अतंरराष्ट्रीय व्यापार मेले में आसियान देशों की मौजूदगी से भारत की व्यापार नीतियों को एक नया आकार मिला है।
हॉल संख्या- 12 ए में आसियान के सदस्य देशों ने अपने-अपने स्टॉल लगाए हैं। भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद के वरिष्ठ महाप्रबंधक एस. एच. खान ने कहा, ‘इस मेले में आसियान देशों के शामिल होने से भारत की आयात-निर्यात नीति के प्रति प्रतिबद्धता साफ तौर पर झलकती है।
अभी हाल ही में भारत और आसियान के बीच मुक्त व्यापार संधि को लेकर बातचीत हुई है। अगर यह बातचीत सही आकार लेती है, तो 2015 तक भारत और आसियान देशों के बीच जिंसों पर लगाए जाने वाले 8 फीसदी टैरिफ को खत्म कर दिया जाएगा।’
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2008 में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पूर्वी-एशिया सम्मेलन में भाग लेने बैंकॉक जाएंगे, जहां इस संधि को अंतिम रुप देने पर विचार किया जाएगा।
आसियान स्टॉल पर खास
आसियान 28 वें व्यापार मेले का फोकस क्षेत्र है। नई व्यापार ब्लॉक के तहत दस देशों की कंपनियों और कारोबारियों ने मेले में शिरकत की है। थाइलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, वियतनाम, फिलिपींस, ब्रुनेई, कंबोडिया और लाओस आसियान के सदस्य देश हैं, जिनके उत्पाद व्यापार मेले में बहुतायत देखे जा सकते हैं।
खान कहते हैं, ‘व्यापार मेले में आसियान देशों की भागीदारी से भारत और अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करने को एक दिशा मिली है।’
कहां पर तेरी नजर है
स्टॉल संख्या- 12 (7) पर तुर्की ने अपने सामान की प्रदर्शनी लगाई है। चांदी की खूबसूरत चेन मात्र 150 से 200 रुपये में मिलती है। चेन पर की गई नक्काशी काबिल-ए-तारीफ है। इस स्टॉल के बगल में बंग्लादेश की बूटिक और हैंडीक्राफ्ट के सामान का अंबार लगा है।
जूट की बनी घोड़ी और पर्स पर लोगों की नजर सबसे ज्यादा जा रही है। जूट पर्स की कीमत 50 रुपये है। इसके ठीक विपरीत स्टॉल पर सोबेक कोरिया नाम का एक बोर्ड लगा है। इस स्टॉल पर बैठे एक कंसल्टेंट को-गेन-ऐ ने बताया, ‘ ये सामान बिक्री के लिए नहीं है, सिर्फ इसका डिस्प्ले किया जा रहा है। हम इन सामानों के वितरक की तलाश में यहां आए हुए हैं।’
बच्चों के लिए भी है बहुत कुछ
सोबेक कोरिया के सीईओ कांग सियोंग चान ने कहा, ‘हमारे पास गिनसेंग की एक बहुत बड़ी रेंज मौजूद है, जिनमें लाल गिनसेंग चाय, लाल गिनसेंग कैंडी, लाल गिनसेंग क्लोरेला जेली आदि प्रमुख हैं। हम जल्द ही गिनसेंग कैप्सूल हेरापैक्स को लॉन्च करने वाले हैं।’