प्रतीकात्मक तस्वीर
NSC vs FD: बाजार के जोखिम उठाए बिना लंबी अवधि में फिक्स्ड इनकम या गारंटीड इनकम चाहते हैं, तो बैंक एफडी (Bank FDs) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) बेहतर विकल्प हो सकते हैं। इन दोनों ही निवेश विकल्पों में निवेशकों को लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न मिलता है। साथ ही टैक्स डिडक्शन का भी फायदा होता है। बैंक FDs, NSC की बात करें तो इसमें डिपॉजिट के समय ही सालाना ब्याज दरें फिक्स हो जाती है और मैच्योरिटी पर आपको तय रकम मिल जाती है। हालांकि दोनों में एक बेसिक अंतर यह है कि NSC में गारंटीड रिटर्न है, जबकि बैंक FDs में 5 लाख रुपए तक का कुछ डिपॉजिट ही इंश्योर्ड होता है। ऐसे में कैलकुलेशन से समझते हैं कि अगर 5 साल के लिए 1 लाख रुपए डिपॉजिट करते हैं तो कहां ज्यादा फायदा मिलेगा।
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) भारत सरकार की एक छोटी बचत योजना है, जो सुरक्षित निवेश और टैक्स बचाने का विकल्प देती है। इसे पोस्ट ऑफिस से खरीदा जा सकता है और यह आम लोगों के लिए बनाई गई है। NSC में पैसा 5 साल के लिए जमा किया जाता है, और इस दौरान सरकार एक निश्चित ब्याज देती है। अभी ब्याज दर लगभग 7-8% सालाना है, जो हर तिमाही में बदल सकती है।
इसमें लोग न्यूनतम 100 रुपए से निवेश शुरू कर सकते हैं और अधिकतम कोई सीमा नहीं है। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं। साथ ही, NSC में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक की टैक्स छूट मिलती है। मैच्योरिटी के बाद पूरा पैसा ब्याज सहित वापस मिल जाता है। यह योजना जोखिम-मुक्त और भरोसेमंद है, क्योंकि इसमें पैसे डूबने का कोई खतरा नहीं रहता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा दी जाने वाली बचत योजना है, जिसमें आप एक निश्चित समय के लिए पैसा जमा करते हैं और बदले में आपको ब्याज मिलता है। इसे भी सुरक्षित निवेश का एक बेहतर तरीका माना जाता है, जिसमें जोखिम बहुत कम होता है। FD की अवधि कुछ महीनों से लेकर कई सालों तक हो सकती है, जैसे 6 महीने, 1 साल या 5 साल। इसके लिए ब्याज दर पहले से तय होती है, जो आमतौर पर 5-9% सालाना के बीच होती है, और यह बैंक और समय पर निर्भर करती है।
FD में न्यूनतम राशि 500 या 1000 रुपये से शुरू हो सकती है, और ऊपरी सीमा आमतौर पर नहीं होती। पैसा जमा करने के बाद आप इसे बीच में नहीं निकाल सकते, नहीं तो आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है। मैच्योरिटी पर आपको मूल राशि के साथ ब्याज मिलता है। यह उन लोगों के लिए अच्छा है जो स्थिर और गारंटीड रिटर्न चाहते हैं। हालांकि, बैंक FDs में 5 लाख रुपये तक का कुछ डिपॉजिट ही इंश्योर्ड होता है।
जनवरी से मार्च 2025 के मौजूदा तिमाही के लिए, NSC 7.7% प्रति वर्ष की ब्याज दर दे रहा है, जो सालाना चक्रवृद्धि (compounded annually) होती है। यहांं सवाल यह उठता है कि अगर NSC में 5 साल के लिए 1 लाख रुपए जमा की जाए तो समय पूरा कुल कितनी राशि मिलेगी। अब आते हैं कैलकुलेशन पर।
अगर आप NSC में 5 साल के लिए 1 लाख रुपए जमा करते हैं तो 7.7% प्रति वर्ष सालाना चक्रवृद्धि ब्याज दर के हिसाब से 5 साल के बाद आपको कुल 1,44,901 रुपए मिलेंगे, जिसमें से 44,901 रुपए ब्याज के तहत मिलेंगे।
