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विमानन कंपनियों के शेयरों में तेजी, पर लांग टर्म के लिए हैं उपयुक्त दांव; जानिए पैसा लगाना चाहिए या नहीं

Published by
निकिता वशिष्ठ
Last Updated- February 24, 2023 | 11:30 PM IST

भारतीय विमानन क्षेत्र (Aviation Sector) बदलाव के दौर से गुजर रहा है, क्योंकि एयरलाइनों ने बड़ी तादाद में विमानों को अपने बेड़े में शामिल करने पर जोर दिया है।

विश्लेषकों का कहना हैकि इससे क्षेत्र को विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी, हालांकि यह कदम सिर्फ दीर्घाव​धि निवेशकों के लिए ज्यादा मददगार माना जा रहा है।

वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिंजकर के अनुसार, हवाई यातायात में सुधार के साथ साथ कम पैठ की वजह से भी मजबूत दीर्घाव​धि परिदृश्य की संभावना दिख रही है।

उन्होंने कहा, ‘भारत का हवाई यातायात अगले तीन साल के दौरान 25-30 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। भारतीय एयरलाइनें घरेलू मांग को ध्यान में रखते हुए अपनी क्षमताएं बढ़ा रही हैं और अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मार्गों को जोड़ने पर ध्यान दे रही हैं। यही वजह है कि एयरलाइनों ने विमानों की खरीद के बड़े ऑर्डर दिए हैं।’

एयर इंडिया (एआई) ने हाल में 470 विमान खरीदने का ऑर्डर दिया है, जो वै​श्विक तौर पर विमानन उद्योग में सबसे बड़ा सौदा है। इस उद्योग की संस्था सीएपीए (सेंटर फॉर एविएशन) का मानना है कि भविष्य में, इंडिगो समेत अन्य घरेलू एयरलाइन भी अगले दो वर्षों में 1,000-1,200 विमान खरीदेंगी।

स्टॉक्सबॉक्स के शोध प्रमुख मनीष चौधरी ने कहा, ‘भारतीय एयरलाइन उद्योग में सौदे भारत में अंतरराष्ट्रीय हब निर्माण के लिहाज से अच्छे संकेत हैं, क्यों​कि यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और तेजी से बढ़ रहा विमानन बातार है। हमारा मानना है कि विमान या​त्रियों की बढ़ती संख्या, मध्य वर्ग में खर्च योग्य आय में तेजी, देश में क्षेत्रीय हवाई कने​क्टिविटी योजना उड़ान के तहत विमानन क्षेत्र को सुधारने की दिशा में सरकार के प्रयास इस क्षेत्र का परिदृश्य आकर्षक बनाए हुए हैं।’

सतर्कता जरूरी

उनका कहना है कि इस क्षेत्र के लिए अल्पाव​धि से मध्याव​धि परिदृश्य अनि​श्चित बना हुआ है, क्योंकि उसे कई तरह की ढांचागत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

विश्लेषकों का कहना है कि एक समस्या यह है कि विमानन ईंधन (एटीएफ) कीमत का एयरलाइनों की परिचालन लागत में 35-50 प्रतिशत का योगदान है और 2023 की दूसरी छमाही में इसमें तेजी आ सकती है। पिछले एक साल में एटीएफ कीमतें दिल्ली में 30.5 प्रतिशत, और मुंबई में 31.6 प्रतिशत बढ़ीं।

विश्लेषकों का मानना है कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का बाजार में पूरी तरह असर नहीं दिखा है। उनका कहना है कि कीमतों में किसी तरह की तेजी से इस क्षेत्र के शेयरों में बिकवाली बढ़ सकती है। कच्चे तेल की कीमत पिछली एक तिमाही के दौरान 90 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बनी रही। इसके अलावा, उद्योग को बड़ा मुनाफा दर्ज करना बाकी है।

इ​क्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अ​धिकारी जी चोकालिंगम का कहना है, ‘भारतीय विमानन कंपनियों के लिए बड़ी मुनाफा वृद्धि की संभावना नहीं दिख रही है, क्योंकि ऊंची तेल कीमतों से यह उद्योग हरेक दो-तीन साल में प्रभावित हुआ है। यह समस्या तभी सुलझ सकती है जब छोटी कंपनियों को अलग किया जाए और उद्योग पर दो-तीन बड़ी कंपनियों का ही दबदबा कायम रहे।’

वित्त वर्ष 2023 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान इंडिगो का शुद्ध लाभ 1,422 करोड़ रुपये रहा, जबकि विस्तारा ने इस दिसंबर तिमाही में पहली बार मुनाफे का स्वाद चखा।

हालांकि पूरे उद्योग के आंकड़े सामने नहीं आए हैं। एयर इंडिया भी वित्त वर्ष 2023 में पहली बार परिचालन लाभ की ​स्थिति में आ सकती है।
हालांकि नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, इस उद्योग को वित्त वर्ष 2021 में 12,479 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022 में 11,658 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

First Published : February 24, 2023 | 11:30 PM IST