BS
आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा शिक्षित लोगों के बीच बेरोजगारी की समस्या बेहद गंभीर होती जा रही है। इस प्रदेश में बेरोजगारी दर सितंबर-दिसंबर 2022 में 6.15 प्रतिशत थी। लेकिन कम से कम ग्रेजुएट परीक्षा पास करने वाले लोगों में बेरोजगारी की दर 35.1 प्रतिशत थी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस राज्य में 73 प्रतिशत से ज्यादा बेरोजगार लोग ग्रेजुएट हैं।
इस विश्लेषण के आंकड़े सितंबर-दिसंबर 2022 के दौरान CMIE के उपभोक्ता पिरामिड परिवारों के 27वें चरण के सर्वेक्षण से जुड़े हैं। इस अवधि के दौरान सर्वेक्षण के लिए आंध्र प्रदेश के करीब 5,897 परिवारों ने जवाब दिए थे।
हम आमतौर पर भारत में देखते हैं कि ज्यादा पढ़े-लिखे वर्ग के बीच बेरोजगारी दर ज्यादा है। ऐसा इसलिए कि शिक्षित लोग रोजगार की संभावनाएं ज्यादा तलाशते हैं। श्रम बाजार की बात करें तो शिक्षित लोगों में भी श्रम भागीदारी दर ज्यादा है। आंध्र प्रदेश में भी इसी तरह के रुझान हैं। लेकिन चिंताजनक बात है कि राज्य के ग्रेजुएट्स के बीच बेरोजगारी दर काफी ज्यादा है।
आंध्र प्रदेश में 35.1 प्रतिशत की ग्रेजुएट बेरोजगारी दर भारत के ग्रेजुएट पास लोगों द्वारा सामना की जाने वाली बेरोजगारी दर के दोगुने से ज्यादा है, जो सितंबर-दिसंबर 2022 में 17.2 प्रतिशत थी। यह भारत में 7.47 प्रतिशत की बेरोजगारी दर के दोगुने से ज्यादा है।
आंध्र प्रदेश में बेरोजगारी की दर कम शिक्षित लोगों के बीच काफी कम थी। नौवीं कक्षा तक की अधिकतम शिक्षा पाने वाले लोगों को एक प्रतिशत से भी कम बेरोजगारी दर का सामना करना पड़ा। 10वीं और 12वीं कक्षा के बीच शिक्षा पूरी करने वाले लोगों के लिए यह दर बढ़कर 4.6 प्रतिशत के करीब हो गई। इसकी तुलना में, ग्रेजुएटों के बीच बेरोजगारी दर लगभग 30 प्रतिशत अंक ज्यादा थी।
शिक्षा के स्तर में बढ़ोतरी के साथ ही आंध्र प्रदेश के श्रम बल में प्रवेश करने वाली कामकाजी उम्र की आबादी की हिस्सेदारी में भी वृद्धि हुई है। सितंबर-दिसंबर 2022 में नौवीं कक्षा तक की अधिकतम शिक्षा पाने वाले लोगों के बीच श्रम भागीदारी दर 32 प्रतिशत थी। वहीं हाईस्कूल की पढ़ाई (10वीं और 12वीं कक्षा के बीच) पूरी करने वालों के बीच, श्रम भागीदारी दर 38.8 प्रतिशत से ज्यादा थी।
इसके अलावा, ग्रेजुएटों के बीच श्रम भागीदारी दर 67 प्रतिशत से थोड़ी ज्यादा थी जो अन्य समूहों की तुलना में ज्यादा है। हालांकि आंध्र प्रदेश में ग्रेजुएटों के बीच श्रम भागीदारी की दर ज्यादा है लेकिन श्रम बल से जुड़ने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा रोजगार पाने में असमर्थ है। वहीं दूसरी ओर, श्रम बल में शामिल कम पढ़े-लिखे लोगों में बेरोजगारी भी कम है।
सितंबर-दिसंबर 2022 में, आंध्र प्रदेश में श्रम बल से करीब 1.6 करोड़ लोग जुड़े थे। इनमें से लगभग 86.3 लाख लोगों ने अधिकतम नौवीं कक्षा तक की शिक्षा हासिल की थी। इस स्तर तक की शिक्षा पाने वाले समूह में केवल करीब 7,000 लोग बेरोजगार थे और बाकी 86.2 लाख लोग कार्यरत थे।
