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AI से सुशासन: भविष्य-सम्मत नीतियों के लिए जरूरी है लचीली व्यवस्था

आर्टफिशल इंटेलिजेंस तत्काल निर्णय लेने में मददगार हो सकती है। इससे कितना लाभ मिलेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकारें इसे अपनाने के लिए खुद को कैसे ढालती हैं। बता रहे

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लवीश भंडारी   
Last Updated- July 07, 2025 | 10:56 PM IST

यह स्पष्ट है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) टूल्स और असीमित ज्ञान को एकत्रित करने व जटिल विश्लेषण करने की उनकी क्षमता दुनिया के शासन और नीति निर्माण में बहुत अधिक योगदान कर सकते हैं। परंतु क्या ऐसा होगा और अगर होगा तो कब होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार अपनी प्रक्रियाओं में एआई को कितनी अच्छी तरह शामिल करती है।

इसमें दो राय नहीं कि शासन जटिल गतिविधियों का समुच्चय है जिसके लिए सीमित जानकारी और संसाधन उपलब्ध होते हैं। इन गतिविधियों के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक सूचनाओं, मान्यताओं और प्राथमिकताओं, नैतिकताओं और सदाचार, लोकतांत्रिक मानकों और जनमत निर्माण की भूमिका, इतिहास, क्षमताओं और संसाधन तथा अन्य कारकों को एकजुट करना होता है। तथ्य यह है कि भूराजनीति नीतिगत माहौल को अस्थिर बना रही है। यह बात हालात को और जटिल बना रही है। ऐसे हालात में हमें सहज प्रश्न करने की आवश्यकता है: एआई क्या कर सकती है और क्या यह सोचना उचित है कि शासन के लिए इसका इस्तेमाल किस प्रकार किया जाए?

पहले सवाल का उत्तर आसान है यानी इस प्रश्न का कि एआई सरकार की सहायता कैसे कर सकती है? कई विचार सामने आए हैं। इनमें कल्याण योजनाओं को बेहतर लक्षित करना, बेहतर निगरानी, बेहतर नीतिगत डिजाइन, व्यवहारात्मक बदलाव संबंधी पहल, परिदृश्य और विकल्पों का बेहतर विश्लेषण, स्वचालित ऑडिट और तत्काल  निगरानी शामिल हैं। इसके साथ ही नागरिकों का फीडबैक भी तत्काल हासिल कर उसका विश्लेषण किया जा सकता है। इसके साथ ही शिकायतों के निवारण में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

इनमें से हर काम के लिए ढेर सारी सूचनाओं और उनके विश्लेषण की जरूरत होगी। पहले जहां ऐसा करने में महीनों का समय लग सकता था वहीं अब इसे कुछ ही दिनों में किया जा सकता है क्योंकि आईटी आधारित डेटा विश्लेषण के लिए उपलब्ध है। वहीं एआई इस काम को कुछ ही मिनटों में या उससे भी कम समय में कर सकती है। एआई संपन्न माहौल में आयोजित बैठक में किसी प्रश्न का उत्तर बैठक के चालू रहते ही मिल सकता है जबकि पहले इसमें कई दिनों का समय भी लग सकता था। यह उस समय और प्रासंगिक हो जाता है जब शासन में वरिष्ठ पदों पर और निचले स्तर पर बैठे लोगों के बीच का बौद्धिक अंतर बहुत अधिक होता है। इससे सरकारी व्यवस्था में सूचनाओं और विश्लेषण का प्रवाह सीमित हो जाता है। एआई निचले स्तर के अधिकारियों को सक्षम बना सकती है और ऊपरी स्तर के लोगों की क्षमताएं और बढ़ा सकती है। ऐसे में निर्णय तेजी से लिए जा सकते हैं। एआई से लाभ लेने के लिए अलग तरह की निर्णय प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो एआई बहुत मददगार हो सकती है लेकिन केवल तभी जब सरकार के भीतर निर्णय लेने की प्रक्रिया में बदलाव आए।

इतना ही नहीं भारत के पास एआई के मामले में दूसरे देशों से उलट एक विशिष्ट अवसर है। आरंभ में समावेशन की दृष्टि से जो डिजिटल सार्वजनिक ढांचा पेश किया गया, वह देश के अधिकांश राज्यों और यहां तक कि स्थानीय स्तर तक भी फैल चुका है। चूंकि एआई गहन जानकारी होने पर बेहतर काम करती है इसलिए व्यापक और लगातार बढ़ती डिजिटल अधोसंरचना सरकार की निर्णय प्रक्रिया में इसका लाभ लेने का अतिरिक्त अवसर मुहैया कराती है।

