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समझदारी भरे सेबी के नियम

सेबी ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की सूचीबद्धता की अवधि को भी आईपीओ के समापन से छह दिन के बजाय कम करके तीन दिन कर दिया है।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- June 29, 2023 | 11:39 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी हालिया बोर्ड बैठक में गत वित्त वर्ष के लिए खाते मंजूर करने के अलावा कई अन्य अहम निर्णय भी लिए। नियामक ने उच्च जोखिम वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की चुनिंदा श्रेणियों के आर्थिक हितों और लाभकारी स्वामित्व को लेकर बढ़े हुए खुलासे की मांग का प्रस्ताव रखा है। उसने म्युचुअल फंड्स के कुल व्यय अनुपात (टीईआर) के नियमन के विवादित प्रस्ताव को भी मशविरा प्रक्रिया पूरी होने तक स्थगित करने का प्रस्ताव रखा है।

सेबी ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की सूचीबद्धता की अवधि को भी आईपीओ के समापन से छह दिन के बजाय कम करके तीन दिन कर दिया है। उसने शिकायत पंजीयन और निस्तारण प्रक्रिया में भी बदलाव किया है ताकि उसे निवेशकों के अधिक अनुरूप बनाया जा सके। सेबी ने अचल संपत्ति निवेश ट्रस्ट (रीट) और अधोसंरचना निवेश ट्रस्ट (आईएनआईटी) के संचालन संबंधी नियमन में भी तब्दीली की है ताकि बोर्ड में बड़े हिस्सेदारों को प्रतिनिधित्व प्रदान किया जा सके।

उसने ऐसे ट्रस्ट के प्रायोजन की शर्तों में भी बदलाव किया। सेबी ने गैर परिवर्तनीय डिबेंचर्स (एनसीडी) से संबंधित नियमन में भी बदलाव किया है ताकि इन्हें आसानी सूचीबद्ध और गैर सूचीबद्ध किया जा सके। इसके अलावा उसने लिमिटेड पर्पज क्लियरिंग कॉर्पोरेशन कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार में सीधी भागीदारी की राह भी आसान की। कुल मिलाकर ये नियमन बेहतर संचालन मानक स्थापित करेंगे और पारदर्शिता में इजाफा करेंगे। ऐसा करने से बदलाव में तेजी आएगी और आईपीओ सूचीबद्धता तथा एनसीडी के मामलों में नकदी की स्थिति बेहतर होगी।

किसी एक समूह द्वारा प्रवर्तित कंपनियों के शेयरों में अच्छी खासी हिस्सेदारी रखने वाले एफपीआई के आर्थिक हितों और लाभकारी स्वामित्व को लेकर खुलासे बढ़ाने की बात सैद्धांतिक तौर पर समझदारी भरी है। उच्च जोखिम वाले एफपीआई को किसी एक कारोबारी समूह की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों यानी एयूएम में 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी रखने पर स्वामित्व के अतिरिक्त ब्योरे पेश करने होंगे बशर्ते कि ऐसा जुटान 10 दिन की अस्थायी अवधि से अधिक रहा हो।

इससे एक कमी दूर होती है जहां किसी सूचीबद्ध कंपनी में 75 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाला प्रवर्तक एक एफपीआई के माध्यम से और शेल कंपनियों को सामने रखकर अधिक हिस्सेदारी पा सकता है। यह उस कमी को भी दूर करता है जहां भारत के सीमावर्ती किसी देश का नागरिक प्रेस नोट 3 का उल्लंघन करके एफपीआई के जरिये कारोबार कर सकता है।

व्यवहार में कारोबारी निकाय जिस तरह होल्डिंग कंपनियों के संजाल के माध्यम से जिस प्रकार स्वामित्व को कई परतों में रखते हैं वैसे में इसका प्रवर्तन काफी मुश्किल हो सकता है। बहरहाल, नियामक सीमा का उल्लंघन करने वाले एफपीआई से कहेगा कि वह कामकाज समेटे या फिर अपनी होल्डिंग में विविधता लाए तथा तीन महीने की अवधि में अपनी होल्डिंग को कम करे।

नियामक ने हाल ही में अनुमान लगाया है कि करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये मूल्य के एफपीआई एयूएम यानी कुल एफपीआई इक्विटी एयूएम के 6 फीसदी अथवा देश के शेयर बाजार पूंजीकरण के एक फीसदी के बराबर हिस्से को एफपीआई की उच्च जोखिम वाली होल्डिंग के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। सेबी ने सेबी शिकायत निवारण प्रणाली (स्कोर्स) को भी ऑनलाइन विवाद निस्तारण प्रणाली से जोड़ दिया है ताकि सभी विनियमित संस्थाओं की शिकायतों को शामिल किया जा सके।

यह समय सीमा कम करने का प्रयास करेगी। इसके लिए शिकायतों को स्वचालित ढंग से संबंधित विभागों के पास भेजा जाएगा और अगर समय सीमा का पालन नहीं हुआ तो शिकायत को स्वत: ही आगे भी बढ़ा दिया जाएगा। अगर शिकायतकर्ता संबंधित संस्था द्वारा सुझाए गए हल से संतुष्ट नहीं होता है तो दो स्तरों पर समीक्षा का प्रस्ताव रखा गया है।

अगर निवेशक तय विभाग द्वारा की गई पहली समीक्षा से संतुष्ट नहीं होता है। दूसरी समीक्षा स्वयं सेबी द्वारा की जाएगी। मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता लाने के लिए सेबी ने अपरिवर्तनीय डेट प्रतिभूतियों से संबंधित नियमों को संशोधित किया है। अब ऐसी प्रतिभूतियों को जारीकर्ता के चुनाव के मुताबिक सूचीबद्ध या गैर सूचीबद्ध किया जा सकेगा। बड़े अंशधारकों को रीट और आईएनआईटी के बोर्ड में बैठने देने का निर्णय भी समझदारी भरा है।

First Published : June 29, 2023 | 11:39 PM IST