प्रतीकात्मक तस्वीर
पिछले छह महीनों में डायवर्सिफाइड इक्विटी फंडों में 11 से 19 फीसदी की गिरावट आई है। मगर इस दौरान हाइब्रिड श्रेणी के मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड (एमएएएफ) ने काफी हद तक गिरावट को थामते हुए बेहतर प्रदर्शन किया है। इन फंडों में करीब 5.6 फीसदी की ही गिरावट दर्ज की गई है। बाजार में उथल-पुथल के बीच उचित रिटर्न के साथ स्थिरता की तलाश करने वाले निवेशक मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड में निवेश कर सकते हैं। ये योजनाएं इक्विटी, बॉन्ड और कमोडिटी में निवेश करती हैं, जहां हर परिसंपत्ति वर्ग में न्यूनतम 10 फीसदी आवंटन किया जाता है। इसके अलावा, इन फंडों का निवेश इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट्स) और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट्स) में भी हो सकता है।
महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (तय आय) राहुल पाल ने कहा, ‘मल्टी-ऐसेट फंड विभिन्न श्रेणियों में आवंटन के साथ सुचारु तौर पर रिटर्न देने का प्रयास करते हैं। ये उन परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करते हैं जिनका एक-दूसरे के साथ पारस्परिक संबंध कम होता है जो इसे मामूली गिरावट की आशंका के साथ एक स्थिर रिटर्न प्रोफाइल बनाता है।’
विजेता विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के बीच घूमते रहते हैं। यह एमएएएफ के पक्ष में काम करता है। ऐक्सिस म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर आशिष नाइक ने कहा, ‘बाजार चक्रीयता का मतलब यह है कि कोई भी दो परिसंपत्ति वर्ग अलग-अलग बाजार परिस्थितियों में समान प्रदर्शन नहीं करते हैं। हालिया उतार-चढ़ाव से पता चलता है कि एमएएएफ में निवेश करने से बाजार की अनिश्चितताओं से निपटने में मदद मिल सकती है।’
मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड विविध आवंटन रणनीतियों का पालन करते हैं। नाइक ने कहा, ‘सभी एमएएएफ एक जैसे नहीं होते। फिलहाल उनमें से करीब 80 फीसदी शेयर बाजार पर (65 फीसदी शेयर बाजार में और बाकी अन्य परिसंपत्ति वर्गों में) केंद्रित हैं। शेष 20 फीसदी फंड डेट आधारित हैं जहां शेयर बाजार एवं अन्य परिसंपत्ति वर्गों में मामूली आवंटन होता है।’ कुछ मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड वैश्विक सूचकांकों पर नजर रखने वाले इंडेक्स फंड में भी निवेश करते हैं।
जहां तक कमोडिटी का सवाल है तो कुछ फंड सोना-चांदी के एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में भी निवेश करते हैं, जबकि अन्य सूचीबद्ध कमोडिटी इंस्ट्रूमेंट्स का विकल्प चुनते हैं।
जब किसी एक परिसंपत्ति वर्ग में लगातार तेजी आती है तो मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड का प्रदर्शन कमजोर होता है। पाल ने कहा, ‘अगर किसी एक परिसंपत्ति वर्ग में लगातार तेजी आती है तो एमएएएफ अपेक्षाकृत कमजोर रिटर्न दे सकते हैं क्योंकि उनका निवेश हमेशा अन्य परिसंपत्ति वर्गों में भी होता है।’
हालांकि शेयर बाजार में गिरावट के दौरान इन फंडों में भी कुछ गिरावट दिख सकती है। कुमार ने कहा, ‘निवेशकों को ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि इन फंडों में कोई गिरावट नहीं आएगी, क्योंकि उनके पास मौजूद परिसंपत्तियां पूरी तरह से एक-दूसरे से अलग नहीं हो सकती हैं।’
कोई मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड दूसरे से बिल्कुल अलग हो सकता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत निवेश सलाहकार और सहजमनी डॉट कॉम के संस्थापक अभिषेक कुमार ने कहा, ‘एमएएएफ का चयन करते समय उसकी परिसंपत्ति आवंटन रणनीति पर गौर करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह आपके जोखिम प्रोफाइल और निवेश लक्ष्य के अनुरूप है या नहीं।’
नाइक ने कहा निवेशक को जोखिम उठाने अपनी की क्षमता के आधार पर यह तय करना चाहिए कि वह अधिक इक्विटी वाले अथवा अधिक डेट वाले मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड में से किसमें निवेश करना चाहते हैं।
विभिन्न जोखिम प्रोफाइल वाले निवेशक अपनी जोखिम क्षमता के मुताबिक एमएएएफ का चयन कर सकते हैं। नाइक ने कहा, ‘एमएएएफ हर निवेशक के पोर्टफोलियो का हिस्सा हो सकता है क्योंकि उसका लक्ष्य जोखिम को अच्छे तरीके से संतुलित करना होता है।’
अधिक जोखिम क्षमता वाले आक्रामक निवेशक 65 फीसदी इक्विटी निवेश वाली योजनाओं का चयन कर सकते हैं। मगर मध्यम जोखिम क्षमता वाले निवेशकों को 35 से 65 फीसदी इक्विटी आवंटन वाले फंड चुनने चाहिए।
पहली बार निवेश करने वाले निवेशक भी इनमें निवेश कर सकते हैं। फंड्सइंडिया की वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक जिरल मेहता ने कहा, ‘अलग-अलग परिसंपत्ति वर्ग की तलाश करने वाले नए निवेशक एमएएएफ में निवेश के साथ अपनी शुरुआत कर सकते हैं। समय के साथ-साथ वे अपने पोर्टफोलियो के लिए सबसे उपयुक्त परिसंपत्ति आवंटन तय करते हुए निवेश कर सकते हैं।’
इन फंडों में कम से कम पांच साल के लिए निवेश करना बेहतर रहेगा। पाल ने कहा, ‘अगर आप कम समय के लिए निवेश करते हैं, तो आपको निराश भी होना पड़ सकता है।’ बहरहाल, निवेशकों को मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड से पूरी तरह इक्विटी फंड के बराबर रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।