नौवीं कक्षा तक की शिक्षा पाने वाले लोगों को सबसे ज्यादा रोजगार मिला जो सितंबर-दिसंबर 2022 के 32 प्रतिशत के उच्च रोजगार दर में भी नजर आता है। इस शिक्षा समूह के बीच श्रम भागीदारी दर ज्यादा है और इससे यह संकेत मिलते हैं कि नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई करने वाला लगभग हर व्यक्ति जो रोजगार की तलाश में श्रम बल से जुड़ता है, उसे नौकरी हासिल करने में कोई समस्या नहीं आती है।
सितंबर-दिसंबर 2022 में श्रम बल में 58 लाख लोगों में से हाईस्कूल पास करने वाले करीब 2.7 लाख लोग बेरोजगार थे। इस कार्यबल का आकार 55 लाख से ज्यादा था। इसका मतलब यह है कि सितंबर-दिसंबर 2022 में श्रम बल में प्रवेश करने वाले हाई स्कूल पास लोगों में से लगभग 95 प्रतिशत राज्य में नौकरी पाने में सक्षम थे।
इसके विपरीत, ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी कर चुके लोगों को रोजगार के मोर्चे पर काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा है। सितंबर-दिसंबर 2022 में, 21 लाख ग्रेजुएट रोजगार की तलाश में श्रम बल से जुड़े। लगभग 35 प्रतिशत यानी करीब 7 लाख लोग नौकरी हासिल करने में असमर्थ रहे और इसी वजह से उन्हें बेरोजगारों की भीड़ में शामिल होना पड़ा था। वास्तव में, पिछले तीन वर्षों में ग्रेजुएटों के बीच बेरोजगारी दर नाटकीय रूप से 10.6 प्रतिशत अंक से ज्यादा बढ़ी है।
सितंबर-दिसंबर 2019 और इसी अवधि के दौरान 2022 में ग्रेजुएटों में बेरोजगारी दर 24.5 प्रतिशत से बढ़कर 35.1 प्रतिशत हो गई। बेरोजगारी में बढ़ोतरी के साथ ही आंध्र प्रदेश में ग्रेजुएटों के बीच रोजगार के मौके, सितंबर-दिसंबर 2019 के 17 लाख से कम होकर सितंबर-दिसंबर 2022 में 14 लाख ही रह गए हैं। बाद की अवधि के दौरान राज्य में ग्रेजुएटों में 43.5 प्रतिशत रोजगार दर दर्ज की गई।
सितंबर-दिसंबर 2022 में, राज्य में लगभग 1.5 करोड़ लोग रोजगार में थे। कार्यबल में 55 प्रतिशत से कुछ ज्यादा ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने 9वीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी की थी। वहीं करीब 35.8 प्रतिशत के करीब हाईस्कूल उत्तीर्ण लोग थे जिन्होंने 10वीं और 12वीं कक्षा के बीच तक की अधिकतम पढ़ाई की थी। राज्य के कार्यबल में केवल 8.8 प्रतिशत ग्रेजुएटों की हिस्सेदारी थी।
रोजगार के आंकड़े बताते हैं कि आंध्र प्रदेश के कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा कम पढ़ा-लिखा है। इसके साथ ही बेहतर शिक्षा पाने वाला एक बड़ा वर्ग नौकरी खोजने में असमर्थ है। ऐसा प्रतीत होता है कि उच्च स्तर की शिक्षा पाने वाले लोग, राज्य में रोजगार के उपयुक्त मौके खोज नहीं पा रहे हैं।
(महेश व्यास CMIE के MD एवं CEO हैं। नताशा सोमैया CMIE में विश्लेषक हैं)