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बैंकिंग साख: जीवन ज्योति, सुरक्षा बीमा कितना फायदेमंद?

ज्यादातर लोगों को यह नहीं मालूम होता है कि वे बीमा पॉलिसियों के रूप में क्या खरीद रहे हैं और क्यों।

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तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- May 29, 2025 | 11:14 PM IST

हम सभी जानते हैं कि देश में विभिन्न बैंक शाखाओं पर बीमा एवं म्युचुअल फंड योजनाएं कैसे गलत तरीके से और ग्राहकों को पूरी बात बताए बिना बेची जाती हैं। मगर यह कहानी का केवल एक पहलू है। इसका दूसरा पहलू यह है कि इसमें पीड़ित व्यक्ति ज्यादातर वे लोग होते हैं जो सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े होते हैं।

इस संदर्भ में दो बीमा योजनाओं प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) का जिक्र करना जरूरी है। ज्यादातर लोगों को यह नहीं मालूम होता है कि वे बीमा पॉलिसियों के रूप में क्या खरीद रहे हैं और क्यों।

पीएमजेजेबीवाई एक जीवन बीमा योजना है जिसमें एक साल का टर्म (सावधि) जीवन बीमा का लाभ मिलता है। इसका हरेक साल नवीकरण होता है और बीमित व्यक्ति की मौत होने पर उसके परिवार को 2 लाख रुपये मिलते हैं। इस योजना के लिए सालाना 436 रुपये प्रीमियम का भुगतान करना होता है। शुरू में इसका प्रीमियम 330 रुपये ही था मगर जून 2022 में इसे बढ़ाकर 436 रुपये कर दिया गया।

पीएमएसबीवाई सरकार समर्थित दुर्घटना बीमा योजना है जिसके तहत दुर्घटनावश होने वाली मौत एवं विकलांगता पर कवर मिलता है। यह योजना 18 से 70 वर्ष की उम्र के लोगों के लिए है और प्रीमियम राशि 20 रुपये सालाना है। इसमें दुर्घटना में मौत या दोनों आंखों या हाथों/पांवों के पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में बीमित व्यक्ति को 2 लाख लाख रुपये और आंशिक विकलांगता के लिए 1 लाख रुपये दिए जाने के प्रावधान हैं।

पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई, दोनों ही पिछले एक दशक से भी अधिक समय से प्रभाव में हैं। वर्ष 2015 के केंद्रीय बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकी घोषणा की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मई 2015 को कोलकाता में इनकी शुरुआत की थी।

सभी बचत बैंक खाताधारक (18-50 वर्ष) इन दोनों ही योजनाओं के लिए योग्य हैं। प्रीमियम उनके खाते से स्वतः ही कट जाते हैं। यहीं से समस्या शुरू होती है मगर इस पर बाद में चर्चा होगी। दोनों ही बीमा योजनाओं के खरीदार या लाभार्थी मुख्य रूप से प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) खाता धारक हैं। सभी सरकारी लाभ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से इन खातों के जरिये भेजे जाते हैं।

मई 2023 में पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई की आठवीं वर्षगांठ पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि 26 अप्रैल 2023 तक पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के लाभार्थियों की संख्या क्रमशः 16.2 करोड़ और 34.2 करोड़ थी। पीएमजेजेबीवाई योजना ने 6,64,000 लोगों को महत्त्वपूर्ण आर्थिक मदद पहुंचाई है जिन्हें उनके दावे के मद में 13,290  करोड़ रुपये भुगतान हो चुके हैं। पीएमएसबीवाई योजना के अंतर्गत कम से कम 1,15,000 परिवारों को 2,302 करोड़ रुपये के दावे निपटाए जा चुके हैं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 34.48 करोड़ खाताधारक पीएमजेजेबीवाई के लाभार्थी थे। सरकार पीएमजेजेबीवाई के अंतर्गत अतिरिक्त 4.07 करोड़ और पीएमएसबीवाई के अंतर्गत अतिरिक्त 6.34 करोड़ और लोगों को लाना चाहती है।

फरवरी के अंत तक पीएमजेजेबीवाई में कुल 9,27,980 दावे प्राप्त हुए थे। उनमें 8,95,477 दावे निपटाए जा चुके हैं और 17,910 करोड़ रुपये भुगतान किए जा चुके हैं। पीएमएसबीवाई के मामले में 2,03,697 दावे आए जिनमें 1,53,108 दावे निपटाए जा चुके हैं।

यानी दावा-निपटान अनुपात काफी अधिक है। मगर ये आंकड़े वास्तविक कहानी बयां नहीं करते हैं। बैंक अधिकारी तो दोनों योजनाओं की सफलता को बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं मगर जमीनी सच्चाई बिल्कुल अलग है। लाखों लोग तो दावे ही नहीं करते क्योंकि उन्हें पता ही नहीं कि वे किसी ऐसी योजना के लाभार्थी हैं। उन्हें यह भी नहीं पता होता कि उनके खातों से रकम क्यों कट जाती है।

