सोशल मीडिया ने सामाजिक मानदंडों को कुछ पीछे धकेलने का काम भी किया है। उदाहरण के तौर पर तैराकी को ही लें। तैराकी खुशी देने वाला और बेहद अच्छा व्यायाम है। 1850 के दशक में जब महिलाओं को इंगलैंड में बराबरी का अधिकार भी प्राप्त नहीं था तब भी विक्टोरिया दौर की महिलाओं के फैमिली एलबम में स्विमसूट में उनके फोटो मिल जाते हैं। ऐसे फोटो 21वीं सदी में इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी मिल जाते हैं। लेकिन एक कॉलेज प्रोफेसर को इंस्टाग्राम अकाउंट में तैराकी और स्विमसूट में अपना फोटो डालने पर पद से हटा देने की घटना मध्यकालीन बर्बर युग की याद दिलाती है।
सोशल मीडिया बीते कुछ सालों में ही अस्तित्व में आया है। इतने कम सालों में ही इसने सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को जोर-शोर से उठाया है। चाहे अमेरिका में गर्भपात के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोग हों, एलजीबीटीक्यू विरोधी ब्रिगेड हो या ‘ब्रिटेन के नागरिकों के लिए ब्रिटेन’, ‘फ्रांस के नागरिकों के लिए फ्रांस’ और ‘हिंदुओं के लिए इंडिया’ के पैरोकार, इन सबने कुशल ढंग से सोशल मीडिया का उपयोग किया है।
सोशल मीडिया ने लोगों का सशक्तीकरण किया है। लेकिन लोगों की नैतिकता एक परिधि में कैद हो गई है। उनकी नैतिकता सदियों पुरानी जैसी हो गई, जैसा हम काल्पनिक कहानियों में सुनते रहे हैं। हालांकि सेक्स के धंधे से जुड़े लोग और पोर्न उद्योग को सोशल मीडिया से ताकत मिली है। पोर्न वर्कर पैसे के लिए कैमरे के सामने कुछ गतिविधियां करते हैं। इस तरह पैसा अर्जित करने वाला खास व्यक्ति किसी और कारोबार में भी काम कर सकता है जैसे पिज्जा डिलिवरी करने वाला बॉय। पिज्जा डिलिवरी करने वाला बॉय दोपहिया वाहन पर सवार होकर एक वेटर की भूमिका भी निभा सकता है। ऐसे में एक व्यक्ति दो क्षेत्रों में काम कर सकता है।
इंटरनेट का दौर शुरू होने से पहले सेक्स वर्कर को दलालों के शिकंजे में काम करना पड़ता था। दलाल सेक्स वर्कर की पिटाई भी करते थे और उनकी कमाई भी हड़प लेते थे। सेक्स वर्कर को कानून लागू कराने वाले लोगों से उत्पीड़न भी झेलना पड़ता था। उस दौर में सेक्स वर्कर के पास अपनी मार्केटिंग के कम ही तरीके होते थे। इंटरनेट से पहले के दौर में सेक्स वर्कर सड़क के किसी कोने पर खड़ी हो जाती थीं या वेश्यालय के छज्जे पर खड़ी रहती थीं।
इंटरनेट ने सेक्स वर्कर को व्यक्तिगत वेबसाइट स्थापित करने का मौका दिया। सेक्स वर्कर ऑनलाइन भुगतान प्राप्त कर रही हैं। इस तरह सेक्स वर्कर ने दलालों की पूरी श्रृंखला को हटा दिया जिससे उनका उत्पीड़न कम हुआ। सोशल मीडिया ने सेक्स वर्कर को संभावित ग्राहकों से संपर्क साधने का अधिक अवसर मुहैया कराया। इंटरनेट की बदौलत सेक्स वर्कर नए तरीके से कई क्षेत्रों में अपनी मार्केटिंग कर रही हैं और नए क्षेत्रों में अपने ग्राहक ढूंढ़ पा रही हैं।
