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ITR Filing 2025: ITR फाइल करते समय भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, वरना डिपार्टमेंट का आ सकता है नोटिस

ITR Filing: टैक्सपेयर्स रिटर्न भरते समय अगर इन पांच बड़ी गलतियों से बचते हैं, तो उन्हें आसानी से रिफंड मिल सकता है और IT डिपार्टमेंट से नोटिस आने का खतरा भी टल सकता है।

Published by
ऋषभ राज   
Last Updated- June 27, 2025 | 5:13 PM IST

ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना हर टैक्सपेयर के लिए एक अहम जिम्मेदारी होती है। फाइनेंशियल ईयर खत्म होते ही लोग रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया में जुट जाते हैं, लेकिन इस दौरान की गई छोटी-छोटी गलतियां बड़ी परेशानी का कारण बन सकती हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब पहले से कहीं ज्यादा सतर्क और तकनीकी रूप से सक्षम हो चुका है। डिपार्टमेंट डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अलग-अलग फाइनेंशियल रिपोर्ट्स के जरिए आपकी आय, खर्च और निवेश पर कड़ी नजर रखता है। ऐसे में अगर रिटर्न भरते समय आपने कोई गलती की तो इसका परिणाम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस के रूप में मिल सकता है, चाहे वो जानबूझकर हो या अनजाने में  हो।

ITR फाइल करते समय सबसे आम गलतियों में शामिल हैं: फॉर्म 26AS और AIS से जानकारी का मिलान न करना, गलत ITR फॉर्म का चयन करना, आय के सभी स्रोतों को रिटर्न में शामिल न करना, फर्जी या गलत डिडक्शन का दावा करना और बड़े फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को छिपाना। इन सभी गलतियों से बचना बेहद जरूरी है क्योंकि एक छोटी सी चूक आपकी टैक्स हिस्ट्री को प्रभावित कर सकती है और भविष्य में लोन, वीज़ा या अन्य वित्तीय लेन-देन में अड़चनें पैदा कर सकती है।

इस स्टोरी में हम बात करेंगे कि इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय किन पांच गलतियों से हर हाल में बचना चाहिए ताकि बिना किसी झंझट के रिफंड पा सकें और नोटिस का खतरा टाल सकें।

1. फॉर्म 26AS और AIS से जानकारी का मेल न करना

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से पहले फॉर्म 26AS और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) की जांच करना बेहद जरूरी है। फॉर्म 26AS में आपके TDS, एडवांस टैक्स और सेल्फ-असेसमेंट टैक्स की जानकारी होती है, जबकि AIS में आपकी आय, खर्च और निवेश से जुड़े लेन-देन का ब्योरा होता है। अगर आपने अपने रिटर्न में दी गई जानकारी को इन डॉक्यूमेंट्स से मिलान नहीं किया और कोई अंतर पाया गया, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको नोटिस भेज सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सैलरी से काटा गया TDS फॉर्म 26AS में दिख रहा है, लेकिन आपने उसे रिटर्न में शामिल नहीं किया, तो यह गलती आपको भारी पड़ सकती है।

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2. गलत ITR फॉर्म का चयन

अलग-अलग टैक्सपेयर्स की आय के स्रोत अलग-अलग होते हैं और इसके आधार पर अलग-अलग ITR फॉर्म भरे जाते हैं। जैसे, अगर आपकी आय केवल सैलरी से है, तो आपको ITR-1 फॉर्म भरना चाहिए, लेकिन अगर आपके पास डिविडेंड या बिजनेस से आय है, तो आपको ITR-2 या ITR-3 का इस्तेमाल करना होगा। गलत फॉर्म चुनने से आपका रिटर्न अमान्य हो सकता है, जिसके बाद आपको दोबारा रिटर्न दाखिल करना पड़ सकता है। कई बार गलत फॉर्म चुनने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगता है, जिससे अनावश्यक परेशानी बढ़ सकती है।

3. आय के सभी स्रोतों का खुलासा न करना

कई टैक्सपेयर्स अपनी सभी आय को रिटर्न में शामिल नहीं करते, चाहे वह छोटी राशि ही क्यों न हो। उदाहरण के लिए, बैंक खाते से मिलने वाला ब्याज, डिविडेंड, या किराए से होने वाली आय को छिपाना एक बड़ी गलती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट डेटा एनालिटिक्स के जरिए आपकी हर आय पर नजर रखता है। अगर आपने अपनी किसी आय को रिटर्न में नहीं दिखाया, तो डिपार्टमेंट इसे टैक्स चोरी का प्रयास मान सकता है। खास तौर पर शेयर मार्केट से मिलने वाले डिविडेंड या विदेशी स्रोतों से आय को रिटर्न में सही ढंग से दिखाना जरूरी है, वरना नोटिस का जोखिम बढ़ जाता है।

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4. गलत या फर्जी डिडक्शन का दावा

टैक्स बचाने के लिए कई लोग गलत या फर्जी डिडक्शन का दावा करते हैं, जैसे नकली हाउस रेंट रसीद या गलत टैक्स-सेविंग निवेश का प्रमाण देना। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब ऐसी गलतियों को आसानी से पकड़ लेता है। अगर आपने पुराने टैक्स रिजीम में हाउस रेंट अलाउंस (HRA), मेडिकल इंश्योरेंस या बच्चों की ट्यूशन फीस जैसी छूट का दावा किया है, तो सुनिश्चित करें कि आपके पास इसके सही डॉक्यूमेंट्स हैं। अगर आपके दावे Form 16 या AIS से मेल नहीं खाते, तो डिपार्टमेंट न केवल आपके दावे को खारिज कर सकता है, बल्कि जुर्माना और नोटिस भी भेज सकता है। गंभीर मामलों में, इनकम टैक्स अधिनियम 1961 के सेक्शन 276C के तहत कार्रवाई भी हो सकती है।

5. बड़े लेन-देन की जानकारी छिपाना

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बड़े वित्तीय लेन-देन, जैसे 10 लाख रुपये से अधिक की नकद जमा, संपत्ति खरीद, या विदेशी मुद्रा लेन-देन पर कड़ी नजर रखता है। अगर आपने ऐसे लेन-देन किए हैं और उन्हें अपने रिटर्न में नहीं दिखाया, तो डिपार्टमेंट को संदेह हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने क्रेडिट कार्ड से 10 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया या विदेश यात्रा के दौरान फॉरेक्स कार्ड का इस्तेमाल किया, तो इसकी जानकारी AIS में दर्ज होती है। अगर यह जानकारी आपके रिटर्न से मेल नहीं खाती, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांग सकता है। इसलिए, अपने सभी बड़े लेन-देन को रिटर्न में सही-सही शामिल करें।

First Published : June 27, 2025 | 5:13 PM IST