न्यूनतम एक करोड़ रुपये राजस्व वाली 470 सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय परिणामों से तो यही लगता है कि वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में आर्थिक सुधार की शुरुआत हो चुकी है। दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी), सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), वाहन कलपुर्जा, इस्पात और सीमेंट आदि सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। बहरहाल, मजबूत प्रदर्शन के इस आकलन को लेकर सतर्कता बरतने की तमाम वजह मौजूद हैं। पहली बात तो यह कि पिछले वर्ष की समान तिमाही (जुलाई-सितंबर 2019) में कॉर्पोरेट प्रदर्शन काफी कमजोर था जिसके कारण आधार भी कम रहा। इस वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2020) देशव्यापी लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित रही। पहली नजर में देखें तो सालाना आधार पर कंपनियों का मुनाफा असाधारण रूप से बढ़ा नजर आता है। उपरोक्त 470 कंपनियों की कुल आय में जहां 4 फीसदी कमी आई (जबकि अन्य आय 26 फीसदी बढ़ी) वहीं परिचालन लाभ 45 प्रतिशत बढ़ा। इस अवधि में कर पश्चात लाभ (पीएटी) 4083 प्रतिशत बढ़कर 2,167 करोड़ रुपये से 90,676 करोड़ रुपये हो गया।
हालांकि पिछले वित्त वर्ष में दूरसंचार कंपनियों भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया दोनों ने रिकॉर्ड घाटे की घोषणा की थी। समायोजित सकल राजस्व मामले में विपरीत निर्णय के कारण यह घाटा करीब 73,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया था। उस मामले में राहत मिलने के बाद दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के नतीजे भी सामान्य नजर आए। मुनाफे में ज्यादातर विस्तार इसी वजह से हुआ, हालांकि उन्हें विशुद्ध लाभ में मामूली नुकसान सहना पड़ा। रिफाइनिंग क्षेत्र भी बड़ा लाभार्थी बनकर उभरा है। बीपीसीएल और आईओसी दोनों को इन्वेंटरी का मूल्य बढऩे के कारण काफी लाभ हुआ। पिछली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2020 की तुलना में गैस और कच्चे तेल की कीमत में इजाफा भी इसकी वजह बना। आईओसी का कर पश्चात लाभ पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 468 करोड़ रुपये से बढ़कर 6,052 करोड़ रुपये हो गया। जाहिर है इस लाभ में कच्चे तेल की स्थिरता का योगदान रहा। हालांकि यदि रिफाइनिंग और दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों को बाहर कर दिया जाए तो भी शेष कंपनियों की स्थिति अच्छी नजर आती है। बाकी कंपनियों के कर पश्चात लाभ में 25.8 फीसदी और परिचालन मुनाफे में 9.9 फीसदी का इजाफा हुआ। अस्थिर माना जाने वाले बैंकिंग क्षेत्र भी बेहतर स्थिति में नजर आया।
शनिवार को जिन 18 सूचीबद्ध कंपनियों ने नतीजे घोषित किए उनका मुनाफा दोगुना से अधिक यानी 113 फीसदी बढ़ा। आईसीआईसीआई बैंक के नतीजे शानदार रहे। यूको बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और आईडीबीआई सभी बैंकों के मुनाफे में जबरदस्त सुधार हुआ। मुनाफे में बढ़ोतरी के साथ-साथ ऋण में भी विस्तार हुआ। हालांकि बैंकिंग क्षेत्र के इन नतीजों के साथ हमें ध्यान रखना होगा कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का प्रदर्शन इतना अच्छा नहीं रहा है। एफएमसीजी क्षेत्र की बिक्री में सालाना आधार पर 12 फीसदी इजाफा हुआ जबकि कर पश्चात लाभ 10.4 फीसदी बढ़ा। आईटी क्षेत्र स्थिर रहा और उसकी शुद्ध बिक्री 4 फीसदी और कर पश्चात लाभ 5 फीसदी बढ़ा। आईटी क्षेत्र की तमाम बड़ी कंपनियों की ओर से आशावादी अनुमान जारी हुए हैं। औषधि क्षेत्र भी स्थिर नजर आया जबकि वाहन कलपुर्जा क्षेत्र के कर पश्चात लाभ में 7.5 फीसदी और बिक्री में 1.5 फीसदी का इजाफा हुआ। वाहन क्षेत्र का संघर्ष जारी रहा। उसकी बिक्री 8.6 फीसदी और कर पश्चात लाभ 9.8 फीसदी गिरा। यदि तमाम असंगतियों का ध्यान रखा जाए तो यह पूरा रुझान आशान्वित होने की वजह देता है। एफएमसीजी का प्रदर्शन मांग में सुधार को दर्शाता है। वहीं इस्पात और सीमेंट क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन बताता है कि बुनियादी गतिविधियां गति पकड़ रही हैं।
