मुंबई शहर एक बार फिर खामोशी का चोला ओढऩे को तैयार हो गया है। करीब एक साल पहले पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में आई थी और भारत में भी यह बीमारी रोकने के लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा था। मुंबई एक बार फिर उन्हीं हालात से रूबरू होने जा रहा है और यहां के बाशिंदों को साल भर पहले की तस्वीरें याद आ रही हैं।
महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों की तरह मुंबई भी अगले एक पखवाड़े तक नई पाबंदियों के लिए तैयार हो रहा है। छोटे कारोबार रोजी-रोटी के संकट का रोना रो रहे हैं और आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग रोजमर्रा की कवायद और अगले एक पखवाड़े तक पुलिस के साथ होने वाली झकझक का ध्यान कर परेशान हो रहे हैं। किराना की दुकानों पर लोगों की लंबी कतारें लग चुकी हैं और कई दुकानों पर दराजों से सामान गायब होने लगा है। वजह साफ है, अगले एक पखवाड़े तक खुद को घरों में समेटकर रखने की तैयारी में लोग राशन जमा कर रहे हैं।
मुंबई में चारो ओर मायूसी छा गई है और लोग भी दुखी दिख रहे हैं। पिछले एक साल में कोविड-19 की सबसे ज्यादा मार झेलने वाले छोटे कारोबारी कह रहे हैं, ‘हमें पता है कि आगे क्या करना है और उसकी तैयारी के लिए हमारे पास एक दिन भी था।’
बड़ी कंपनियों में भी हाल कुछ ऐसा ही है। संक्रमण की मार कम होने पर ज्यादातर कंपनियों ने कर्मचारियों को सुबह 9 से शाम 5 बजे तक दफ्तर में काम करने के लिए बुलाना शुरू कर दिया था। मगर अब एक बार फिर वर्क-फ्रॉम-होम शुरू किया जा रहा है। दूध, सब्जी, राशन मंगाना हो, दफ्तर का काम करना हो या दूसरे जरूरी काम हों, पिछले साल लॉकडाउन के दौरान व्हाट्सऐप ग्रुप इनमें बहुत काम आए थे। अब एक बार फिर उनकी तैयारी की जा रही है। हाउसिंग सोसाइटी भी पिछले साल मार्च में तय किए गए नियम-कायदे एक बार फिर लागू कर रही हैं। सोशल मीडिया पर अस्पतालों और बेड की पड़ताल, प्लाज्मा देने वालों की दरियाफ्त एक बार फिर चालू हो गई है। मगर सब कुछ खुलने के बाद एक बार फिर पूरी तरह बंदी आसान नहीं हैं और नए हालात से तालमेल बिठाना भी कुछ मुश्किल होगा। अल्वारेज ऐंड मार्सल में प्रबंध निदेशक कौस्तुभ गांगुली का कहना है कि उनकी कंपनी के लिए पिछली बार लॉकडाउन के लिए तैयार होना कुछ आसान था क्योंकि सबको पता है कि क्या करना है। पिछले साल मार्च में सब कुछ बंद होने पर कामकाज ठीक करने में कुछ हफ्ते लग गए थे मगर इस बार बिल्कुल भी वक्त नहीं लगेगा। इसलिए आवाजाही कम कर दी गई है और एक बार फिर वर्चुअल बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
लेकिन गांगुली को दिक्कत इस बात से है कि वायरस ने उनकी निजी आजादी छीन ली है। मैराथन के आदी गांगुली को भी पिछले साल कोविड-19 की पहली लहर से झटका लगा था। गांगुली अपने अपार्टमेंट में ही 22 किलोमीटर दौड़कर उसकी भरपाई करते थे। अब उन्हें एक बार फिर घर के भीतर ही दौडऩा पड़ेगा।
सब बातों से यही लग रहा है कि कारोबारियों और लोगों ने पिछले एक साल के दौरान बंदिशों के बीच काम करना सीख लिया है। स्थानीय प्रशासन भी समझ चुका है कि कोविड-19 की दूसरी लहर से कैसे निपटना है। अस्पताल भी पिछले वर्ष के अनुभव से सबक लेकर बुनियादी चीजें दुरुस्त कर रहे हैं। मगर इस बात से कोई इनकार नहीं कर रहा कि तेजी से शक्ल बदलने वाले इस वायरस से पूरी तरह निपटना लगभग असंभव है।
