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लॉकडाउन की यादें हुईं ताजा

Last Updated- December 12, 2022 | 5:47 AM IST

दिल्ली में साल के पहले सप्ताहांत कफ्र्यू ने पिछले साल के सख्त लॉकडाउन की डरावनी यादें ताजा कर दी जिसकी वजह से लोगों की जिंदगी लगभग थम सी गई थी और हजारों लोगों की आजीविका पर भारी असर पड़ा था। देश की राजधानी में शुक्रवार की रात से ही कफ्र्यू लगने की शुरुआत हुई। बिज़नेस स्टैंडर्ड के इस संवाददाता ने शहर की सड़कों और बाजारों में घूमकर कारोबार और दैनिक जीवन पर इसके प्रभाव का जायजा लिया। सुनसान सड़कें, बंद दुकानें और वर्दीधारी पुरुषों द्वारा लगातार की जा रही निगरानी को देखकर यह अंदाजा हुआ कि सप्ताहांत में इसका असर कुछ हद तक आजीविका पर जरूर पड़ा है।
कनॉट प्लेस भी सुनसान नजर आ रहा था। यहां कुछ बैंक की शाखाएं, भारतीय डाक घर और इनर सर्कल में करीब आधे दर्जन रेस्तरां खुले थे लेकिन बाकी सभी दुकानें बंद थीं। ग्राहकों की कमी की वजह से उन रेस्तरां के कर्मचारी भी ऊब गए जिन्होंने सुबह पूरे उत्साह के साथ रेस्तरां खोल दिया था। अफ्रीकी-पुर्तगाली रेस्तरां चेन, ‘नंदोज’ में आमतौर पर रोजाना तीन लाख रुपये तक की बिक्री होती है। लेकिन शुक्रवार को इस रेस्तरां में महज 22,000 रुपये की बिक्री हुई। आउटलेट के प्रबंधक आनंद ने कहा कि शनिवार को शाम 4 बजे तक इसे सिर्फ  दो डिलिवरी ऑर्डर ही मिले।
खान चाचा, बर्गर किंग और कैफे कॉफी डे जैसे अन्य मशहूर रेस्तरां में भी लोगों ने नंदोज की तरह ही अपनी प्रतिक्रिया दी। इनर सर्कल में एकमात्र ‘बर्गर किंग’ का आउटलेट खुला था जहां दोपहर तक कोई पिक अप या डिलिवरी ऑर्डर नहीं मिला। वहीं बेहद मशहूर ‘खान चाचा’ के आउटलेट को स्विगी और जोमैटो के माध्यम से कुछ ही ऑर्डर मिले।
पिछले लॉकडाउन की तरह, चौबीस घंटे सेवाएं देने वाले स्टोर कफ्र्यू के दौरान भी अपना काम जारी रखे हुए हैं लेकिन पिछली बार के मुकाबले इन दुकानों में ग्राहकों की तादाद कम रही। पिछले साल अचानक लॉकडाउन लगाए जाने की वजह से कई लोग पूरी तरह तैयार नहीं थे लेकिन इस बार ज्यादातर उपभोक्ताओं ने अपनी सिगरेट, एनर्जी ड्रिंक और आइसक्रीम जैसे उत्पादों का भी स्टॉक रख लिया है। खान मार्केट के मुख्य प्रवेश द्वार पर पुलिस की भारी तैनाती है और यहां भी सप्ताहांत में होने वाली की रौनक गायब थी। कनॉट प्लेस की तुलना में खान बाजार के रेस्तरां में शहर के अमीर और बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों की भीड़ होती है लेकिन यहां भी कारोबार मंद पड़ा है। लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट काफी चहल-पहल वाला बाजार माना जाता है। यहां डिजाइनर साडिय़ों, लहंगे से लेकर पर्दे और औरतों की चप्पलें, सैंडल की दुकानें सजी दिखती थीं और यहां सप्ताहांत में हजारों लोगों की भीड़ जमा होती थी। लेकिन सप्ताहांत में यहां भी सब बंद नजर आया। यहां बाहरी लोगों के प्रवेश और निकास को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने दोनों तरफ  बैरिकेड लगा रखा था और हमेशा जाम दिखने वाली सड़कों पर आवारा कुत्ते मंडरा रहे थे।
हालांकि, ज्यादातर क्षेत्रों में यातायात का आवागमन पिछले लॉकडाउन की तुलना में अधिक ही रहा। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के अनुमान के अनुसार पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले इस बार सड़कों पर करीब दोगुने निजी वाहन दिख रहे थे। इस बार अच्छी बात यह रही कि आवश्यक सेवाकर्मियों को उनके वैध पहचान पत्र के साथ कहीं आने जाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया जबकि पिछली बार कहीं आने-जाने के लिए ई-पास ही आवश्यक होता था। बैंकों, रेस्तरां में काम करने वाले और निजी सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों सभी ने बताया कि इस बार काफी सहज तरीके से सूचना दी गई।

First Published - April 18, 2021 | 11:32 PM IST

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