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वैश्विक बाजारों को याद रहेगा मार्च

Published by
आकाश प्रकाश
Last Updated- April 04, 2023 | 10:05 PM IST

मार्च में व्यवस्था की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण वित्तीय संस्थानों का पतन हुआ और बॉन्ड बाजार में सफाया देखने को मिला। यह सावधानी बरतने का वक्त है। बता रहे हैं आकाश प्रकाश

आखिरकार मार्च का महीना खत्म हो गया। यह ऐसा महीना था जब वित्तीय बाजार में तनाव था और वह अतिरंजित कदम उठा रहा था। निवेशकों को भारी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा और यूरोप तथा अमेरिका में बैंकिंग व्यवस्था डांवाडोल रही। सिलिकन वैली बैंक (एसवीबी) और क्रेडिट सुइस का पतन भी इसी बीच सामने आया।

अमेरिका में क्षेत्रीय बैंकों के साथ भी ऐसा ही हुआ और अधिकारियों को एसवीबी के जमाकर्ताओं के बचाव में सामने आना पड़ा। जेपी मॉर्गन चेज तथा अन्य बड़े अमेरिकी बैंक फर्स्ट रिपब्लिक को उबारने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा पहली श्रेणी के बॉन्ड बाजार को उस समय झटके का सामना करना पड़ा जब 17 अरब डॉलर मूल्य के क्रेडिट सुइस बॉन्ड बट्टे खाते में डाल दिए गए। माना जा रहा है कि इस विवादित प्रक्रिया में पूंजी ढांचे के वरिष्ठता सिद्धांत के बुनियादी ढांचे का भी उल्लंघन किया गया।

मार्च में ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में इजाफे की प्रक्रिया शुरू किए हुए एक वर्ष हो गया। यह देखना दिलचस्प है कि बीते 12 महीनों में विभिन्न चरों का प्रदर्शन कैसा रहा। करीब एक पखवाड़ा पहले हमें एसवीबी का पतन देखने को मिला और अमेरिकी दो वर्षीय ट्रेजरी प्रतिफल में 1982 के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई।

यह गिरावट करीब 60 आधार अंकों की थी और 1987 के ब्लैक मंडे या 9/11 अथवा वैश्विक वित्तीय संकट के समय आई गिरावट से तेज थी। यह गिरावट 15 मार्च को क्रेडिट सुइस के पतन की आशंका से आई। इससे पहले बॉन्ड बाजार में इतनी अस्थिरता 2008 के वित्तीय संकट के समय आई थी। डर इस बात का है कि क्रेडिट सुइस बॉन्ड के कारण हुए 17 अरब डॉलर के नुकसान और दरों में आई अस्थिरता के कारण पोर्टफोलियो फंडों, बीमा कंपनियों और बैंकों को भारी नुकसान हो सकता है।

सवाल यह है कि क्या इस नुकसान को वहन किया जा सकता है या फिर और संकटों का सामना करना पड़ सकता है। शेयरों की अस्थिरता का आकलन करने वाला वीआईएक्स सूचकांक अभी भी 2022 के उच्चतम स्तर तक भी नहीं पहुंचा है, वित्तीय संकट को तो छोड़ ही दें। तमाम उथलपुथल के बावजूद एसऐंडपी 500 सूचकांक इस वर्ष 7 फीसदी और नैसडैक 17 फीसदी ऊपर है। यहां तक कि यूरोप में स्टॉक्स 600 सात फीसदी ऊपर है। इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित बैंक हैं। अमेरिका में केबीडब्ल्यू बैंक सूचकांक 19 फीसदी नीचे है, हालांकि उसके समकक्ष यूरोपीय बैंक सूचकांक अभी भी कुछ ऊपर है।

अभी तक तयशुदा आय वाले बाजारों को अधिक कठिनाई महसूस होती थी, बजाय शेयरों के जहां कम बॉन्ड प्रतिफल बाजार को बचा लेता था। वित्तीय हालात तेजी से सख्त हो रहे हैं और ऐसे में तयशुदा आय के तनाव के बाद शेयर बाजार निवेशक इस बात पर दांव लगा रहे हैं कि फेड को 2023 में दरों में कटौती करनी होगी। जो क्षेत्रीय बैंक अमेरिका में दबाव में हैं वे 40 फीसदी ऋण और करीब 65 फीसदी वाणिज्यिक अचल संपत्ति ऋण के लिए उत्तरदायी हैं।

नकदी पर दबाव और अस्तित्व के दांव पर लगे होने के कारण अमेरिका के सभी छोटे बैंकों में ऋण मानक तेजी से सख्त होंगे। इससे अर्थव्यवस्था में मंदी आएगी और शायद ज्यादातर लोगों की उम्मीद से अधिक तेजी से आएगी। अमेरिका में सामान्य मंदी में आय अनुमानों में 15 से 20 फीसदी कमी आती है लेकिन विश्लेषणात्मक आंकड़ों में अभी यह कमी आनी भी शेष है। शेयर बाजार अभी ऊपर जा रहे हैं और इस संभावना का जश्न मना रहे हैं कि फेड द्वारा दरों में इजाफे का चक्र शायद समाप्त हो गया है। इस बीच सवाल यह है कि बाजार परिदृश्य के संचालन में क्या ज्यादा शक्तिशाली है प्रतिफल या आय?