इन योजनाओं के क्रियान्वयन में बुनियादी खामियां हैं। अलग से देखें तो इन योजनाओं से जुड़े आंकड़े न तो इन तक लोगों की पहुंच और न ही इनके प्रभाव को दर्शाते हैं। मगर सरकार की तरफ से लक्ष्य हासिल करने के दबाव में आकर बैंक अपने ग्राहकों को पूरी बात समझाए या बिना बताए ही इन योजनाओं की बिक्री कर रहे हैं।

ज्यादातर पॉलिसीधारकों को यह पता ही नहीं होता है कि वे बीमा लाभ के दायरे में हैं। बैंक ग्राहकों की जानकारियां बैक-एंड टीम को भेज देते हैं और प्रीमियम स्वतः कटते जाते हैं और मगर इसकी जानकारी पॉलिसीधारक को नहीं दी जाती है।

ज्यादातर बीमित व्यक्तियों या उनके परिवारों को बीमा कवर के बारे में मालूम नहीं होता है इसलिए वे कोई दावे भी नहीं करते हैं। जिन लोगों के एक से अधिक खाते होते हैं उनके खातों से एक ही पॉलिसी के लिए कई बार अलग-अलग प्रीमियम कट जाते हैं। कई बार तो शहरी क्षेत्रों में अमीर लोगों की जमा (डिपॉजिट) से भी पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के प्रीमियम काट लिए जाते हैं!

यही नहीं, जो लोग दावा करना चाहते हैं उनके लिए पूरी प्रक्रिया काफी जटिल है। मामूली कागजी मसलों की आड़ में दावे अक्सर अस्वीकार कर दिए जाते हैं। ग्रामीण शाखाएं कम पढ़े-लिखे लोगों का साथ देने के बजाय उन्हें अकेले ही कागजी प्रक्रिया पूरी करने के लिए छोड़ देती हैं।

ये दोनों ही योजनाएं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उदाहरण का अनुसरण क्यों नहीं करती हैं? जब कभी भी किसी क्षेत्र में बाढ़ या सूखे की नौबत आती हैं तो बैंक स्वतः ही किसानों को फसल बीमा का लाभ दे देते हैं। इसी तर्ज पर किसी व्यक्ति की मौत या उसके साथ दुर्घटना होने की खबर पाकर बैंक खुद ही प्रभावित परिवार के खातों में रकम भेज सकते हैं।

जहां वाजिब दावाकर्ताओं को मशक्कत झेलनी पड़ती हैं, वहीं फर्जीवाड़ा करने वाले लोग इस पूरी प्रणाली में खामियों का बेजा फायदा उठा ले जाते हैं। ऐसी कई खबरें आई हैं जिनमें दावे करने के लिए मृतक लोगों के नाम पर बीमा कराए गए हैं।

बड़ा सवाल यह है कि क्या ये योजनाएं वाकई लोगों को फायदा पहुंचाती हैं या सरकारी रिपोर्ट में महज खानापूर्ति करने वाले आंकड़े होते हैं? ये दोनों ही योजनाएं निम्न आय वाले परिवारों की वित्तीय संकट से सुरक्षा के लिए शुरू की गई थीं। मगर उनके बीच जागरूकता कम रहने, फर्जीवाड़ा होने और वाजिब दावे खारिज होने से सारे प्रयास बेकार हो जाएंगे।

कुछ ठोस तरीके अपनाकर इन योजनाओं से जुड़ी समस्याएं दूर की जा सकती हैं। सबसे पहले तो बैंकों एवं उनके बीमा साझेदारों को लाभ और दावे करने की प्रक्रिया के बारे में पॉलिसीधारकों एवं उनके परिवारों को पूरी बात बतानी चाहिए। दावा निपटान प्रक्रिया तेज और पारदर्शी बनाई जानी चाहिए। इसके साथ फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सत्यापन एवं तथ्यों की जांच के लिए एआई आधारित तकनीक अपनाई जानी चाहिए। इन योजनाओं में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने के लिए निजी बीमा कंपनियों को आगे आने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। एआई की मदद से बैंक कोई घटना होने पर दावों के स्वतः निपटारे और लाभार्थी के खाते में रकम भेजने की प्रक्रिया सुनिश्चित कर सकते हैं।

अगर बैंक प्रीमियम काटने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं तो फिर तकनीक की मदद से लाभार्थियों को यह क्यों नहीं बता सकते कि उनके खाते से रकम क्यों कट रही है? वे जरूरत के समय लाभार्थियों को बीमा लाभ क्यों सुनिश्चित नहीं कर सकते?

(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार हैं)

 

First Published : May 29, 2025 | 10:50 PM IST