इंडियन स्टील एलाइंस (आईएसए) की तर्ज पर देश के चार पूर्वी राज्यों के दूसरे दर्जे के इस्पात उत्पादों ने एक गठजोड़ बनाया है।
जो इस्पात उद्योग की छोटी कंपनियों से जुड़े मसलों को उठाएगा। दूसरे दर्जे का इस्पात पहले इस्तेमाल हो चुके लोहे को गलाकर बनाया जाता है।
शुरूआत में छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के दूसरे दर्जे के इस्पात निर्माता इस गठजोड़ में शामिल हुए हैं। छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन विनिर्माता संघ के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘बाद में दूसरे राज्यों को शामिल कर दूसरे दर्जे के इस्पात विनिर्माताओं के एक राष्ट्रीय परिसंघ का गठन किया जाएगा।’
चार राज्यों के करीब 20 प्रमुख स्पंज आयरन विनिर्माताओं की कोलकाता में हुई बैठक में इस गठजोड़ को अंतिम रूप दिया गया। नचरानी ने बताया कि ‘गठजोड़ का नाम और अन्य औपचारिकताओं को एक सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।’ नचरानी ने बताया कि बड़ी कंपनियों को सभी तरह की छूट का फायदा मिल रहा है जबकि छोटों को भाग्य भरोसे छोड़ दिया गया है।