प्रणाली में भी संशोधन की जरूरत है। लारेंस रोड स्थित दाल मिल एसोसिएशन के पदाधिकारी अशोक गुप्ता कहते हैं, ‘जो सोयी रहे वही सरकार है। सरकारी नुमाइंदों को यह तक नहीं पता होता कि कौन सी उड़द की दाल है और कौन सी मूंग की। वे तो इसे ‘ग्रीन’ एवं ‘ब्लैक’ दाल के नाम से जानते हैं। ऐसे में व्यापारियों के हित की बात कैसे होगी।’
उनके मुताबिक दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों के व्यापारियों को इकट्ठा कर एक सलाहकार समिति का गठन किया जाना चाहिए। इसके अलावा सरकार को स्वतंत्र व्यापार की छूट देनी चाहिए। ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के पूर्व प्रधान ओम प्रकाश जैन कहते हैं, ‘इंस्पेक्टर राज खत्म करना होगा। फूडग्रेन इंस्पेक्टर, वैट इंस्पेक्टर, बिक्री कर इंस्पेक्टर न जाने कितने इंस्पेक्टर। भ्रष्टचार के पैसे ऊपर तक बंटते हैं।’
दिल्ली किराना कमेटी के सचिव ललित गुप्ता कहते हैं, ‘फिलहाल बाजार मंदा चल रहा है। लाजिमी है कि कर वसूली कम होगी। ऐसे में कर वसूली लक्ष्य को पूरा करने के लिए व्यापारियों को तंग किया जाएगा। आगामी सरकार को इन बातों को ध्यान रखना होगा कि व्यापारियों को तंग न किया जाए।’
आजादपुर मंडी में टमाटर के थोक व्यापारी अनिल मल्होत्रा कहते हैं, ‘आने वाली सरकार को किसान एवं आढ़ती का ध्यान रखना होगा तभी मंडी का अस्तित्व कायम रह सकता है। फल एवं सब्जी की खरीदारी के मामले में कॉरपोरेट जगत के रिटेल स्टोर पर सरकार का नियंत्रण होना जरूरी है।’
उन्होंने बताया कि मंडी में आने के लिए किसानों को आकर्षित करने के लिए उन्हें बीज एवं खाद जैसी चीजें मंडी में मुफ्त में उपलब्ध करानी पड़ेगी। ग्रीन पार्क मार्केट के रमेश दयाल ने बताया कि मेट्रो के निर्माण कार्य के कारण का उनका पूरा कारोबार ही खत्म हो गया है। कई बार ध्यान दिखाने के बाद भी सरकार ने अभी तक उनकी समस्याओं को नहीं सुना है। उन्होंने क्षतिपूर्ति दिए जाने की मांग की।
व्यापारियों के मुद्दे चुनावी वादों से हुए गायब
व्यापारियों को बुनियादी सुविधाओं, पार्किंग, सुरक्षा और इंस्पेक्टर राज से छुटकारे की दरकार
कहा कि मंदी में कर वसूली को लेकर बेवजह परेशान न करे सरकार