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Editorial: सोशल मीडिया की पहेली

मेटा ने कहा है कि वह इंस्टाग्राम और फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले किशोरों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम सामग्री नहीं दिखाएगी।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- January 12, 2024 | 11:01 PM IST

दुनिया भर के नियामकीय प्राधिकारों तथा नागरिक समाज की ओर से दबाव झेलने के बाद मेटा ने कहा है कि वह इंस्टाग्राम और फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले किशोरों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम सामग्री नहीं दिखाएगी। इस सोशल मीडिया नेटवर्क कंपनी ने यह कदम तब उठाया है जब उस पर आरोप लगा कि वह अपने प्लेटफॉर्मों को किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसान पहुंचाने वाला और लत के समान बना रही है।

करीब 33 अमेरिकी राज्यों ने व्हिसलब्लोअर्स द्वारा जारी आंतरिक अध्ययन रिपोर्ट के बाद यह आरोप लगाया। यूरोपीय आयोग ने मेटा से यह भी कहा कि वह इस बारे में जानकारी पेश करे कि आखिर वह बच्चों को ऑनलाइन मौजूद घातक सामग्री से बचाने के लिए क्या योजना बना रही है।

सोशल मीडिया की इस दिग्गज कंपनी ने कहा है कि वह ऐसी पोस्ट को किशोरों की फीड से हटाना चाहती है जो आत्महत्या, आत्मघात या खानपान की बीमारियों से संबंधित हैं। कंपनी ने कहा है कि अगर उपयोगकर्ता ऐसी सामग्री पोस्ट करने वाले वयस्कों को फॉलो करते होंगे तो भी वह उनकी फीड से ऐसी सामग्री को हटा देगी। कंपनी का यह कदम जाहिर तौर पर इन आशंकाओं की उपज है कि नियामक उस पर ऐसे प्रतिबंधात्मक कायदे लगा सकते हैं जो मेटा को किशोर उपयोगकर्ताओं से संपर्क करने से रोक दें।

बहरहाल, इस पहल का प्रवर्तन और निगरानी कई स्तरों पर कठिन हैं। ये प्लेटफॉर्म आयु की पुष्टि के लिए स्वप्रमाणन पर निर्भर करते हैं हालांकि सैद्धांतिक तौर पर कम उम्र के उपयोगकर्ताओं को इनसे बचाया जाता है। फेसबुक और इंस्टाग्राम साइनअप के लिए न्यूनतम 13 वर्ष की आयु की शर्त रखते हैं और अल्पवय बच्चों को अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की सहमति की जरूरत होती है।

उन्हें खराब भाषा, बार-बार असभ्य भाषा, स्पष्ट रूप से यौनिकता वाले संवाद और/अथवा गतिविधि या ग्राफिक हिंसा और या ऐसे चित्रों से बचाया जाना अपेक्षित है। व्यवहार में देखें तो आयु के प्रमाणन की जरूरत को दरकिनार करके बच निकलना आसान है। तकनीक के इस्तेमाल में दक्ष युवा ऐसा करते हैं और वयस्कों के रूप में साइन अप कर लेते हैं।

हालांकि ऐसा करना सेवा शर्तों का उल्लंघन है और इसके लिए उनके अकाउंट बंद किए जा सकते हैं। इंस्टाग्राम ने प्रतिबंधों को सख्त करते हुए यह व्यवस्था बनाई है कि 19 वर्ष से कम आयु के उपयोगकर्ता ऐसे किसी व्यक्ति को निजी संदेश नहीं भेज सकते जो उन्हें फॉलो नहीं करते। इसके अलावा ऐसा कोई व्यक्ति उनकी सामग्री को टैग या मेंशन नहीं कर सकता न ही रीमिक्स में उसका इस्तेमाल कर सकता है जिन्हें वे फॉलो नहीं करते। कम उम्र युवाओं और खातों के लिए संवेदनशील सामग्री से जुड़े नियंत्रण भी हैं।

इन प्रतिबंधों में कमियां भी हैं। इन मंचों पर अल्प आयु के युवा भी दिक्कतदेह सामग्री तैयार कर सकते हैं। इंस्टाग्राम इस बात के लिए कुख्यात है कि वहां युवाओं द्वारा साथियों को परेशान किया जाता है। इस बात की पूरी संभावना है कि कोई खराब और परेशान करने वाली पोस्ट लंबे समय तक वायरल बनी रहे। बेहतर रिपोर्टिंग सिस्टम और ढेर सारे मॉडरेटरों की मदद से ही उसे विश्वसनीय बनाया जा सकता है। इसकी अपनी कीमत है।

किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए सबसे बड़ा मुद्दा शायद सामग्री पर नजर रखने और लोगों को जोड़े रखने के बीच का द्वंद्व है। व्हिसलब्लोअर का आंतरिक अध्ययन इस बात को स्पष्ट करता है कि कंपनी लोगों को अपने साथ जोड़े रखने पर जोर देती है जबकि उसे पता है कि किशोर अपना बहुत अधिक समय फेसबुक पर देते हैं और उन्हें इसका खमियाजा भी भुगतना पड़ता है।

सोशल मीडिया के लिए ऐसा कारोबारी मॉडल तैयार करना मुश्किल होगा जहां वह घातक सामग्री की पहुंच तो सीमित करे लेकिन अपने साथ लोगों का जुड़ाव बनाए रखे। अगर लोगों का जुड़ाव कम होता है तो इसका नकारात्मक वित्तीय असर होगा। यह देखना मुश्किल होगा कि ये प्लेटफॉर्म बिना नियामकीय दबाव के इस पहेली को किस प्रकार हल करते हैं।

First Published : January 12, 2024 | 11:01 PM IST