केरल अब तक देश में कोविड के दूसरे सर्वाधिक मामले और मौतें दर्ज कर चुका है तथा सूचित किए जाने वाले ताजा मामलों में से लगातार 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान कर रहा है। इसके बावजूद विशेषज्ञ इस बात का संकेत देते हैं कि केरल की बहुप्रचारित कोविड रक्षा रणनीति अब भी जीवित है, जो देश में बेहतर प्रबंधन वाली रणनीति में से एक है और जो हर छह मामलों में से एक का पता लगा लेती है।
दिसंबर में अब तक प्रतिदिन 4,522 मामलों और 244 मौतों, नवंबर में 5,772 मामलों और 282 मौतों तथा अक्टूबर में 9,284 मामलों और 213 मौतों का औसत रहा है। राज्य सरकार और उद्योग जगत के दिग्गजों का कहना है कि यह चिंता की बात नहीं है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप राज्य में मामलों का पता लगाने की दर अधिक है और मृत्यु अनुपात भी 0.82 प्रतिशत के कम स्तर पर है।
महामारी विज्ञानी और सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा ‘भारत में कोविड के प्रत्येक 25 से 30 संक्रमणों में से एक का पता लगा लिया जाता है। नवीनतम सीरोसर्वे के आधार पर केरल में यह दर हर छह मामलों में से एक है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले अन्य राज्य हैं 12 मामलों में से एक के साथ महाराष्ट्र और 16 में से एक के साथ कर्नाटक। इसलिए केरल अंतरराष्ट्रीय मानकों के बराबर है।’
लहरिया ने इस बात का संकेत दिया कि बीमारी के संक्रमण में देरी होना किसी भी महामारी प्रबंधन की सफलता होती है। इसलिए राज्य में सबसे कम सीरो पॉजिटिविटी दर है, जिसके बाद महाराष्ट्र आता है। उन्होंने कहा कि चूंकि वे प्रारंभिक चरण में ही संक्रमण कम करने में सफल रहे, इसलिए केरल में लगातार अतिसंवेदनशील जनसंख्या रही है, जिसके परिणामस्वरूप आंकड़े अधिक है।