इसमें दो राय नहीं कि एआई की भी अपनी चुनौतियां हैं और वे बरकरार रहेंगी। तीन प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं: मति भ्रम, अंतर्निहित तर्क संबंधी पूर्वग्रह और अविकसित सदाचारी और नैतिक मूल्य। मति भ्रम का अर्थ है जब एआई जानकारियां स्वयं तैयार करती हैं और अक्सर वे कम सूचना उपलब्ध होने पर ऐसा करती हैं। चूंकि सभी एआई मॉडल्स को पहले से उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर प्रशिक्षित करना होता है इसलिए हमारे तमाम पूर्वग्रह जिनमें लिंग और धर्म से संबंधित पूर्वग्रह शामिल हैं, एआई टूल्स में भी आ जाते हैं। इसके अलावा ऐसे टूल्स में सही या गलत की अवधारणा का अभाव होता है। मुझे विश्वास है कि इन्हें लेकर सुरक्षा उपाय सामने आएंगे, कुछ तो आ भी चुके हैं लेकिन वे बस फौरी राहत देंगे और इन्हें विभिन्न संस्कृतियों, पेशेवर अनुभवों और निर्णय लेने वाले लोग इस्तेमाल में लाएंगे।

ये मुद्दे चौतरफा हैं और ये एआई के इस्तेमाल के खिलाफ भी दलील तैयार करते हैं। हम नहीं चाहेंगे कि एआई की ये कमियां भारत के नीति निर्माण के क्षेत्र में प्रवेश करें। एआई का इस्तेमाल केवल निर्णय प्रक्रिया में सहायता के लिए किया जाना चाहिए न कि निर्णय लेने के लिए। कम से कम अभी तो ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। परंतु सीमित भूमिका में भी कई अवसर निहित हैं। सरकारें ऐसे कई निर्णय लेती हैं जिनका सामाजिक स्तर पर कोई प्रभाव नहीं होता है बल्कि उनका व्यक्तिगत स्तर पर छोटा प्रभाव होता है। इसलिए संभावित प्रभाव के पैमाने के आधार पर इंसानों और एआई के इंटरफेस को अलग-अलग होना चाहिए।

ऐसे भी अवसर हैं जहां एआई के इस्तेमाल से शीघ्र लाभ प्राप्त हुए। मसलन बेहतर वेबसाइट प्रबंधन। गैर राजस्व संग्रह वाली सरकारी वेबसाइटों पर विचार कीजिए। इनमें से कई पुरानी वेबसाइट ठीक से काम नहीं करतीं। विभाग के पास इतनी बैंडविड्थ नहीं होती कि हर पेज की निगरानी और प्रदर्शन मानक को लागू किया जा सके। कुल मिलाकर देखा जाए तो हजारों सरकारी वेबसाइट में सुधार व्यापक असर वाला हो सकता है भले ही व्यक्तिगत स्तर पर ये सुधार मामूली नजर आए।

इसके विपरीत एक मुद्दा यह है कि निर्णय कब-कब किए जाते हैं। कुछ निर्णय, जैसे कि विशिष्ट कानूनों में परिवर्तन, कम आवृत्ति वाले होते हैं। ऐसी स्थितियों में एआई की भूमिका सूचना सहायक या सलाहकार की भांति होगी। दूसरी ओर, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों के बीच खाद्यान्न का आवंटन कैसे किया जाए यह निर्णय अधिक बार लिए जाते हैं और यहां गलतियों को आसानी से सुधारा जा सकता है। यहां अफसरशाही की निगरानी में एआई को अधिक आवंटनकारी भूमिका सौंपी जा सकती है। एआई के आकलन के दो अन्य आयाम लागत और जटिलता भी हो सकते हैं। बड़ी बात यह है कि समस्या को समझकर हम उन मापदंडों की बेहतर पहचान कर सकते हैं जिनके तहत एआई का उपयोग किया जाना चाहिए। ये बदले में उन लाभों को जल्दी दिलाने में मददगार हो सकते हैं जिन्हें हम इससे हासिल कर सकते हैं।

इस तरह यह स्पष्ट है कि एआई नीति निर्माण में बहुत मददगार हो सकता है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह कैसे होगा? सरकार की निर्णय प्रकिया का आवृत्ति और संभावित असर जैसे पहलुओं के आधार पर आकलन कर एक ऐसी रूपरेखा तैयार की जा सकती है जिससे न केवल निर्णय प्रक्रिया तेज होगी बल्कि निर्णयों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। डिजिटल अधोसंरचना और कल्याण योजनाओं की कामयाबी के साथ अब ऐसी कई राहें खुल गई हैं जहां एआई आधारित साधन सूक्ष्म स्तर के डेटा का उपयोग करके नीतिगत निर्णय लेने वालों को तत्काल  सूचनाएं दे सकते हैं। इसके अलावा सरकार अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं में भी कुछ सुधार कर सकती है। इसका कुल प्रभाव और भी अधिक व्यापक हो सकता है।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)

First Published : July 7, 2025 | 10:24 PM IST