लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 85 सीटों के लिए आज हुए मतदान में तकरीबन 57 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
छिटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण रहा। राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत करीब 50 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले।
भारती समूह के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल, हीरो होंडा के एमडी और सीईओ पवन मुंजाल, पीवीआर के मालिक अजय बिजली, स्पाइस के चेयरमैन बीके मोदी, रैनबेक्सी के मालविंदर सिंह के अलावा फिक्की के अध्यक्ष हर्षपति सिंघानिया ने भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
उप चुनाव आयुक्त आर बालाकृष्णन ने बताया कि सबसे अधिक 75 प्रतिशत मतदान पश्चिम बंगाल में हुआ जबकि सबसे कम 24 प्रतिशत जम्मू कश्मीर में। हरियाणा में 63, पंजाब में 65, बिहार में 37, राजस्थान उत्तर प्रदेश और दिल्ली में करीब 50 प्रतिशत मतदान हुआ।
बालाकृष्णन ने कहा कि राजस्थान के सवाई माधोपुर के एक मतदान केंद्र में एक भीड़ ने चुनाव अधिकारियों को काबू में करने की कोशिश की जिसके बाद वहां तैनात पुलिसकर्मियों को फायरिंग करनी पड़ी। इससे एक व्यक्ति की मौत हो गई। यहां आयोग फिर मतदान कराएगा। पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में तीन लोग मारे गए।
बालाकृष्णन ने बताया कि बिहार में आज तीन लोकसभा सीटों के लिए मतदान के दौरान हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई। हालांकि पटना और नालंदा क्षेत्र में चुनाव बहिष्कार की क्रमश: चार और 18 घटनाएं प्रकाश में आईं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों ने अनेक स्थानों पर पुनर्मतदान कराने की मांग की है।
अलबत्ता, राजस्थान में कुछ जगह जबरन या फर्जी वोटिंग की खबरें हैं। इनमें से दौसा में दो पाली, करौली, धौलपुर, भरतपुर और झालावाड में एक एक तथा टोंक में चार ऐसे मामले प्रकाश में आए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में चुनाव बहिष्कार के पांच मामले हुए लेकिन ये सभी स्थानीय मुद्दों से संबध्द थे।
उप चुनाव आयुक्त ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सैफई में मतदान के दौरान सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जब मतदान करने गए तो उनके साथ सुरक्षा जवान हथियार लेकर जा रहा था जिस पर पर्यवेक्षक ने उनका ध्यान आकर्षित किया। मामला तत्काल निपट गया।
अन्य घटना में मुलायम सिंह ने एक मतदान केन्द्र गेट पर अर्धसैनिक बल के जवान की तैनाती पर आपत्ति जताई लेकिन पर्यवेक्षकों ने इस बारे में उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला दिया तब जाकर मामला शांत हुआ।
