राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करना पड़ सकता है। राज्य के एक मंत्री अस्पताल में कोमा में हैं जबकि एक अन्य मंत्री को हाल ही में राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। मंत्रिमडंल विस्तार के लिए गहलोत पर न केवल मंत्रिपरिषद की रिक्तियों को भरने की जिम्मेदारी है बल्कि उन्हें ‘बागियों’ को भी समायोजित करना है।
गहलोत के मंत्रिमंडल में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 30 हो सकती है। अभी उनके पास 22 मंत्री हैं और इनमें से भंवरलाल मेघवाल गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान में कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा समेत तीन अन्य मंत्रियों को बर्खास्त किया गया है।
पायलट खेमे के लोगों को उम्मीद है कि उनमें से कुछ को मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाएगा। हालांकि सचिन कथित तौर पर अपने लिए कोई पद नहीं चाहते हैं, जिन्होंने एक सप्ताह पहले यह घोषणा की थी कि वह सरकार में वापस लौटने के लिए कोई शर्त नहीं रख रहे हैं। लेकिन वह अपने समर्थकों के लिए पद चाहते हैं। उनकी पहली पसंद उनके दो सबसे वफादार समर्थक विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा हैं जिन्हें उनका साथ देने वाले कांग्रेस के दो अन्य वरिष्ठ नेताओं हेमाराम चौधरी और दीपेंद्र शेखावत के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री पद के लिए आगे किया जा रहा। सचिन राज्य मंत्री के दो पद भी चाहेंगे। हालांकि सचिन की इस कवायद को गहलोत अपने समर्थकों के बीच पैठ बनाने वाले कदम के तौर पर देखेंगे लेकिन अगर आलाकमान जोर देगा तो उन्हें ऐसा करना भी पड़ेगा। लेकिन गहलोत की भी अपनी राजनीतिक मजबूरियां हैं। उन्हें संयम लोढ़ा जैसे निर्दलीय विधायकों को भी पुरस्कृत करना होगा जो हाल के संकट के दौरान उनके साथ पूरी वफादारी से खड़े थे।