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जम्मू में 43, कश्मीर में 47 सीटों की अनुशंसा

Last Updated- December 11, 2022 | 7:16 PM IST

जम्मू-कश्मीर को लेकर गठित तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने अपना कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले गुरुवार को हस्ताक्षरित अपने अंतिम आदेश में कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 47 जबकि जम्मू में 43 रखने की अनुशंसा की है। उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व वाले आयोग द्वारा अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की गई। अंतिम आदेश में जम्मू में छह जबकि कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा गया है। सीटों के पुनर्निर्धारण के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 90 हो जाएगी। फिलहाल इनकी संख्या 86 है जिनमें से 37 सीटें जम्मू में जबकि 46 कश्मीर में हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त, परिसीमन आयोग के पदेन सदस्य हैं। आयोग ने सिफारिश की है कि केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में कम से कम दो सदस्य मनोनीत हों, जिनमें से एक कश्मीरी प्रवासी समुदाय की महिला हो। आयोग ने एक बयान में कहा कि इनकी संख्या पुदुच्चेरी विधानसभा के मनोनीत सदस्यों के बराबर होनी चाहिए और उन्हें वोट देने का अधिकार हो। आयोग ने पहली बार अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटों का प्रस्ताव किया है। मार्च 2020 में गठित आयोग को पिछले साल, एक साल का विस्तार दिया गया था। फरवरी में, आयोग का कार्यकाल फिर से दो महीने के लिए बढ़ाया गया। पहले इसका कार्यकाल छह मार्च को समाप्त होना था।
घाटी में बढ़ाई जाने वाली एकमात्र विधानसभा सीट कुपवाड़ा जिले में है और इस जिले में छह सीट होंगी। अनंतनाग जिले को भी एक विधानसभा सीट मिली है और इसमें अब सात निर्वाचन क्षेत्र होंगे लेकिन पड़ोसी कुलगाम जिले में यह संख्या घटकर तीन हो गई है।
आयोग ने जनता की नाराजगी को देखते हुए श्रीनगर जिले के हब्बा कदल निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखा है लेकिन उसने अमीरा कदल, सोनावर और बटमालू निर्वाचन क्षेत्रों के नाम हटा दिए हैं। अमीरा कदल का नाम कश्मीर के 18 वीं सदी के अफगान गवर्नर अमीर खान के नाम पर रखा गया था जबकि बटमालू का नाम एक सूफी संत के नाम पर था जिनकी दरगाह राज्य सचिवालय के पास ही स्थित है।    

First Published - May 6, 2022 | 12:39 AM IST

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