उत्तर प्रदेश के सभी गांवों की पंचायतों में ग्राम सचिवालय काम करेंगे। इन ग्राम सचिवालयों में सहायक व अकाउंटेंट कम डेटा इन्ट्री ऑपरेटरों की तैनाती की जाएगी। इन सचिवालयों में ग्रामीण आबादी को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए चयनित महिला बैंकिंग कारस्पांडेंट (बीसी) भी बैठेंगी।
उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए इस सब पर होने वाले खर्च को वित्त आयोग, मनरेगा, ग्राम निधि एवं योजनाओं के प्रशासनिक मद में उपलब्ध धनराशि से देने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी है।
प्रदेश में पहली बार ग्रामीण सचिवालय की स्थापना की जा रही है। उत्तर प्रदेश में 58,189 ग्राम पंचायतें हैं, जो अभी तक अपना कार्यालय स्थापित कर इसे व्यवस्थित रूप से चलाने में असमर्थ रही हैं।
फिलहाल 58,189 ग्राम पंचायतों में लगभग 16,000 ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम्य विकास अधिकारी के पद सृजित हैं, जिसके सापेक्ष लगभग 10,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। मंत्रिपरिषद के नए फैसले के बाद ग्राम पंचायतों में 58,189 रोजगार सृजित होंगे।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि 33,577 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन पहले से बने हैं जबकि 24,617 में निर्माण कार्य चल रहा है। इन पंचायत भवनों में आवश्यकतानुसार मरम्मत व विस्तार की कार्यवाही की जा रही है। एक ग्रामीण सचिवालय को पूरी तरह से तैयार कर काम करने योग्य बनाने के लिए 1.75 लाख रुपये दिए जाएंगे। पंचायत कार्यालय में ही जनसेवा केंद्र की स्थापना की जाएगी जहां बीसी सखी के लिए जगह उपलब्ध करायी जाएगी।
पंचायत कार्यालय के लिए पंचायत सहायक व अकाउंटेंट सह डेटा इंट्री ऑपरेटर की तैनाती की जाएगी, जिसको 6,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। इन पंचायत कार्यालय में विभिन्न योजनाओं से मिलने वाली धनराशि का विवरण, बीपीएल परिवारों की सूची, विभिन्न योजनाओं के पात्र लाभार्थियों की सूची, जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रपत्र, ग्राम पंचायत के आय-व्यय से संबंधित पुस्तिका आदि उपलब्ध होंगे।
एक अन्य फैसले में मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य के ऐसे अन्त्योदय कार्डधारक परिवार जो प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना अथवा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में से किसी भी योजना से कवर नहीं हैं, उन्हें मुख्यमंत्री जनआरोग्य योजना में शामिल किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
इस तरह के परिवारों की तादाद 40 लाख हैं जो इससे लाभान्वित होंगे।
प्रदेश सरकार इतनी बड़ी तादाद में परिवारों को शामिल करने के बाद इसके लिए धनराशि की व्यवस्था पूरक बजट से करेगी। मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत चिह्नित परिवारों को निजी एवं राजकीय चिकित्सालयों में प्रति परिवार सालाना 5 लाख रुपए तक की नि:शुल्क चिकित्सा उपचार की सुविधा दी जा रही है।