सोशल मीडिया और इंटरनेट ने पोर्न उद्योग को उल्ट पलट दिया है। सेक्स वर्कर को हर मूवी के लिए एकमुश्त कम राशि दी जाती है। उस समय कम स्टूडियो व प्रोड्यूसर थे और उस दौर में शक्ति संतुलन जिस्म दिखाने वाली सेक्स वर्कर के खिलाफ था। यह पूरी तरह शूटिंग कराने वालों के पक्ष में था। पारंपरिक मूवी उद्योग के बिल्कुल उलट पोर्न शूटिंग उद्योग हो गया था। पारंपरिक मूवी उद्योग ने 1950 के दशक में रॉयल्टी प्राप्त करनी शुरू कर दी थी। साल 1972 में लिंडा लवलेस के पति को ब्लॉकबस्टर डीप थ्रॉट में अभिनय के लिए लवलेस को ‘मनाने’ के लिए 1,250 डॉलर का भुगतान किया गया था। इस मूवी को अनगिनत करोड़ों लोगों ने देखा था। समकालीन वॉटरगेट स्कैंडल से जोड़ने के बाद उपशीर्षक से फिल्म का समापन किया। इसका उपशीर्षक था – ‘लवलेस गॉट जिल्च’। इंटरनेट ने नए मार्केटिंग चैनल बनाए। इन नए चैनलों में युवा पोर्न स्टार को अधिक मौका मिला। एग्रीगेटर पोर्नहब ने यू ट्यूब पर बिजनेस मॉडल बनाए और विज्ञापन व सबस्क्रिप्शन की बदौलत पैसे कमाने के नए तरीके खोजे।
सोशल मीडिया ने मौद्रिक समीकरण को बदल दिया है। ओनलीफैन्स जैसी साइट ने पोर्न वर्कर को दूरदराज बैठे पर अपने ग्राहकों के लिए खास सेशन की अनुमति दी। इस दौरान पोर्न वर्कर ने कई तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर अपनी मार्केटिंग की है। इससे सेक्स वर्कर की आमदनी में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। ओनलीफैन्स (यूट्यूब की तरह क्रिएटर की कमाई में से हिस्सा लेता है) का लाभ साल 2020 में 3,750 करोड़ डॉलर था जो 2021 में बढ़कर 1.2 अरब डॉलर हो गया था। ओनलीफैन्स की ग्रास मर्केंडाइज वैल्यू (जीएमवी) में 5.9 अरब डॉलर हो गई थी। करीब आधी जीएमवी सबस्क्रिप्शन से थी जबकि शेष चैट से थी। ओनलीफैन्स के 300 क्रिएटर ने सालाना 10 लाख डॉलर से अधिक कमाई की थी। हालांकि 16,000 क्रिएटरों ने सालाना 50,000 डॉलर से अधिक की कमाई की है। हम इस आमदनी को किसी भी नजरिये से देखें लेकिन यह आश्चर्यचकित करने वाली है।
हालांकि यह बाजार अब नए मोड़ पर खड़ा है। आरोप है कि ओनलीफैन्स ने अपनी बाजार हिस्सेदारी के बचाने के लिए मेटा के कर्मचारियों को रिश्वत दी ताकि वे प्रतिद्वंद्वी साइटों के पोर्न क्रिएटरों को आतंकवादियों की निगरानी करने वाली सूची में डाल दें। न्यायालय में विचाराधीन तीन मामलों पर आरोप है कि ओनलीफैन्स ने मेटा के कर्मचारियों को 20,000 सोशल मीडिया अकाउंट आतंकवादियों पर निगरानी करने वालों की सूची में डालने के लिए रिश्वत दी है। इसमें दो मामले प्रतिद्वंद्वी प्लेटफॉर्म और एक मामला ओनलीफैन्स के तीन कंटेंट क्रिएटरों ने दायर किए हैं।
इस मामले की काली छाया इंस्टा, फेसबुक और टि्वटर पर भी पड़ेगी। इससे क्रिएटरों को अपनी मार्केटिंग करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और उन्हें ऑनलाइन धन कमाने में दिक्कतें आ सकती हैं। यह केवल पोर्न उद्योग के बारे में नहीं है कि उसने अपनी मार्केट हिस्सेदारी बचाने के लिए पूरी तरह अनैतिक तरीका अपनाया है। कारोबार की बात की जाए तो यह हमें मध्ययुग में वापस ले जाता है।