अगर बात FD रेट की करें तो देश के तीन सबसे बड़े बैंक HDFC बैंक, ICICI बैंक और भारतीय स्टेट बैंक 5 साल की FD पर अभी क्रमश: 7.00%, 7.00% और 6.50% का ब्याज दर दे रहा है।
लेकिन अगर आप यही पैसा इतने समय के लिए किसी भी बैंक FD करवाते हैं तो आपके उस बैंक द्वारा दी जा रही ब्याज दर के हिसाब से रिटर्न मिलेगा। मान लीजियए अगर आप देश के सबसे बड़े बैंक HDFC बैंक में 1 लाख रुपए 5 साल के लिए FD करवाते हैं तो 5 साल बाद 7.00% ब्याज दर के हिसाब से 1,41,478 रुपए मिलेंगे, जिसमें से 41,478 रुपए ब्याज के तहत मिलेंगे। ICICI बैंक में 5 साल के लिए 1 लाख रुपए की FD करवाने पर 5 साल बाद 7.00% ब्याज दर के हिसाब से भी कुल 1,41,478 रुपए मिलेंगे, जिसमें से 41,478 रुपए ब्याज के तहत मिलेंगे।
अगर बात देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक की करें तो भारतीय स्टेट बैंक अभी 5 साल की FD पर 6.50% का ब्याज दे रहा है। इस हिसाब से अगर आप 5 साल के लिए 1 लाख रुपए की FD SBI में करवाते हैं तो 5 साल बाद आपको कुल 1,38,042 रुपए मिलेंगे, जिसमें से 38,042 रुपए ब्याज के तहत मिलेंगे।
NSC में निवेश पर कोई टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) नहीं है, जबकि FD पर सामान्य नागरिकों के लिए 40,000 रुपए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपए से अधिक ब्याज आय होने पर TDS लागू होगा। अगले वित्तीय वर्ष से TDS की सीमा बढ़ जाएगी, जो सामान्य नागरिकों के लिए 50,000 रुपए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 1 लाख रुपए होगी।
अगर बात टैक्स बचाने की करें तो NSC और FD दोनों में 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक की कटौती के लिए योग्य हैं। हालांकि, ब्याज आय का टैक्स ट्रीटमेंट अलग है।
NSC ब्याज आय टैक्सेबल है, लेकिन इसे पुनर्निवेश माना जाता है। पहले 4 साल तक NSC से मिले ब्याज को फिर से निवेश कर दिया जाता है, इसलिए टैक्स में छूट दी जाती है। हालांकि NSC के 5 साल पूरे होने पर उसे फिर से निवेश नहीं कर सकते, इसलिए ब्याज से हुई कमाई पर टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगता है। अगर बात FD की करें तो इसपर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से आपकी आयकर स्लैब के अनुसार कर योग्य होता है। हालांकि, TDS तब लागू होता है जब कई फिक्स्ड डिपॉजिट से वार्षिक ब्याज आय TDS सीमा से अधिक हो जाती है।
NSC की लॉक इन टाइम 5 साल की है। हालांकि, इसमें समय से पहले पैसे निकालने की इजाजत नहीं होती है। लेकिन इसमें कुछ शर्त है, जैसे कि मौत होने पर या कोर्ट के आदेश आदि में पैसे निकाल सकते हैं। FD की भी 5 साल की अनिवार्य लॉक-इन टाइम है, और समय से पहले निकालने की अनुमति नहीं है, लेकिन अगर आप इसे निकालते हैं तो आपको कुछ पेनेल्टी देनी पड़ सकती है।
PersonalCFO कंसल्टेंट्स के CEO सुशील जैन कहते है, “बैंक FDs एक अच्छा विकल्प है और हर किसी को अपने एसेट एलोकेशन और निवेश के टाइमफ्रेम के आधार पर अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए। निवेश की रकम कितनी होनी चाहिए, यह यहां मायने नहीं रखती है। इंमरजेंसी फंड, शॉर्ट टर्म गोल, एसेट एलोकेशन और लो टैक्स ब्रेकेट वाले निवेशकों के लिए बैंक एफडी एक अच्छा ऑप्शन है।”