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चुनावी माहौल में 2जी से लेकर 6जी की बयार

देश में कुल 25 लाख बेस स्टेशन हैं जो तेजी से बढ़ रहे इंटरनेट उपभोक्ताओं की जरूरतें पूरी कर रहे हैं।

Last Updated- August 24, 2023 | 6:00 PM IST
5G

जब 2जी, 4जी, 5जी और 6जी (निजी दूरसंचार कंपनियों ने 3जी सेवा धीरे-धीरे समाप्त कर दी है) पर एक साथ चर्चा होने लगे तो कुछ अटपटा जरूर लगेगा। ऐसे में लोग पूछ ही सकते हैं कि आखिर चल क्या रहा है? पिछले सप्ताह के शुरू में सुनने में आया कि कि सरकार और दूरसंचार उद्योग मोबाइल सेवा की कई पीढ़ियों पर लगातार चर्चा कर रहे हैं। इससे भी कहीं न कहीं विरोधाभास के संकेत मिले।

दूरसंचार उद्योग में खलबली मचाने वाली रिलायंस जियो ने घोषणा की कि वह मात्र 999 रुपये में 4जी सेवा से लैस फीचर फोन लेकर आ रही है। कंपनी ने इसे ‘भारत फोन’ का नाम दिया है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, कंपनी देश के ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में 2जी सेवा इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को अपने साथ जोड़ना चाहती है। कंपनी का उद्देश्य देश को ‘2जी मुक्त’ बनाना है।

दूसरी तरफ, रिलायंस जियो के फीचर फोन की घोषणा से पहले नई दिल्ली में केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव 5जी और भविष्य के लिए 6जी सेवाओं को बढ़ावा देने की बातें कर रहे थे। दूरसंचार उद्योग पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान वैष्णव ने कहा कि भारत में हरेक मिनट एक 5जी टावर लाइव हो रहा है।

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि देश में अब तक 2.70 लाख 5जी बेस स्टेशनों की स्थापना हो चुकी है। देश में कुल 25 लाख बेस स्टेशन हैं जो तेजी से बढ़ रहे इंटरनेट उपभोक्ताओं की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 25 करोड़ थी जो अब बढ़कर लगभग 90 करोड़ हो गई है। वैष्णव ने उसी दिन 6जी का ढांचा तैयार करने के लिए भारत 6जी अलायंस की शुरुआत की।

इस पहल का मकसद 2023 तक 6जी पेटेंट में भारत की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है। उन्होंने 4जी के बारे में कहा कि फिलहाल इस दूरसंचार सेवा तकनीक की पहुंच 99 प्रतिशत है और जल्द ही सरकार से 38,000 करोड़ रुपये के अनुदान की मदद से इसका दायरा बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगा।

2जी से लेकर 6जी पर चर्चा का प्रभाव निश्चित रूप से दूरसंचार उद्योग पर होगा और चुनाव नजदीक आने के साथ राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ जाएगी।

रिलायंस जियो ने देर से दूरसंचार उद्योग में कदम रखा था मगर इसने आने के साथ ही अपनी शुरुआत 4जी के साथ की। इसके उलट वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और सरकार नियंत्रित भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने 2जी के साथ शुरुआत की और अपने उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाते हुए दूरसंचार क्षेत्र में नवीनतम तकनीक की तरफ कदम बढ़ा रही हैं।

इसे देखते हुए जियो प्रति महीना कम औसत राजस्व (एआरपीयू) और एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल के 2जी उपभोक्ताओं को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। अगर 4जी फीचर फोन के साथ यह रणनीति सफल रही तो फिलहाल 43.3 करोड़ उपभोक्ताओं वाली रिलायंस जियो अपने उपभोक्ताओं की संख्या और तेजी के साथ बढ़ा सकेगी और एयरटेल से इस मामले में और आगे निकल जाएगी।

