दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में पाकिस्तान की मौजूदगी को सिर्फ व्यापार और वाणिज्य के प्रोत्साहन के तौर पर ही नहीं, बल्कि दोनों देशों के आपसी रिश्तों में बढ़ रही गर्मजोशी के रूप में भी देखा जा सकता है।
इस साल अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में पाकिस्तान की 80 से ज्यादा कंपनियां और निर्यातकभाग लेने के लिए पहुंच चुके हैं।
साझेदार देश का दर्द
मेले में आनेवाला हर शख्स पाकिस्तान के स्टॉल पर जाने को बेताब दिखाई दिया। हॉल संख्या 12-ए में पाकिस्तान से आई हुई कंपनियों और निर्यातकों का जमावड़ा है।
बेशक मेले में पहुंचने वाले तो बेहद खुश हैं, लेकिन पैवेलियन में कई खाली स्टॉलों के साथ निर्यातक और कंपनियां काफी गुमसुम दिखीं। कारण कस्टम में फंसा माल। कराची से व्यापार मेले में पहुंचे कपड़े के निर्यातक शोएब इशाक का कहना है, ‘हम आपको क्या दिखा सकते हैं। फिलहाल हम अपने साथ सड़क के रास्ते जितना माल लेकर आ सके, उसी के साथ स्टॉल पर बैठे हैं। हमें उम्मीद है कि दो-तीन दिन में हमारा पूरा माल पहुंच जाएगा।’
इसी हॉल में इंडोनेशिया, ईरान, भूटान आदि देशों के स्टॉल भी लगे हैं। निर्यातकों और व्यापारियों में इस मेले को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। लाहौर के व्यापारी मोहम्मद अकरम गुरुवार की रात इस मेले में शिरकत करने आए। उनके चेहरे पर काफी थकान है, लेकिन उनका सोने को जी नहीं कर रहा है, क्योंकि उनके मन में मेले को लेकर काफी जोश है।
क्या है खास बात
पाकिस्तान पैवेलियन में आपको हाथ से गढ़ी हुई साड़ियां, कुर्ते और परिधान, टेक्सटाइल, फैब्रिक्स, घरेलू सामान, सौंदर्य उत्पाद, इत्र, रसोई और मेज के लिए खास कवर, मसाले, प्रोसेस्ड फूड, मेवे, फूड कोर्ट सर्विंग और मांसाहारी भोजन की सामग्रियों की भरमार है।
व्यापारियों में है खुशी
करांची के सखी ट्रेडर्स के मालिक इरफान बताते हैं, ‘हमारे यहां सूट, साड़ी, पुरूषों के कुर्ते, शेरवानी, चप्पल और महिलाओं की जूतियों की बड़ी रेंज मौजूद है।’ इस्लामाबाद से आए व्यापारी मुनेश कहते हैं कि ‘हमारे स्टॉल पर 200 रुपये से 2000 रुपये तक के कश्मीरी और पाकिस्तानी शॉल हैं। हमने तो शुरुआती घंटे में ही 5000 रुपये का कारोबार कर लिया है। पिछले साल भी कारोबार अच्छा हुआ था।’
भारत के सामने नई चुनौतियां: अंसारी
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के उद्धाटन के मौके पर कहा है कि वैश्विक वित्तीय संकट से भारत के समक्ष नई चुनौतियां पैदा हुई हैं जिससे क्षेत्रीय सहयोग अपरिहार्य हो गया है।