तमिलनाडु ने जीएसटी, उपकर पर राय देने को गठित की परिषद

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:11 PM IST

तमिलनाडु सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के विशेष संदर्भ में राज्य और केंद्र की वित्तीय शक्तियों के संबंध में एक सलाहकार परिषद का गठन किया है। यह एक ऐसा कदम कि अगर अन्य राज्य भी ऐसा करते हैं, तो इससे केंद्र सरकार और राज्यों के बीच मतभेद बढऩे का डर पैदा हो जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अधिकार क्षेत्र से जीएसटी परिषद को नुकसान पहुंच सकता है।
उदाहरण के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार की अध्यक्षता वाली इस परिषद को जीएसटी की सहायता करने वाली संस्थागत व्यवस्था की समस्याओं की पहचान करने का भी काम सौंपा गया है, जिसमें निर्णय लेने वालों की स्वतंत्रता और जीएसटी न्यायाधिकरण का गठन भी शामिल है।
यह परिषद विभिन्न जिंसों पर लागू जीएसटी दरों के संबंध में दिक्कतों की भी पहचान करेगी।
इस सलाहकार परिषद को जीएसटी संग्रह और राज्य के अन्य करों में सुधार के लिए रणनीतियों का सुझाव देने के लिए भी कहा गया है। यह कर चोरी की पहचान करने के लिए प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल सहित जीएसटी के संबंध में अन्य राज्यों में अपनाई गई सर्वोत्तम कार्य-प्रणाली का भी अध्ययन करेगी।
इसके अधिकार क्षेत्रों में से एक में कहा गया है कि यह निकाय केंद्र द्वारा उपकर और अधिभार लगाने तथा राज्य के वित्त पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा।
एक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि किसी राज्य द्वारा जीएसटी के विभिन्न पहलुओं पर किसी समिति का गठन किए जाने का मतलब यह है कि जीएसटी के संबंध में अब राज्य और केंद्र के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आम तौर पर जीएसटी सुधार जीएसटी परिषद और नियुक्त किए गए मंत्रियों के समूहों द्वारा किए जाते हैं। यहां हम देख रहे हैं कि कोई राज्य क्या करना चाहिए, यह जानने के लिए किसीटीम की नियुक्ति कर रहा है
एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि तमिलनाडु ने ऐसा किया है और अगर अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करते हैं, तो इससे जीएसटी परिषद के लिए सुधारों के अगले चरण पर फैसला करने में बहुत मुश्किल होने वाली है।
उन्होंने कहा कि वैट (राज्य स्तर पर मूल्य संवर्धित कर) के दौर में ऐसा हुआ करता था, क्योंकि वैट कानून प्रत्ये राज्य में अलग-अलग थे। वे अलग-अलग दिशा में चलते थे। जीएसटी आने के उपरांत कुछ एकात्मकता थी, क्योंकि जीएसटी परिषद के पास केंद्र और राज्य दोनों ही हैं। अब अगर प्रत्येक राज्य ने अपनी खुद की टीम बनानी और अपनी खुद की सिफारिशें शुरू कर दी, तो नीतिगत दृष्टिकोण से जीएसटी के लिए काफी मुश्किल होने वाली है।

First Published : April 5, 2022 | 11:50 PM IST