एयरटेल के इस समय 37.1 करोड़ उपभोक्ता हैं जिनमें लगभग 20 प्रतिशत 2जी सेवा का इस्तेमाल करते हैं। वोडाफोन के उपभोक्ताओं की संख्या 23.4 करोड़ है मगर पहले से ही मुश्किलों में घिरी यह कंपनी और मुश्किलों में आ सकती है।

वोडाफोन आइडिया के कुल उपभोक्ताओं में लगभग 26 प्रतिशत 2जी सेवा का इस्तेमाल करते हैं। कंपनी अब तक एक भी 5जी ग्राहक को नहीं जोड़ पाई है।

अगर वोडाफोन आइडिया जल्द ही आवश्यक रकम का प्रबंध नहीं कर पाती है तो जियो का सस्ता 4जी फीचर फोन दूरसंचार बाजार में प्रतिस्पर्द्धा केवल दो कंपनियों तक ही सीमित कर देगा। जियो छह वर्षों में दूसरी बार सस्ते फोन ला रही है।

जियो की प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों भारती एयरटेल और वोडाफोन एक और मुश्किल का सामना कर रही हैं। ऐसे समय में इन कंपनियों के लिए कॉल दरें बढ़ाना आसान नहीं रह जाएगा जब जियो एक बार फिर अपना आधार बढ़ाने के लिए सस्ती सेवा की पेशकश कर रही है।

इस समाचार पत्र को हाल में दिए एक साक्षात्कार में भारती समूह के चेयरमैन सुनील मित्तल ने कहा कि डिजिटल भारत का सपना साकार करने की जिम्मेदारी कुछ गिनी-चुनी दूरसंचार कंपनियों पर है, इसलिए उनका वित्तीय रूप से टिकाऊ रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार कंपनियों के लिए एआरपीयू कम से कम 300 रुपये प्रति महीना होना चाहिए।

31 मार्च, 2023 को समाप्त हुई तिमाही में एयटेल का एआरपीयू 193 रुपये और जियो का 178 रुपये था। भारत दूरसंचार शुल्क के लिहाज से भारत सबसे सस्ता बाजार है मगर यहां निवेश बहुत अधिक हो रहा है।

पिछले दो वर्षों में शीर्ष दूरसंचार कंपनियों में प्रत्येक ने करीब 1 लाख करोड़ रुपये खर्च (5जी स्पेक्ट्रम और आधारभूत संरचना पर) किए हैं। ऐसे में कम कॉल दरों और बड़ी रियायतों के बीच रणनीति नहीं बदली और कॉल दरें बढ़ाने का कठिन निर्णय नहीं लिया गया तो दीर्घ अवधि में इतने बड़े पैमाने पर निवेश कर पाना संभव नहीं रह जाएगा।

बात केवल दूरसंचार क्षेत्र में चल रही इन गतिविधियों तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। मतदाताओं को प्रभावित करने, जागरूक एवं समझदार बनाने के लिए सभी महत्त्वपूर्ण तकनीक इस्तेमाल में लाई जानी चाहिए। लाखों 2जी उपभोक्ताओं की पहुंच 999 रुपये के फीचर फोन तक होने से सोशल मीडिया से वे जुड़ जाएंगे, जहां वे केंद्र एवं राज्य सरकारों की सफल योजनाओं से जुड़े पोस्ट देख पाएंगे।

इसके साथ ही वे यूट्यूब पर राजनीतिज्ञों एवं इन्फ्लुएंसरों के साक्षात्कार भी देख या सुन सकेंगे। दूसरी तरफ 5जी सेवा शुरू होने से देश के लोग ऑनलाइन शिक्षा, आधुनिक स्वास्थ्य एवं अन्य सेवाओं का लाभ उठा पाएंगे। स्पष्ट है कि इन विभिन्न ‘जी’ के आपसी ताने-बाने के बीच देश के ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्र 2024 के चुनाव से पहले एकजुट हो जाएंगे।

First Published - July 10, 2023 | 12:44 AM IST

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