मार्च के मध्य मची अफरातफरी में बाजार ने इस तथ्य की अनदेखी कर दी कि फेड द्वारा सख्ती का चक्र शुरू किए हुए एक साल पूरा हो चुका है। 12 महीनों में 450 आधार अंकों के इजाफे के साथ यह सख्ती काफी अधिक तेज थी। आश्चर्य की बात है कि फेड दो फीसदी मुद्रास्फीति और पूर्ण रोजगार के अपने दोहरे लक्ष्य से काफी दूर है। दरों में इजाफा शुरू होते वक्त भी कमोबेश ऐसे ही हालात थे।

मुद्रास्फीति अभी भी काफी ऊंचे स्तर पर है। बीते 12 महीनों के तेजी के चक्र में सबसे बुरी तरह प्रभावित परिसंपत्ति वर्ग है बॉन्ड और जिंस। तेल कीमतें 20 फीसदी से अधिक कम हैं, कॉपर में 10 फीसदी की कमी आई है और सीआरबी सूचकांक में सात फीसदी की गिरावट है। जीआईएलटीएस और यूरोपीय संघ के सॉवरिन बॉन्ड दोनों 10 फीसदी से अधिक गिरावट पर हैं जबकि अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड करीब 5 फीसदी गिरावट पर है।

एसऐंडपी 500 और नैसडैक दोनों गिरावट पर हैं और अधिकांश इक्विटी बाजार बीते 12 महीनों में तेजी पर रहे हैं। यही वह अवधि थी जब दुनिया भर में मौद्रिक नीति में सख्ती आ रही थी। कीमतों को लेकर यह गतिविधि तयशुदा आय के लिए इस कथानक में सही बैठती है कि उन्हें मौद्रिक नीति के सामान्यीकरण के समायोजन के साथ मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।

हम सब जानते हैं कि मौद्रिक नीति का असर थोड़ा ठहरकर होता है। हालांकि यह असर होने में कितना समय लगता है यह स्पष्ट नहीं है। इस चक्र में हमने देखा है कि अमेरिका में सकल घरेलू उत्पाद किसी भी अन्य ब्याज दर चक्र की तुलना में कमजोर रहा है। यह तेजी के चक्र के पहले वर्ष में एसऐंडपी 500 का भी सबसे कमजोर प्रदर्शन है। मूल खुदरा मूल्य सूचकांक में भी पिछले 12 महीनों के इजाफे की तुलना में मामूली गिरावट देखने को मिली है।

आईएसएम विनिर्माण सर्वे पहले ही 50 के नीचे आ चुका है। अमेरिका में एम2 मुद्रा आपूर्ति में भी गिरावट आने लगी है। हमने पिछले चक्रों में ऐसा नहीं देखा। जिस प्रकार सालाना आधार पर इस संकेतक में 25 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली, वहीं कोविड के दौरान इसमें गिरावट भी अस्वाभाविक थी जैसा कि पहले कभी देखने को नहीं मिला था। यह भी स्पष्ट है कि जब हम फेड के मुद्रास्फीति संबंधी संकेतकों को देखते हैं फिर चाहे वह मूल व्यक्तिगत व्यय सूचकांक हो या बुनियादी सेवा (आवास से इतर) सूचकांक हो, बीते 12 महीनों में इनमें मामूली सुधार ही देखने को मिला है। इसके अलावा हम अभी भी फेड के तय लक्ष्यों से ऊपर चल रहे हैं।

मार्च का महीना इतिहास की किताबों में दर्ज होने वाला महीना है। भारी उतार-चढ़ाव और वित्तीय तंत्र का तनाव। इस दौरान ऐसा काफी कुछ घटा जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। इस बीच केवल यही कहा जा सकता है कि बड़े नुकसान अभी भी अनजाने बही खातों में दर्ज हैं। इस बात की संभावना बहुत कम है कि सबकुछ एकदम ठीक नजर आए। अभी अस्थिरता और तनाव के नए दौर सामने आ सकते हैं। यह समय सतर्क रहने का है।

(लेखक अमांसा कैपिटल से संबद्ध हैं)

First Published : April 4, 2023 | 10:05 PM IST