मुंबई हवाई अड्डे पर जांच सुविधा का विस्तार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 8:33 PM IST

अन्य स्थानों से आने वाले यात्रियों का प्रतीक्षा समय कम करने के लिए मुंबई हवाई अड्डे पर कोविड-19 जांच सुविधा का विस्तार किया जा रहा है। पिछले सप्ताह महाराष्ट्र सरकार ने दिल्ली, गोवा, राजस्थान और गुजरात से आने वाले यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य कर दी थी। हालांकि मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के बीच तालमेल की कमी से इसके कार्यान्वयन में बाधा आई है।
अपर्याप्त जांच सुविधाओं के परिणामस्वरूप व्यस्त समय के दौरान हवाई अड्डे पर लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं। प्रयोगशाला के तकनीशियनों के लिए हवाई अड्डे में प्रवेश करने वाले पास की समय पर उपलब्धता जैसी लॉजिस्टिक संबंधी दिक्कतें भी चुनौती रही हैं। कुछ यात्रियों द्वारा सहयोग नहीं किए जाने से भी दिक्कतें आती रही हैं और गोवा से आने वाले यात्रियों के एक समूह द्वारा जांच कराए जाने से इनकार करने के बाद गुरुवार को सुरक्षा कर्मियों को हस्तक्षेप करना पड़ा था। अतिरिक्त नगर निगम आयुक्त पी वेलरासु ने कहा कि आरटी-पीसीआर जांच के दो अतिरिक्त काउंटर स्थापित किए जा रहे हैं और इससे इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा काउंटर एक के बाद एक आने वाली उड़ानों की भीड़-भाड़ को नहीं संभाल सकते हैं।
हालांकि बीएमसी ने हवाई अड्डे के संचालक को जांच के लिए चार काउंटरों की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन केवल दो ही काम कर रहे थे। हवाई अड्डे के एक अधिकारी ने कहा कि जांच के लिए पांच काउंटर उपलब्ध कराए गए हैं और आवश्यकता के अनुसार परिचालन में है। मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने एक बयान में कहा है कि हवाई अड्डा आरटी-पीसीआर जांच के लिए लगने वाली कतार का समय कम करने की खातिर लगातार काम कर रहा है और इसके लिए हवाई अड्डे ने पंजीकरण करने वाले काउंटरों और नमूने एकत्रित करने वाले बूथों की संख्या में इजाफा किया है। हवाई अड्डे ने आने वाले यात्रियों का प्रतीक्षा समय घटाने के वास्ते एक अतिरिक्त जांच केंद्र  भी उपलब्ध कराया है।

कोविड-19 से बचाव के लिए अधिक टीके चाहिए
जैव प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव रेणु स्वरूप ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 से बचाव के लिए अधिकाधिक संभावित टीकों का होना आवश्यक है क्योंकि यह पता लगाना बहुत ही कठिन है कि उन सभी में सर्वश्रेष्ठ कौन सा होगा। स्वरूप ने कहा कि देश में अलग-अलग विकसित किए जा रहे टीकों के अपने लाभ और चुनौतियां हैं।
उन्होंने एक वेबिनार में कहा, ‘हम आगे बढ़ रहे हैं और ऐसे में अधिक टीके होना अहम है क्योंकि हमें वाकई में यह नहीं पता कि इनमें से कौन सा सर्वश्रेष्ठ रहने वाला है। ऐसा जरूरी नहीं कि पहला वाला सबसे अच्छा हो। हो सकता है कि जो बाद में आए वह बेहतर हो लेकिन फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है।’ देश में 30 टीकों पर काम चल रहा है। पांच पर क्लिनिकल ट्रायल अलग-अलग चरणों में हैं। स्वरूप ने कहा कि डीबीटी की एक विशेषज्ञ समिति है जो कोविड-19 के टीकों के विकास पर नजर रख रही है।  भाषा

First Published : December 4, 2020 | 11:34 PM IST