सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की चार बड़ी कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे तथा उनके प्रबंधन की टिप्पणियां यही बताती हैं कि मांग में कमी के मामले में बुरा दौर बीत चुका है। कम से कम सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग तो यही मानता है। बहरहाल कंपनियों का प्रबंधन अभी भी अल्पावधि में मांग में सुधार के अनुमानों को लेकर सतर्क है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), एचसीएल टेक, इन्फोसिस और विप्रो सभी ने राजस्व के मोर्चे पर अनुमान के मुताबिक या उससे बेहतर प्रदर्शन किया। मुनाफे और मार्जिन के क्षेत्र में भी उनका प्रदर्शन कमोबेश ऐसा ही रहा। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आश्चर्यजनक रूप से मजबूत प्रदर्शन की बदौलत निवेशक भी प्रबंधकों से बेहतर अमुमानों की उम्मीद कर रहे थे क्योंकि अमेरिका भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए प्रमुख बाजार है।
बहरहाल, एक ओर जहां प्रबंधन इस लिहाज से सकारात्मक है कि कंपनियां मान रही हैं कि मांग और मार्जिन में कमी के लिहाज से बुरा समय बीत चुका है तो वहीं उनमें से कोई यह नहीं मानती है कि मांग में तत्काल कोई इजाफा होगा। कम से कम दो प्रबंधकों ने कहा कि अभी भी ऐसा रुझान है जहां ग्राहक विवेकाधीन व्यय को टाल रहे हैं।
सकारात्मक पहलू की बात करें तो इन सभी कंपनियों को नए क्षेत्रों, मसलन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और एचसीएल की बात करें तो क्लाउड आधारित उत्पादों के क्षेत्र में बाजार नजर आ रहा है। कंपनियां नए सौदे हासिल करने को लेकर भी आत्मविश्वास से भरी हुई नजर आने लगी हैं। यूरोप में टीसीएस के सबसे अधिक ग्राहक हैं और कंपनी का कहना है कि दो खराब वर्षों के बाद यूरोपीय संघ का व्यय सामान्य हो सकता है।
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तीन बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या कम हुई लेकिन श्रम शक्ति में कमी की दर में धीमापन आया। एचसीएल इकलौती ऐसी कंपनी रही जिसमें कर्मचारियों की तादाद बढ़ी। राजस्व वृद्धि और मार्जिन में सुधार दोनों मामलों में उसका परिणाम सबसे बेहतर रहा। बहरहाल एचसीएल प्रबंधन का कहना है कि मांग में कोई स्पष्ट सुधार नहीं नजर आया है।
समूचे उद्योग जगत में चर्न रेट (किसी दी गई अवधि में एक कंपनी के साथ ग्राहकों के कारोबार बंद करने की दर) में भी कमी आई है और अब यह दर 12-15 फीसदी के दायरे में रह गई है। परंतु यह मांग के धीमे परिदृश्य का भी लक्षण है क्योंकि जब उद्योग जगत में मांग अधिक होती है तो यह दर बढ़ती है। टीसीएस के प्रबंधन की टिप्पणी और अन्य तीन कंपनियों का स्पष्ट राजस्व अमुमान यही संकेत करता है कि चारों कंपनियों का राजस्व अनुमान बरकरार रहेगा। परंतु किसी कंपनी ने निकट भविष्य में बेहतर राजस्व नजर आने का दावा नहीं किया।
सभी कंपनियों के ग्राहक आर्टिफिशल इंटेलीजेंस में रुचि ले रहे हैं लेकिन यह बड़े ऑर्डर में नहीं तब्दील हो पा रहा। कुछ ग्राहक क्लाउड पर जाने के दूसरे दौर पर विचार कर रहे हैं। लंबी अवधि में अमेरिका में टिकाऊ वृद्धि और कम मुद्रास्फीति मांग में तेजी में तब्दील हो सकती है। विवेकाधीन व्यय टालने वाले ग्राहक दोबारा सौदों पर चर्चा आरंभ कर सकते हैं।
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बहरहाल बीते दो या तीन साल में हुए बदलाव आईटी सेवा बाजार पर दीर्घकालिक ढांचागत असर डाल सकते हैं। अधिक से अधिक बड़ी कंपनियों ने आंतरिक क्षमता विकसित करने में निवेश किया है। इससे वैश्विक क्षमता केंद्रों का विस्तार हुआ है। परिभाषा के स्तर पर देखें तो इससे आउटसोर्सिंग की मांग में कमी आएगी। कई संगठनों ने क्लाउड की ओर स्थानांतरण पूरा कर लिया है जिससे इस क्षेत्र की मांग पर असर पड़ता है और भविष्य की आउटसोर्सिंग में कमी आ सकती है।
आर्टिफिशल इंटेलीजेंस अब तक राजस्व और मुनाफे में अधिक योगदान नहीं दे पा रही है हालांकि यह विकसित होता क्षेत्र है। बड़ी कंपनियां अपनी प्रबंधन टिप्पणी और अनुमान में सतर्कता बरत रही होंगी। अगर बहुप्रतीक्षित सुधार का चक्र आता है तो सकारात्मक परिणाम नजर आ सकते हैं। बहरहाल उन्हें आर्टिफिशल इंटेलीजेंस को अपनाने और वैश्विक क्षमता केंद्रों के आलोक में अपने कारोबारी मॉडल की समीक्षा करने की जरूरत है।