दिल्ली सरकार औद्योगिक क्षेत्रों में लगे कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से प्रदूषण फैलने पर सख्त हो गई है। सरकार ने प्रदूषण फैलाने वाले इन सीईटीपी पर जुर्माना लगाया है। ये सीईटीपी तय मानकों का पालन नहीं कर रहे थे, जिससे यमुना प्रदूषित हो रही है। दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में 212.3 एमएलडी की क्षमता के 13 सीईटीपी लगे हैं। वजीरपुर, मायापुरी, बवाना, नरेला, एसएमए, जीटीके, ओखला, मंगोलपुरी, नांगलोई, बादली, झिलमिल, लॉरेंस रोड और नारायणा औद्योगिक क्षेत्रों में 13 सीईटीपी का निर्माण 17 औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को शोधित करने के लिए किया गया था। इनमें से 11 सीईटीपी का संचालन संबंधित औद्योगिक क्षेत्र की सोसायटी द्वारा किया जा रहा है। नरेला और बवाना सीईटीपी का संचालन निजी एजेंसी पीएनसी दिल्ली और बवाना इंफ्रा डेवलपमेंट की ओर से किया जा रहा है। इन सीईटीपी को दिल्ली राज्य औद्योगिक व अवसंरचना निगम की ओर से लगाया गया है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक अधिकारी ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्रों में लगे सीईटीपी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। डीपीसीसी द्वारा तमाम निर्देश दिए जाने के बाद भी सीईटीपी को तय मानकों के मुताबिक नहीं पाया गया। इन सीईटीपी में निर्धारित मात्रा से अधिक टीडीएस पाया गया है जिसकी वजह से यमुना बड़े पैमाने पर प्रदूषित हो रही है। इसलिए डीपीसीसी प्रयोगशालाओं की मासिक विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर इन सीईटीपी को 12.05 करोड़ रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर जुर्माना देने का नोटिस जारी किया है। उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल को शोधित करने में सीईटीपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए औदयोगिक क्षेत्रों में लगे सीईटीपी में निर्धारित मानकों का पालन किया जाना चाहिए ताकि यमुना को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। अधिकारी ने कहा कि डीपीसीसी भविष्य में भी इन सीईटीपी के ऊपर नजर रखेगी।
