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बच्चों को लुभाने की कवायद शुरू

Last Updated- December 08, 2022 | 2:04 AM IST

विद्यालय न जाने वाले छोटे बच्चों को पका हुआ भोजन 42,000 करोड़ रुपये की एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के तहत उपलब्ध कराया जाएगा।


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह यह निर्णय लिया। आर्थिक मामलों की एक समिति और महिला एवं बाल विकास विभाग के सुझावों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है।

कैबिनेट कमेटी ने निर्देश दिया है कि पका हुआ खाना बच्चों को आंगनबाड़ी और छोटी आंगनबाड़ियों में आईसीडीएस योजना के तहत अगले दो साल में उपलब्ध कराया जाए। पंचायती राज संस्थान इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए विशेष योगदान देंगे।

वे आंगनबाड़ी और छोटी आंगनबाड़ी के निर्माण के लिए जमीन और इमारत की व्यवस्था करेंगे। समिति की योजना यह भी है कि इसके लिए मंत्रियों के एक समूह (जीओएम)का गठन किया जाएगा। कैबिनेट द्वारा दिये गए इस निर्णय ने खाद्य अधिकारों की मांग को उठाने वाले समूहों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है।

यह निर्णय नन्हें मुन्हें बच्चों के लिए भोजन बनाने वाली इंडस्ट्री ,महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मंत्री रेणुका चौधरी, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के उस तर्क के आधार पर लिया गया है, जिसके तहत आंगनबाड़ी में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पका हुआ भोजन देने की बात की जा रही थी।

खास बात यह है कि इस योजना में लगभग 15 राज्यों में पका हुआ भोजन, 3 राज्यों में पका-पकाया भोजन और 11 राज्यों में इन दोनों का मिश्रित भोजन दिये जाने की बात कही गई है। भोजन के लिए अधिकार आंदोलन के बिराज पटनायक का कहना है कि इस बार हमारे लिए एक बिस्कुट पार्टी का आयोजन होगा।

आईसीडीएस का बजट लगभग 6,000 करोड़ रुपये तक है। इसमें 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 42,000 हजार रुपये अनुमोदित किये गये है। इस योजना में देश की 10.5 लाख आंगनबाड़ी के जरिये लगभग 5.5 करोड़ बच्चों को भोजन उपलब्ध करवाया जायेगा। हर बच्चे के भोजन के खर्च में आने वाले व्यय को 2 रुपये से बढ़ाकर 4 रुपये कर दिया गया है।

First Published - November 3, 2008 | 9:20 PM IST

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