मध्य प्रदेश में पिछले 4 वर्षो के दौरान छोटे उद्योगों की संख्या में करीब 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस दौरान राज्य में छोटी इकाइयों की संख्या 1083 से बढ़कर 1469 हो गई। इन इकाइयों में किया गया निवेश 175.54 करोड़ रुपये बढ़कर 763.96 करोड़ रुपये हो गया है। लघु उद्योगों द्वारा मुहैया कराए जा रहे रोजगार की संख्या 2004 के 30,112 के मुकाबले बढ़कर 35,060 हो गई है।
दीगर बात है कि इस दौरान औद्योगिक केंद्र विकास निगम द्वारा संचालित खेड़ा, सोनवाई (इंदौर), पीलूखेड़ी (भोपाल) और सभी फूड पार्क में कोई भी लघु उद्योग इकाई नहीं आई। औद्योगिक केंद्र विकास निगम मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम की सहायक कंपनी है।
पिछले 4 वर्षो के दौरान पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में सबसे अधिक 111 लघु उद्योग इकाइयों की स्थापना हुई। इसके अलावा झबुआ स्थित मेघनगर में 9 इकाइयों, इंदौर रेडीमेट कॉम्प्लेक्स में 120 इकाइयों, देवास में 13 इकाइयों, मंडीदीप (भोपाल) में 64 इकाइयों, ग्वालियर स्थित मलानपुर में 13 इकाइयां, बनमौर में 23 इकाइयों और जबलपुर स्थित बोरेगांव में 4 इकाइयों की स्थापना की गई।
राज्य सरकार द्वारा 2004 में शुरू की गई उद्योग मित्र योजना के तहत सभी औद्योगिक क्षेत्रों में 66 इकाइयों का पुनरोद्धार किया गया। मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र में 30 बीमार इकाइयों को पटरी पर लाया गया जबकि बनमौर में 15 इकाइयों, बोरगांव में 2 इकाइयों, मनेरी में 1 और रीवा में 5 इकाइयों का पुनरोद्धार किया गया है।
दूसरी ओर भारी घाटे में चल रही सरकारी एजेंसी राज्य औद्योगिक विकास निगम अपनी खस्ताहालत से उबरने में नाकामयाब रही है। हालांकि, इस दौरान निगम की ग्वालियर स्थित सहायक कंपनी ने 123 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया और 406 करोड़ लोगों को रोजगार दिया।
मध्य प्रदेश लघु उद्योग संघ के अध्यक्ष आर एस गोस्वामी ने बताया कि ‘उद्योग मित्र योजना के विस्तार से राज्य में लघु उद्योगों के विकास में तेजी आई है।’ उन्होंने बताया कि एमएसएमई को दिए जाने वाला कर्ज मार्च 2007 से दिसंबर 2007 के दौरान 55 प्रतिशत बढ़कर 5364 करोड़ रुपये हो गया है।
लघु उद्योगों के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद कर्ज जारी करने, प्रौद्योगिकी उन्नयन, कुशल कारीगरों की उपलब्धता, प्रशिक्षण और निर्यात के मोर्चे पर प्रदर्शन संतोषजनक नहीं हैं।