उत्तर प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड (मंडी परिषद्) ने सूबे भर में 250 मंडियों के आधुनिकीकरण और वहां परिचालन कुशलता कायम करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) का रास्ता अपनाया है।
पायलट परियोजना के तहत परिषद् ने कानपुर मंडी में ‘वे ब्रिज प्रक्रिया’ की स्थापना की है ताकि मंडी की परिसर में रखे जाने वाले सभी वस्तुओं का स्टॉक रखा जा सके।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और कृषि विपणन विभाग के सचिव अरुण कुमार सिन्हा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कानपुर मंडी के सभी दुकानों को कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा। इससे न केवल सूची प्रबंधन में बेहतरी देखने को मिलेगी बल्कि मंडी में सटीक गणना भी हो सकेगी।’
इस परियोजना को निजी साझेदार के तहत बनाओ चलाओ और सौंपो (बीओटी) मॉडल पर विकसित किया जाएगा, जिसके लिए लगभग तीन महीने पहले ही निविदाएं बुलाई गई थीं।
इस परियोजना का जिम्मा जर्मनी गठजोड़ वाली एक कंपनी को पहले ही दिया जा चुका है।
कानपुर मंडी के बाद सूबे भर के अन्य मंडियों में भी इस प्रणाली का कार्यान्वयन किया जाएगा। इस बीच, परिषद् की एक परियोजना ‘मंडी भाव आपके मोबाइल पर’ फिलहाल ‘तकनीकी प्रमाणीकरण’ की प्रतीक्षा कर रही है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस परियोजना को भी दिसंबर 2008 से कार्यान्वित कर दिया जाएगा।
मंडी के निदेशक राजेश कुमार सिंह ने बताया कि इस परियोजना के तहत भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) सभी अधिसूचित मंडियों में उपलब्ध विभिन्न जिंसों की ताजा अपडेट और लाइव कीमतें मुहैया कराएगी।
इस परियोजना के तहत किसानों को एक विशेष नंबर मुहैया कराया जाएगा, जिसे डायल करने के बाद कि सान मंडियों में उपलब्ध 108 जिंसों में से किसी का भी भाव जान सकेगा। इसमें मंडी में कारोबार किए जाने वाले खाद्य अनाज, फल, सब्जी, मसाला और दाल आदि शामिल होंगे। इसके अलावा परिषद् कुशल अंकेक्षण और सूची प्रबंधन के लिए सभी ऑन-लाइन लेखांकन प्रक्रिया का भी उन्नयन करेगी।
सिन्हा ने बताया, ‘जब से यहां की मंडियों से सिर्फ 25 से 30 फीसदी चावल और गेहूं का संचालन किया जाने लगा तब से हम लोग उत्तर प्रदेश की मंडियों के कार्यक्षेत्र के विस्तार में जुटे हुए हैं।’ मौजूदा कृषि काल (जुलाई-जून) में मंडी परिषद् ने राजस्व में 24 फीसदी बढ़ोतरी करने का लक्ष्य रखा है। मसलन परिषद् अपने राजस्व को 507 करोड़ से बढ़ाकर 626 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
सिंह ने बताया, ‘मंडियों के तेज विकास के लिए हम लोगों के पास एक एक्शन प्लान है, जिसके पहले चरण को सफलतापूर्वक लागू कर दिया गया है। इसके बाद हम लोग जिंसों की मात्रा बढ़ाने के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ांगे।’ इसके अलावा परिषद् खास कर नेपाल और श्रीलंका जैसे लाभप्रद निर्यात बाजार की ओर भी देख रहा है, जहां कि आलू का बहुत बड़ा बाजार है।