केंद्र सरकार ने वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दो अहम विभागों – सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) और निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के विलय की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। इस कदम का उद्देश्य विभागों के कामकाज को सुव्यवस्थित करना और काम के दोहराव को खत्म करना है।
सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘दोनों विभागों के लगभग 80 फीसदी काम एक-दूसरे से जुड़े हैं। केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) की दक्षता में सुधार और सुचारु संचालन के लिए सरकार ने विलय पर काम करना शुरू कर दिया है। विलय प्रक्रिया के अगले छह महीनों में पूरा होने की उम्मीद है।’
अधिकारी ने बताया कि सरकार ने सीपीएसई को लेकर नया नजरिया विकसित किया है। उन्होंने कहा, ‘यह विलय इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि सरकार अब विनिवेश के बजाय मूल्य सृजन पर ध्यान दे रही है। जुलाई 2024 से अली रजा रिजवी की सेवानिवृत्ति के बाद से दीपम सचिव ही डीपीई का कामकाज देख रहे हैं। इसलिए दोनों विभागों का विलय ही वाजिब है।’
अधिकारी ने कहा कि दोनों विभागों के विलय से बेहतर तालमेल विकसित होने की उम्मीद है। इससे केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम द्वारा वृद्धि और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वपूर्ण सुधार और बड़े पैमाने पर निवेश की योजना बनाई गई है।
विनिवेश विभाग की स्थापना 10 दिसंबर, 1999 को एक अलग विभाग के रूप में की गई थी और बाद में 6 सितंबर, 2001 को इसका नाम बदलकर विनिवेश मंत्रालय कर दिया गया। 27 मई, 2004 में यह वित्त मंत्रालय के अधीन एक विभाग बन गया। 14 अप्रैल, 2016 को विभाग का नाम बदलकर निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) कर दिया गया।
दीपम के काम में इक्विटी में केंद्र सरकार के निवेश, खास तौर पर केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में इक्विटी के विनिवेश का प्रबंधन करना शामिल है। यह केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम की बिक्री के लिए पेशकश, निजी नियोजन या अन्य तरीकों से केंद्र सरकार की इक्विटी की बिक्री को संभालता है।
1965 के सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के पुनर्गठन के बाद मई 1990 में डीपीई की स्थापना की गई थी। जुलाई 2021 में सरकार ने डीपीई को भारी उद्योग मंत्रालय से वित्त मंत्रालय के अधीन कर दिया था। डीपीई में 122 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। यह सीपीएसई के लिए केंद्रीय निकाय के रूप में कार्य करता है जो सार्वजनिक उपक्रमों के प्रदर्शन में सुधार, स्वायत्तता और कार्मिक प्रबंधन पर नीतियां तैयार करता है। यह सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण के माध्यम से आंकड़े भी जुटाता है और विभिन्न मंत्रालयों, सीपीएसई और अन्य संबंधित संगठनों के साथ समन्वय करता है। सार्वजनिक उद्यम विभाग की जिम्मेदारियों में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना, समझौता ज्ञापनों पर नजर रखना और सीपीएसई के पुनरुद्धार, पुनर्गठन या बंद करने पर सलाह देना शामिल है। इसके अलावा यह सीपीएसई के प्रदर्शन और क्षमता निर्माण को बढ़ाने के उद्देश्य से पहल पर काम करता है।