उत्तर प्रदेश सरकार की राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निजी ऑपरेटरों की बसें चलवाने की कवायद खत्म होने के बाद राज्य के परिवहन विभाग ने सेवाओं के उच्चीकरण का काम शुरू कर दिया है।
सरकार ने भारी तादाद में लो फलोर की बसों की खरीद की है। पहले इन बसों को नगर बस सेवा में लगाया गया है, बाद में इन्हें लंबी दूरी की सेवा में भी लगाया जाएगा। लो फ्लोर की वातानूकूलित बसें राजधानी की सड़कों पर दौड़ने भी लगी हैं।
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अकेले लखनऊ में ऐसी 100 से ज्यादा बसें चलेगी। बसों का किराया सामान्य श्रेणी की बसों से करीब दोगुना है। बसों की लोकप्रियता को देखते हुए अब बाकी शहरों में ये बसें चलायी जाएंगी।
महीने भर का मौका देने के बाद सरकार को केवल दो ही निजी ऑपरेटरों की बिड मिली जिन्हें बुधवार को परिवहन विभाग के शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति में खोला गया। हैरतअंगेज बात तो यह रही कि इतनी कवायद के बाद भी जिन दो निजी ऑपरेटरों ने निविदा प्रक्रिया में भाग लिया उनमें से किसी ने जरूरी 25 लाख रुपये का ड्राफ्ट भी लगाना जरूरी नहीं समझा।
निजी ऑपरेटरों ने निविदा पत्र के और भी जरूरी प्रश्नों का जवाब नहीं दिया है। परिवहन विभाग के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि अब फिर से निविदाएं मंगाने के अलावा कोई चारा नहीं है।
सरकार हालांकि अब भी आशा कर रही है कि निजी ऑपरेटरों को लाभ का गणित समझाने के बाद ज्यादा लोग निविदा प्रक्रिया में भाग लेंगे। उधर परिवहन कर्मचारी नेताओं का कहना है कि निजी क्षेत्र की रुचि बसें चलाने में नहीं है।