हाल में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के शिखर सम्मेलन में भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के सदस्य (वितरण) सत्यजीत त्रिपाठी ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि सामान्य बीमा और विशेष रूप से स्वास्थ्य बीमा में शिकायतें मुख्य रूप से दावाओं के भुगतान से संबंधित होती हैं। उन्होंने कहा कि कई मामलों में भुगतान की रकम दावे के मुकाबले काफी कम होती है अथवा दावों को सीधे तौर पर खारिज कर दिया जाता है।
बीमा पॉलिसियों में कई चीजों को कवर से बाहर कर दिया जाता है और कई सीमाएं निर्धारित की जाती हैं। एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस के निदेशक एवं मुख्य कारोबार अधिकारी पार्थनील घोष ने कहा, ‘अगर पॉलिसीधारक खरीद के समय इन बातों को ध्यान में नहीं रखता है, तो उसका नतीजा दावा निपटान के समय कम भुगतान और खराब अनुभव हो सकता है।’
स्वास्थ्य बीमा को बेचे और खरीदे जाने के तरीके के कारण कई समस्याएं पैदा होती हैं। पॉलिसीबाजार के मुख्य कारोबार अधिकारी (सामान्य बीमा) अमित छाबड़ा ने कहा, ‘ग्राहक अक्सर नियमों व शर्तों को पढ़े बिना हस्ताक्षर कर देते हैं। इससे कवरेज की पूरी समझ नहीं होती है और अंततः आंशिक भुगतान से ही संतोष करना पड़ता है।’
कुछ पॉलिसियां अस्पताल में भर्ती होने पर कमरे के किराए, सर्जरी और उपचार पर उप-सीमाएं लगाती हैं। उदाहरण के लिए, पुरानी पॉलिसियां कमरे के किराए के लिए एक निश्चित रकम अथवा बीमित राशि के 1 फीसदी तक कवरेज प्रदान करती थीं।
घोष ने कहा, ‘अगर कोई पॉलिसीधारक निर्धारित सीमा से अधिक लागत वाला कमरा चुनता है, तो बीमाकर्ता दावे की रकम में कटौती कर सकता है।’ उच्च श्रेणी के कमरे में रहने से पूरे बिल पर आनुपातिक रूप से कम भुगतान हो सकता है।
कई पॉलिसियां और खास तौर पर वरिष्ठ नागरिकों वाली पॉलिसियां सह-भुगतान का प्रावधान भी शामिल करती हैं। छाबड़ा ने कहा, ‘अगर सह-भुगतान 20 फीसदी है तो बीमाकर्ता बिल के 80 फीसदी का ही भुगतान करेगा। शेष 20 फीसदी बिल का भुगतान बीमाधारक को अपनी जेब से करना होगा।’
इसी प्रकार 1 लाख रुपये जैसी कटौती वाली पॉलिसियों के मामले में बीमाधारक को इस रकम तक के बिल का भुगतान करना होता है। बीमाकर्ता केवल उस सीमा से ऊपर के बिलों को ही कवर करता है।
कुछ स्थितियां अथवा उपचार, जैसे कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं बीमा पॉलिसियों द्वारा कवर नहीं की जाती हैं। घोष ने कहा, ‘बीमा कवर से बाहर की इन चीजों के लिए किए गए दावे का भुगतान नहीं किया जाएगा।’
उपचार के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट, दस्ताने और मास्क जैसी वस्तुओं को अक्सर बीमा कवर में शामिल नहीं किया जाता है। कुल बिल में उपभोग की वस्तुओं का हिस्सा 7 से 10फीसदी हो सकता है। छाबड़ा ने कहा, ‘परंपरागत तौर पर कई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में उपभोग की वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है।’
बीमाकर्ता कुछ खर्च को अनावश्यक या गैर-प्रथागत श्रेणी में वर्गीकृत कर सकते हैं और उन्हें कवर करने से इनकार कर सकते हैं। मेहता ने कहा, ‘गैर-चिकित्सा व्यय, जैसे आगंतुकों के लिए अतिरिक्त भोजन अथवा कॉस्मेटिक वस्तुओं को कवर के दायरे से बाहर रखा जाता है। बीमाकर्ता ऐसे खर्चों को कवर नहीं करते हैं।’
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदते समय दस्तावेज को ध्यान से पढ़ना और समझना जरूरी है। घोष ने कहा, ‘पॉलिसी में शामिल चीजों और बाहर की गई चीजों को अच्छी तरह समझ लें।’
छाबड़ा भी पूरी जानकारी के साथ पॉलिसी खरीदने का सुझाव देते हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर आप वहन कर सकते हैं, तो बिना सह-भुगतान अथवा कटौती वाली पॉलिसी चुनें।’
घोष भी अपनी जेब से लागत को कम करने के लिए व्यापक स्वास्थ्य कवरेज वाली पॉलिसी खरीदने की सलाह देते हैं। कई बीमाकर्ता अब उपभोग वाली सामग्रियों के लिए विकल्प देते हैं। मेहता ने सुझाव दिया कि पॉलिसी में उन चीजों को शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘बीमाकर्ता के नेटवर्क अस्पतालों में इलाज करवाना भी समझदारी है। इससे कटौती कम होती है क्योंकि बीमाकर्ता को उन पर भरोसा होता है।’ अगर आपको लगता है कि आपके साथ गलत व्यवहार किया गया है तो आप बीमा लोकपाल से शिकायत कर सकते हैं अथवा किसी अन्य सेवा प्रदाता के पास जा सकते हैं।