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क्या पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं होगा? जानें एक्सपर्ट की राय

Last Updated- June 05, 2023 | 10:59 PM IST
Shaktikanta Das

अगर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की आगामी बैठक में नीतिगत दरें अपरिवर्तित रखती है तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी। इसका कारण यह है कि वर्तमान स्थिति में ब्याज दर बढ़ाने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई अप्रैल में कम होकर 4.7 प्रतिशत पर आ गई। यह मार्च के 5.66 प्रतिशत से सीधे नीचे आकर 18 महीने के सबसे निम्नतम स्तर पर ठिठक गई। प्रमुख महंगाई (कोर इन्फ्लेशन) दर (गैर-खाद्य एवं गैर-तेल) भी अप्रैल में कम होकर 5.06 प्रतिशत के स्तर पर आ गई।

यह पिछले 35 महीने का निचला स्तर था। -0.92 प्रतिशत पर थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर जून 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर थी। थोक महंगाई का मौद्रिक नीति पर कोई असर नहीं होता है मगर इसके नरम पड़ने से आगे चलकर खुदरा महंगाई और कम हो सकती है। वैसे भी खुदरा महंगाई उम्मीद से अधिक कम हुई है और प्रमुख महंगाई दर भी पिछले 10 महीने तक लगातार बढ़ने के बाद धीमी पड़ने लगी है।

अप्रैल में हुई बैठक में एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने एकमत से नीतिगत दर 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया था। हालांकि, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि जरूरत होने पर केंद्रीय बैंक दरें बढ़ाने से पीछे नहीं हटेगा। खुदरा महंगाई के मई के आंकड़े और कम रहेंगे और मोटे तौर पर आधार प्रभाव के कारण अक्टूबर तक इसमें कमी जारी रहेगी। जनवरी से अक्टूबर 2022 के बीच खुदरा महंगाई 6.01 से 7.79 प्रतिशत के बीच रही थी।

इसे लेकर कोई संदेह नहीं कि आरबीआई दरें अपरिवर्तित रखेगा मगर एमपीसी का रुख कैसा रहेगा इस पर सबकी नजर रहेगी। पिछली बैठक में एमपीसी ने राहत वापस लेने के अपने रुख पर कायम रहा था। अगर वह लगातार दूसरी बार ये दरें अपरिवर्तित रखती है तो क्या उसे अपने रुख को भी तटस्थ करना चाहिए? कुछ अर्थशास्त्रियों को लगता है कि इसे ऐसा करना चाहिए जबकि कुछ अन्य को लगता है कि आरबीआई को अपने इस रुख को बरकरार रखना चाहिए मगर आंकड़ों को देखते हुए कदम उठाना चाहिए।

ब्लूमबर्ग इकनॉमिक्स के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त नकदी अप्रैल में उपलब्ध 3 लाख करोड़ रुपये से कम होकर 74,000 करोड़ रुपये रह गई। आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली में 19 मई को रीपो माध्यम से 46,800 करोड़ रुपये की नकदी डाली थी। मार्च के बाद आरबीआई ने पहली बार ऐसा किया था।

मुझे नहीं लगता कि आरबीआई एमपीसी की इस बैठक में अपना रुख बदलेगा। 2,000 रुपये के नोट चलन से बाहर होने के बाद अगर एक तिहाई नोट भी बैंकों के पास जमा हो जाए तो नकदी में 1 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है। सरकार को आरबीआई की तरफ से मिलने वाले लाभांश से भी वित्तीय प्रणाली में नकदी बढ़ती है। मई के अंतिम दिन वित्तीय प्रणाली में नकदी बढ़कर 1.75 लाख करोड़ रुपये हो गई जिसके बात कॉल मनी मार्केट रेट नरम पड़ गई।

क्या एमपीसी की बैठक में इस वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान में कमी करेगी। फरवरी में आरबीआई ने इस वर्ष महंगाई दर 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। अप्रैल में यह अनुमान मामूली घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया गया। फिलहाल आरबीआई इसमें कोई बदलाव नहीं कर सकता है या फिर इसे महज 10 आधार अंक घटाकर 5.1 प्रतिशत कर सकता है।

वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में खुदरा महंगाई 5 प्रतिशत से नीचे रहेगी मगर आधार प्रभाव के कारण दूसरी छमाही में इसमें बढ़ोतरी होगी। इस वक्त औसत महंगाई दर 5 प्रतिशत से नीचे रहने का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी।

अप्रैल में एमपीसी की बैठक में वित्त वर्ष 2024 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। फिलहाल आरबीआई वृद्धि अनुमानों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं कर सकता है।

पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से अधिक रहने से पूरे वर्ष के लिए यह दर 7.2 प्रतिशत तक पहुंच गई। आरबीआई ने पिछले वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

मई 2022 में नीतिगत दरों में पहली बढ़ोतरी के बाद से अब तक रीपो दर 250 आधार अंक बढ़ाई गई है और यह 4 प्रतिशत से बढ़कर अब 6.5 प्रतिशत हो गई है। इससे पहले अप्रैल 2022 में स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) शुरू की गई थी, जो रिवर्स रीपो रेट से 40 प्रतिशत अधिक है। इस तरह जब से नीतिगत दर बढ़ाई गई है तब से दरों में प्रभावी बढ़ोतरी 290 अंक हो गई है।

आरबीआई रीपो रेट में बढ़ोतरी का मूल्यांकन कर रहा है मगर इस दौरान यह अपनी तरफ से कोई ढिलाई भी नहीं बरतना चाहता है। इस बीच, कुछ लोग दरों में पहली कटौती को लेकर भी कयास लगाने लगे हैं। वे विभिन्न अवधियों वाली सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में घटते अंतर से भी उत्साहित दिख रहे हैं। क्या यह स्थिति महंगाई को लेकर अनुमान में नाटकीय बदलाव की ओर इशारा कर रही है? क्या महंगाई कम करने की सारी कवायद समाप्त हो गई है?

मई के दूसरे सप्ताह में 91 दिनों की अवधि से लेकर 10 वर्ष की अवधि तक की सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल के बीच अंतर कम होकर 5 आधार अंक रह गया (2021 के अंत में 300 आधार अंक)। इसके साथ ही बॉन्ड बाजार में प्रतिफल के बीच अंतर पिछले कई वर्षों में सबसे निचले स्तर पर आ गया है। मुझे लगता है कि तकनीकी कारण से ऐसा हो रहा है। बीमा कंपनियों, पेंशन फंडों और प्रोविडेंट फंडों की तरफ से बॉन्ड बाजार में मांग अधिक रहने से प्रतिफल के बीच अंतर लगातार कम होता जा रहा है।

इस समय एक वर्ष के ट्रेजरी बिल और 10 वर्ष के बॉन्ड पर प्रतिफल में अंतर 10 आधार अंक से भी कम रह गया है। यह इस ओर इशारा कर रहा है कि बाजार मध्यम अवधि में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहा है। महंगाई के खिलाफ मुहिम अभी समाप्त नहीं हुई है। अभी अल नीनो प्रभाव, तेल के दाम और डॉलर की तुलना में स्थानीय मुद्रा सहित विभिन्न बातों पर सबकी नजरें होंगी।

First Published - June 5, 2023 | 10:59 PM IST

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