नर्मदा घाटी परियोजनाओं की नहरों को समय से पूरा करने में हो रही देरी के बारे में मध्यप्रदेश नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने आज स्पष्ट किया है कि जमीन अधिग्रहण अभियान में देरी के लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रदीप भार्गव ने बताया कि नर्मदा घाटी की इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, अपर बेदा और बरगी डायवर्जन परियोजना नहरों के लगभग 2,500 करोड़ रुपये के निर्माण टेण्डर जारी करने के साथ ही प्राधिकरण ने अब नहर निर्माण के लिए आवश्यक जमीन अधिग्रहण को एक अभियान के रूप में पूरा करने का काम शुरू किया है। अधिग्रहण में देरी की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों पर होगी।
उन्होंने कहा कि संबंधित मुख्य अभियंताओं को यह अधिकार दे दिए गए हैं कि वे जमीन अधिग्रहण के लिए सेवानिवृत्त पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों की सेवाएं दैनिक पारिश्रमिक पर ले सकेंगे। इस काम के लिए सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टरों की सेवाएं प्राधिकरण स्तर पर संबंधित क्षेत्रों को दी जाएंगी तथा संबंधित जिलों में आवश्यक नियमित जमीन अधिग्रहण अधिकारियों की नियुक्ति भी की जा रही है।
प्राधिकरण के सदस्य डी एस राय ने परियोजनाओं के कार्यपालक इंजीनियरों, जमीन अधिग्रहण अधिकारियों और जिलों के राजस्व अधिकारियों से कहा है कि जमीन अधिग्रहण के लंबित मामलों के निपटारे के साथ ही नहरों के आगामी कायों के लिए पहले से कार्ययोजना तैयार कर ली जाए तथा मुख्य निर्माण के समय परिवहन कायों के लिए संलग्न भूमि का अस्थाई जमीन अधिग्रहण भी किया जाए।
प्राधिकरण के सदस्य इंजीनियरिंग वी के भाटिया ने कार्यपालक इंजीनियरों से कहा है कि प्रस्तावित जमीन अधिग्रहण कायों के लिए दी जाने वाली मुआवजा राशि की सूचना 30 अप्रैल तक मुख्यालय को दे दी जाए, ताकि वह राशि संबंधित जिले को समय पर भेजी जा सके। इस बारे में निर्माण क्षेत्र के जिलों के भूमि संबंधी दस्तावेज सर्वोच्च प्राथमिकता पर अद्यतन करने के निर्देश शीघ्र ही जिला कलेक्टरों को भेजे जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की इंदिरा सागर परियोजना की नहरों से 1.23 लाख, ओंकारेश्वर से 1.47 लाख, बरगी डायवर्जन से 2.45 लाख और अपर बेदा परियोजना नहरों से 9,900 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित होना है।