अमरनाथ यात्रा नहीं, लेकिन राजमार्ग निर्माण से सोनमर्ग में रौनक

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:38 AM IST

सिंध नदी से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 पर तेजी से काम चल रहा है। केंद्र सरकार ने ठेकेदारों से कहा है कि 2024 के चुनाव से बहुत पहले 2023 में निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाना चाहिए। जोजिला सुरंग वाले हिस्से में कुछ बदवाव हो सकता है,क्योंकि सरकार इससे इवैकुएशन टनल जोडऩे पर विचार कर रही है। 

कश्मीर और लद्दाख में निर्माणाधीन सड़कों की निगरानी करने पहुंचे केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी ने जेड मोड सुरंग की यात्रा की, जिससे श्रीनगर और सोनमर्ग की दूरी कम हो गई है।  इस सुरंग का निर्माण लखनऊ की एपको इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ विशेष उद्देश्य इकाई एपको श्री अमरनाथ प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर किया गया है। 

पूर्वी छोर या जेड मोड सुरंग का पोर्टल लिडर नदी से जुड़ा है, जो कश्मीर में बहने वाली झेलम की सहायक नदी है। यह कहलगांव जिले के चित्रुपुरा गांव से शुरू होकर सोनमर्ग में निकलती है, वहीं पश्चिमी पोर्टल कंधमाल जिले के गगनगीर गांव से शुरू होकर श्रीनगर की ओर जाता है।

सिंध नदी के बगल से गुजरने वाले राजमार्ग पर जैसे जैसे आगे बढ़ते हैं, सोनमर्ग के आगे का इलाका और दुर्गम हो जाता है। सिंध नदी बाद में शादीपोरा में झेलम में मिल जाती है। इस राजमार्ग खंड में मेघा इंजीनियरिंग जोजिला सुरंग बना रही है, जिसमें 2 नीलग्रार सुरंग और एक जोजिला सुरंग शामिल है। जोजिला सुरंग समुद्र तल से 11,575 फुट की ऊंचाई पर है। इसमें 13.5 किलोमीटर सुरंग पहले ही खोदी जा चुकी है। 

जोजिला सुरंग 12 मीटर चौड़ी और 7.5 मीटर ऊंची है, जिसमें 1.5 से 2 मीटर वेंटिलेशन होगा। ऑक्सीजन का स्तर बहाल रखने और नुकसान वाली गैसों से बचने के लिए सुरंग के डिजाइन में प्रावधान किया गया है। वहीं दूसरी तरफ इवैकुएशन टनल का इस्तेमाल आपात अवस्था में किया जा सकेगा, अगर मुख्य सुरंग अवरुद्ध हो जाती है। 

गडकरी का कहना है कि जेड मोड और जोजिला परियोजना पूरी होने के हिमाचल प्रदेश के बाद कुल्लू मनाली और श्रीनगर के बीच आवाजाही बाधारहित हो जाएगी। 

गडकरी ने कहा, ‘मैंने निर्माण कंपनी को नई अंतिम तिथि दिसंबर, 2023 दी है। मैंने उनसे कहा है कि यह काम 2024 के चुनाव के पहले पूरा हो जाना चाहिए। सभी काम 2024 के पहले पूरा हो जाना चाहिए।’

लद्दाख क्षेत्र चीन की सीमा से सटा है और हिमाचल प्रदेश व कश्मीर से इस इलाके में पहुंचा जा सकता है। जाड़े का मौसम नवंबर से शुरू होता है और सोनमर्ग के दोनों कस्बे और कश्मीर में पडऩे वाला राजमार्ग बर्फ से ढंक जाता है। स्थानीय आबादी पहाड़ी इलाकों से नवंबर में नीचे आ जाती है और मार्च में मौसम ठीक होने पर वापस जाती है। 

सोनमर्ग शहर में कामकाज पिछले 3 साल से सुस्त है,क्योंकि अमरनाथ यात्रा 2019 से ही स्थगित चल रही है। हिंदू तीर्थयात्री बालटाल से अपनी यात्रा शुरू करते हैं, जिससे स्थानीय लोगों को आमदनी होती है। सोनमर्ग के होटल में स्थानीय शिल्प की बिक्री करने वाले रिहान ने कहा कि पिछले कुछ साल से यात्रा नहीं हो रही है और पर्यटक भी बहुत कम संख्या में आ रहे हैं, इसकी वजह से हमारा कारोबार बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। रिहान लद्दाख के जनजातियों से हस्तशिल्प लेता है और उसके बदले में उन्हें चावल दिया जाता है। 

First Published : September 29, 2021 | 11:57 PM IST