महाराष्ट्र सरकार अभी तक इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है कि मुंबई सेज का भविष्य तय करने के लिए 21 सितंबर को हुए जनमत संग्रह के आंकड़ों का किस तरह इस्तेमाल किया जाए।
राज्य सरकार ने पैन तालुका के 22 गांवों में जनमत संग्रह कराया था। ये सभी गांव मुकेश अंबानी के करीबी आनंद जैन द्वारा तैयार किए जा रहे मुंबई सेज के दायरे में आते हैं। जिलाधिकारी को इस मुद्दे पर अभी रिपोर्ट तैयार करनी है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना के लिए बड़ी संख्या में किसानों की करीब 3,000 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की गई है। राज्य सरकार ने हालांकि यहां जनमत संग्रह कराने का फैसला किया था।
ये गांव हेतवाणे बांध के दायरे में आते हैं और 2006 में केंद्र सरकार द्वारा जारी संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक सेज के लिए सिंचाई भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। जिलाधिकारी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जनमत संग्रह के दौरान करीब 32,000 मतदाताओं में से केवल 6,300 ने वोट दिया और सेज विरोधी आन्दोलनकारियों का कहना है कि 91 प्रतिशत लोगों ने सेज के विरोध में वोट दिया है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत के दौरान राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आंकड़ों की व्याख्या में कई जटिल मुद्दे शामिल हैं। जैसे कि भूलेख में दर्ज परिवार के मुखिया के अलावा दूसरे किसी व्यक्ति द्वारा दिया गया वोट वैध है या नहीं?, अधिक भूमि रखने वाले किसानों के वोट की गिनती कैसे हो?, ऐसे लोगों के वोटों का क्या किया जाए जिन्होंने मुंबई सेज लिमिटेड के साथ समझौता कर रखा है लेकिन मतदान के दौरान सेज के खिलाफ वोट दिया है।
इन मुद्दों को सुलझाने के बाद ही रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके अलावा हेतावाने बांध से पानी की आपूर्ति का मुद्दा भी शामिल है। सिंचाई विभाग से रिपोर्ट मांग गई है कि वास्तव में इन 22 गांवों में कितने किसानों को सिंचाई सुविधा का फायदा मिलने जा रहा है और सिंचाई के लिए पानी कब से उपलब्ध हो सकेगा।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हेतवाणे बांध के कुल 145 टीएससी पानी में से केवल 30 टीएससी पानी ही सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए उपलब्ध है। एंटी मुंबई सेज एक्शन कमेटी की प्रवक्ता वैशाली पाटिल ने बताया कि सरकार यह साबित करने की कोशिश कर रही है कुछ लोग ही सेज का विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने बताया ‘हमने मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को पत्र लिख कर उनसे समय मांगा है ताकि उन्हें बताया जा सके कि सरकार मतदान पर रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए कैसे कैसे हथकंडे अपना रही है।’