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धूम से शुरू हुए सिटी हो गए गुम

Last Updated- December 10, 2022 | 10:50 PM IST

चार साल पहले चंडीगढ़ में जिन नई परियोजनाओं के प्रस्ताव बड़े जोर शोर के साथ पेश किए गए थे, उन पर काम अटक गया है।
चंडीगढ़ प्रशासन ने तकरीबन 4-5 साल पहले ही प्रदेश में मेडिसिटी, फिल्म सिटी, एजुकेशन सिटी, थीम पार्क और आईटी पार्क बनाने की घोषणा की थी, पर हालत यह है कि अब तक इन परियोजनाओं पर कोई खास काम नहीं हो पाया है।
फिल्म सिटी, थीम पार्क और आईटी पार्क परियोजनाओं के जरिए कंपनियां इस केंद्र शासित प्रदेश में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश करने वाली थीं। वहीं एजुकेशन सिटी और मेडिसिटी के जरिए भी प्रदेश में अच्छा खासा निवेश प्रस्तावित था। पर फिल्म सिटी, मेडिसिटी, थीम पार्क और सूचना प्रौद्योगिकी पार्क अब केंद्रीय सतर्कता आयोग की निगरानी से गुजरेगा और चंडीगढ़ प्रशासन अब इस पूरे मसले से पल्ला झाड़ने की कोशिश में है।
दरअसल, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इन परियोजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाने के बाद प्रशासन इन परियोजनाओं को लेकर उधेड़बुन में फंस गया था। चंडीगढ़ प्रशासन पर यह आरोप लगाया जा रहा था कि उसने न केवल इन परियोजनाओं की घोषणा में गड़बड़ी की बल्कि ठेका देते वक्त भी सरकार ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है।
प्रदेश के लिए घोषित नई परियोजनाओं में से कुछ में गड़बड़ी को देखते हुए चंडीगढ़ प्रशासक प्रदीप मेहरा ने इस मसले पर स्वतंत्र जांच कराने की मांग की और उसके बाद ही केंद्रीय सतर्कता आयोग ने इन परियोजनाओं से संबंधित फाइलें अपने पास मंगवाईं।
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक इन परियोजनाओं पर कोई भी फैसला आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही लिया जा सकता है। डेवलपरों का कहना है कि साइट निर्धारित करने संबंधी समस्याओं और 2 पावर लाइंस को नहीं हटाने की वजह से उन्होंने इन परियोजनाओं से हाथ खींचा है।
 माना जा रहा है कि प्रशासन पहले तो इन परियोजनाओं की घोषणा में टालमटोल कर रही थी और उसके बाद उसने परियोजना के लिए लीज अवधि को 33 साल से बढ़ाकर 99 साल कर दिया। सतर्कता आयोग ने इस मसले पर फाइलें मंगाई हैं और प्रशासन खुद को इस विवाद से दूर रखने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
रियल एस्टेट कंपनी पार्श्वनाथ के मल्टीमीडिया परियोजना से हाथ खींचने के बाद इस परियोजना का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। कुछ इसी तरह 73 एकड़ जमीन पर विकसित किए जाने वाले थीम पार्क पर भी आपत्तियां खड़ी की जा रही थीं। इस पार्क को विश्व प्रसिद्ध डिजनी पार्क की तर्ज पर बनाया जाना था।
 प्रशासन पर आरोप लगाया जा रहा है कि उसने यूनिटेक लिमिटेड को लेकर पक्षपात किया है जिसे बोली प्रक्रिया में विजेता घोषित किया गया था। याद रहे कि यूनिटेक को यह परियोजना 2006 में  ही सौंपी गई थी, पर 2008 तक इसका काम शुरू नहीं हुआ और अब यह आयोग के जांच के घेरे में है।
इधर, आईटी हैबिटैट के तीसरे चरण का काम भी विवाद के घेरे में आ गया है। माना जा रहा है कि प्रशासन ने किसानों को उनकी जमीन के बदले में कम पैसे का भुगतान किया है। इस आईटी हैबिटैट परियोजना का विकास पार्श्वनाथ डेवलपर्स करने वाली थी और अब इसे लेकर सीएजी रिपोर्ट में सवाल खड़ा किया गया है।
इस परियोजना के लिए चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड और पार्श्वनाथ के बीच जमीन को लेकर जो समझौता किया गया था, उसे लेकर विरोध जताया जा रहा था। लेकिन मंदी के कारण फिलहाल इन परियोजनाओं का काम शुरू होना मुश्किल ही है।

First Published - April 4, 2009 | 4:18 PM IST

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