कोई इंजीनियर से महाप्रबंधक (जीएम) बन रहा है तो कोई उपाध्यक्ष। किसी को ओमैक्स कंपनी ने बुलाया तो किसी को सेंचुरी-21 ने तो किसी को डीएलएफ ने।
कोई दिल्ली मेट्रो में बड़े ओहदे पर जा रहा है तो कोई वॉल मार्ट जैसी एमनसी कंपनी में। और सब के सब मोटी तनख्वाह पर। यह सब हो रहा है रियल एस्टेट क्षेत्र में देश में पहली बार एमबीए करने वाले गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ।
तभी तो इस कोर्स की ओर दिल्ली नगर निगम से लेकर डीडीए तक के वरिष्ठ इंजीनियर खिंचे चले आ रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रबंधकों के मुताबिक रियल एस्टेट के इन मैनजरों से राष्ट्रमंडल खेलों के लिए बुनियादी सुविधा तैयार करने में भी काफी मदद मिलेगी।
कोर्स के संचालक डॉ. ए. के. सैनी कहते हैं, ‘इस सप्ताह के आखिर में एमबीएस रियल एस्टेट के छात्रों के लिए विदाई समारोह का आयोजन है, लेकिन कई छात्रों को और अच्छी नौकरी मिल गई है तो कई को रियल एस्टेट की नामी-गिरामी कंपनियों से ऑफर आ रहे हैं।’ असल में इस कोर्स में दाखिले के लिए रियल एस्टेट क्षेत्र में तीन साल काम करने का अनुभव जरूरी है।
पहले बैच में कुल 60 छात्रों को दाखिला दिया गया जिनमें लगभग 50 फीसदी आर्किटेक्ट थे। 12 छात्र इंजीनियर थे तो कई वकील और योजनाकार। ये सब नौकरी में थे। लेकिन कोर्स पूरा करने से पहले ही इन्हें मोटी तनख्वाह वाली अच्छी नौकरी की पेशकश होने लगी।
इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट में पढ़ाने वाले इंजीनियर मनीष जैन इस कोर्स को पूरा करने से पहले ही रियल एस्टेट से जुड़ी कंपनी सेंचुरी-21 के उपाध्यक्ष (वीपी) बन गए। जैन ने कहा, ‘यह कोर्स रियल एस्टेट क्षेत्र को नया आयाम देगा।’ उनके ही साथ इस कोर्स को करने वाले उप्र आवास एवं विकास परिषद के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अशोक कुमार श्रीवास्तव अब रियल एस्टेट की कंपनी ओमैक्स में जीएम बन गए हैं।
सैनी कहते हैं, ‘इन छात्रों की सफलता देख डीडीए के पांच इंजीनियरों के अलावा एयरफोर्स के कई इंजीनियरों ने इस कोर्स में दाखिला लिया है। दूसरी बात है कि 2015 तक रियल एस्टेट का बाजार देश में 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा।’
विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज की डीन प्रोफेसर अनु सिंह लाथेर कहती हैं, ‘यह कोर्स रियल एस्टेट के नए मैनेजर को पैदा कर रहा है। और पहली बार ऐसा होने से उन्हें तुरंत अच्छी नौकरियां मिल रही हैं।’